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स्मार्टफोन का डुप्लिकेट बना लेते हैं हैकर्स, लोगों को तगड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं!

इन हैकर्स से बचने के तरीके भी आ गए हैं.

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स्मार्टफोन का डुप्लिकेट बन जाता है. (सांकेतिक इमेज)

किसी इंसान के हमशक्ल होने के बहुत-बहुत कम चांस हैं. मतलब, फिल्मों की फैंटसी वाली दुनिया से इतर ऐसा होना अभी तो नामुमकिन ही है. लेकिन आपके स्मार्टफोन के साथ ऐसा बिल्कुल हो सकता है. स्मार्टफोन का हमशक्ल बोले तो क्लोन (Smartphone Clone) बनना मुमकिन है. गौर करने वाली बात ये है कि इसके लिए कोई बेहद खास किस्म की तकनीक की भी जरूरत नहीं है. सब कुछ आपकी नाक के नीचे होगा और खबर भी नहीं लगेगी. वैसे तो डरने वाली बात है, लेकिन जब The Lallantop है तो चिंता नक्को! हम आपको बताएंगे, आखिर इससे बचना कैसे है.

क्या है स्मार्टफोन क्लोनिंग?

स्मार्टफोन की क्लोनिंग उस तरह से तो नहीं होती, जैसे फिल्मों में दिखाई जाती है. मसलन, फोन हाथ में लिया या फिर कोई एक बटन दबाया और हो गया! लेकिन ये होती जरूर है और यही चिंता का कारण है. दो तरीके से ऐसा हो सकता है. कहने का मतलब साइबर अपराधी दो तरीके से इसको अंजाम दे सकते हैं. पहला, आपके सिम कार्ड के डेटा और IMEI (International Mobile Equipment Identity) नंबर की जानकारी चुराकर. इसको डुप्लिकेट स्मार्टफोन जैसा समझ सकते हैं. 

इसके बाद आपके कॉल और SMS को कंट्रोल किया जा सकता है. आपके बैंकिंग पासवर्ड चुराए जा सकते हैं और महंगे इंटेरनेशनल नंबर्स पर कॉल किया जा सकता है. दिमाग में सवाल होगा कि आखिर सिम कार्ड का डेटा किसी को मिलेगा कैसे? जनाब, नजर उठाकर देखिए. इसके किस्सों से दुनिया भरी पड़ी है. कई बार तो कंपनियों के कर्मचारी भी इसमें शामिल मिले हैं. ज्यादा समझना हो तो नेटफ्लिक्स पर Jamtara देख डालिए.

दूसरा तरीका है आपके फोन का एक्सेस लेना. इसके लिए भी कई सारे अवैध ऐप्स मार्केट में उपलब्ध हैं. हालांकि, इनके नाम के आगे चाइल्ड सिक्योरिटी, पेट वॉच जैसे शब्दों का मायाजाल होता है. इनके अलावा आपके स्मार्टफोन में मालवेयर इंस्टॉल करने का जाना-पहचना तरीका तो है ही. ये कैसे होता है, वो भी सभी को मालूम है. सोशल मीडिया से लेकर SMS पर आई लिंक और पब्लिक वाईफाई तक. मछली का दाना (Phishing) हर जगह फैला हुआ है, बस कांटे में फसने की देर है. 

एक बार जो ये मालवेयर आपके फोन में घुस गया, तो आप क्या टाइप करते हैं, क्या सर्च करते हैं, क्या चैट करते हैं, फोटो गैलरी में क्या है, किसको फोन किया और किसके मैसेज का जवाब दिया, बोले तो आपकी डिजिटल गृह-दशा का पूरा डेटा इनके पास. अब आगे मर्जी उस हैकर की. चाहे तो कोई कांड करे या आपसे वसूली. आपसे मन नहीं भरे तो आपके नाम पर आपके दोस्तों और रिश्तेदारों को चूना लगाए.

कैसे पता चलेगा क्लोनिंग का? 

स्मार्टफोन ऐप्स के अंदर घुसकर और फाइंड माय फोन में गलत लोकेशन देखकर ‘टेक मार खां’ बनने से पहले कुछ बुनियादी बातें भी आपके काम आ सकती हैं. रोजमर्रा के इस्तेमाल में अगर आपके फोन में कुछ भी अलग लगे, तो सावधान हो जाइए. भयंकर गरम हो रहा हो या फिर बैटरी फुर्र से उड़ जा रही हो. इंटरनेट डेटा जल्दी खत्म हो रहा हो या फिर फोन स्लो हो गया हो, तो ये सारे लक्षण हैं क्लोनिंग के. 

इनके अलावा कोई मेसेज या ईमेल मिला हो, जिसमें स्मार्टफोन रीस्टार्ट करने को कहा जाए. कई बार मालवेयर को रन होने के लिए इसकी जरूरत पड़ती है. 'नो सिम कार्ड' (No SIM card) का एरर मैसेज और मोबाइल डेटा नॉट वर्किंग (problems with mobile data not working) का स्क्रीन पर नजर आना भी एक तरीका है. अब बात ऐसे ऐप्स की, जो आपने इंस्टॉल नहीं किए हों या फिर फाइंड माय फोन में लोकेशन किसी रेगिस्तान की नजर आए. साफ-साफ कहें, तो स्मार्टफोन पक्के स्मार्ट हैं. उनमें आमतौर पर सब ठीक ही होता है. और जो कुछ ऊपर-नीचे हुआ, तो एक सिम्पल सा रीस्टार्ट काफी है. इसके आगे कुछ भी मतलब, झोल है रे बाबा!

इससे निपटने के लिए क्या करना होगा? हो सके तो फैक्ट्री रीसेट मार दीजिए. सारे लॉग-इन पासवर्ड बदल दीजिए. जहां-जहां ऐप्स को एक्सेस दिया हुआ है, वो हटा दीजिए. जब काम न बने तो आधिकारिक सर्विस सेंटर जिंदाबाद. इससे ज्यादा कुछ नहीं.      

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