The Lallantop

बढ़ती गर्मी में फोन में ब्लास्ट का डर, इन तरीकों से कंट्रोल रहेगा बैटरी का तापमान

अधिक गर्मी से फोन के खराब होने और ब्लास्ट की खबरें सुनने को मिलती रही हैं. ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है.

post-main-image
गर्मी के मौसम में फोन का तापमान ठीक रखें. (सांकेतिक तस्वीर)

गर्मी का मौसम धीरे-धीरे दस्तक दे रहा है. धीरे-धीरे इसलिए क्योंकि मार्च के पहले हफ्ते में T20 स्टाइल में बैटिंग करने के बाद मौसम टेस्ट क्रिकेट मोड में चला गया था. लेकिन अब वापस फॉर्म में लौट रहा है. तापमान में बदलाव होगा तो इसका असर आपके फोन पर भी पड़ेगा. स्मार्टफोन के लिए बहुत गर्मी और बहुत ठंडी अच्छी नहीं होती. अधिक गर्मी से फोन के खराब होने और ब्लास्ट की खबरें सुनने को मिलती रही हैं. ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है. हम आपको ऐसी ही तीन जरूरी बातें बताने वाले हैं.

फास्ट चार्जिंग को स्लो कीजिए

आजकल स्मार्टफोन में फास्ट चार्जिंग वाकई में फास्ट हो गई है. कोई फोन 10 मिनट में 50 प्रतिशत चार्ज हो रहा तो कोई आधे घंटे में 90 प्रतिशत. वैसे फास्ट चार्जिंग को लेकर टेक एक्सपर्ट में दो मत हैं. कुछ लोग इसको अच्छा मानते हैं और कुछ बुरा. मगर बुरा मानने वालों की तादाद ज्यादा है. शायद इसके पीछे पहला कारण फोन का गर्म होना है. सुपर-फास्ट चार्जिंग, अल्ट्रा फास्ट चार्जिंग से फोन गरम होते हैं, ऐसा माना जाता है. 

इसलिए एक्सपर्ट का सुझाव है कि फास्ट चार्जिंग से बचा जाए. कहने का मतलब अगर आप घर पर हैं, ऑफिस में डेस्क पर काम कर रहे तो फिर फास्ट चार्ज करने की क्या जरूरत है. आजकल के स्मार्टफोन में भी इसको ऑन-ऑफ करने का फीचर होता है. इसलिए अगर जरूरत नहीं तो बंद करके रखें. बैटरी गर्म भी कम होगी और चलेगी भी लंबी. फास्ट चार्जिंग को लेकर एक बात और कही जाती है. अगर ये वाकई में बहुत काम की होती तो टॉप स्मार्टफोन मेकर्स इसका इस्तेमाल क्यों नहीं करते. आज भी उनके स्मार्टफोन 30 वॉट के अल्ले-पल्ले ही रुके हुए हैं. नाम लिखने की जरूरत नहीं है.

फोन को निचोड़ने की जरूरत नहीं है

यहां बात फोन की असल ताकत के पूरे इस्तेमाल की हो रही है. इसके लिए बाइक या कार का उदाहरण लेते हैं. अब जैसे कार में 180-220 किमी प्रति घंटा की अधिकतम स्पीड होती है तो हम चलाते थोड़े ना हैं. अगर चलाते भी हैं तो क्या होता है वो सभी को मालूम है. तेल जलता है, टायर पर असर पड़ता है, इंजन पर दबाव भी कोई कम नहीं होता. इसके साथ तेज रफ्तार वाला रिस्क तो है ही. ऐसा ही स्मार्टफोन के साथ भी होता है.

पीक परफॉर्मेंस या मैक्सिमम परफॉर्मेंस का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर करना चाहिए. आपका फोन 120 हर्ट्ज सपोर्ट करता है तो जरूरी नहीं की आप हमेशा इसको ऑन ही रखें. नेटफ्लिक्स पर चिल करते समय स्क्रीन के मजे लेना बनता है मगर नॉर्मल यूज में इसका कोई तुक नहीं. फोन में इसको बंद रखने का ऑप्शन होता है. इनेबल कीजिए और बैटरी को आराम दीजिए.

ब्राइटनेस को ऑटो रहने दो

क्या ही शानदार फीचर है. फोन की ब्राइटनेस अपने आप से सेट हो जाती है. तेज धूप में स्क्रीन चमकने लगती है तो अंधेरे में आंखें मिचमिचाने से बचाती है. इसके अलावा ये बैटरी पर भी असर डालती है. लेकिन कई लोग इसको ऑटो मोड से मैनुअल मोड में कर लेते हैं. ऐसे में जब ब्राइटनेस कम लगती है तो बढ़ाने का तो याद रहता है लेकिन घटाने का नहीं. ये बुरी आदत है बदल डालिए. ऑटो को ऑटो रहने दें.

इसके साथ पुराने तरीके भी अपनाते रहें, जैसे कार की डेस्क पर फोन नहीं रखना है तो सस्ते चार्जर से भी दूरी रखना है.  

वीडियो: सेकंड हैंड स्मार्टफोन खरीद रहे? ये काम जरूर करिए, वरना फंस जाएंगे