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5G अपनी स्पीड के हिसाब से स्मार्टफोन की बैटरी खा रहा? सच-झूठ के साथ उपाय भी जानें

5G नेटवर्क इंडिया में लॉन्च होने से पहले और उसके बाद एक भ्रम खूब फैला कि इस नेटवर्क में डेटा मिनटों की जगह सेकंड में उड़ जाता है. हमने इससे जुड़ी बातों और तकनीक पर डिटेल में बात की है. आज 5G और बैटरी का कार्यक्रम समझते हैं.

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5G फोन की बैटरी को लील रहा है क्या(तस्वीर: पिक्सेल)

स्मार्टफोन के फीचर्स पर जितनी बातें होती हैं उससे कहीं ज्यादा उससे जुड़े मिथ या अटकलबाजी हवा में तैरते हैं. ऐसा करो तो वैसा नहीं होगा और वैसा करो तो ऐसा नहीं होगा. ऐसी ही अटकलबाजियों का सबसे बड़ा केंद्र मोबाइल की बैटरी होती है. चौराहे के चाणक्यों से लेकर तथाकथित टेक एक्सपर्ट बैटरी पर भारी ज्ञान बघारते हैं. जैसे आजकल 5G को लेकर हो रहा. पहले डेटा ज्यादा खाने की बात आई, आजकल बैटरी को लेकर खूब बात हो रही. माने कि 5G चलाया तो बैटरी जल्द फुर्र हो जाएगी. क्या वाकई में? हमने जवाब तलाशने की कोशिश की.

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5G नेटवर्क इंडिया में लॉन्च होने से पहले और उसके बाद एक भ्रम खूब फैला कि इस नेटवर्क में डेटा मिनटों की जगह सेकंड में उड़ जाता है. हमने इससे जुड़ी बातों और तकनीक पर डिटेल में बात की है. आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं. आज 5G और बैटरी का कार्यक्रम समझते हैं.

5G फास्ट, लेकिन बैटरी उड़ाने में स्लो

देश में 5G नेटवर्क लॉन्च हुए तकरीबन एक साल हो चुका है. क्या शहर और क्या गांव, हर नए दिन के साथ ये नेटवर्क एक नई जगह दस्तक दे रहा है. डेटा स्पीड पर नजर रखने वाली वेबसाइट ookla के मुताबिक देश में 5G की स्पीड 4G के मुकाबले 25 गुना है. इस 25 गुणा में ही एक बहुत बड़ी बात छिपी हुई है. आसान भाषा में कहें तो जब डाउनलोड और अपलोड स्पीड पहले से ज्यादा है तो स्मार्टफोन में सारे काम जल्दी-जल्दी होंगे.

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मतलब ऐप डाउनलोड करने से लेकर फ़ाइल डाउनलोड करने और ब्राउज़िंग करने तक कम टाइम लगेगा. जहां पहले कुछ डाउनलोड करो या फिर कोई हेवी ऐप ओपन करो तो गोल-गोल चक्कर स्क्रीन पर नजर आता था. आजकल ऐसा नहीं होता. इधर टप्पा मारा उधर फ़ाइल क्लोज, मतलब डाउनलोड.

अब ये कोई बहुत बड़ा विज्ञान नहीं है कि अगर मशीन पर प्रेशर नहीं तो बेहतर परफ़ॉर्मेंस देगी. स्मार्टफोन भी ऐसा ही है. जब टनाटन नेटवर्क की वजह से उसके रैम और प्रोसेसर को कम काम करना पड़ेगा तो इसका असर बैटरी पर पड़ेगा.

हमने अपने फोन में 5G को आलवेज ऑन रखा और पता चला बैटरी 4G के मुकाबले ज्यादा मिली. हालांकि यहां एक कंडीशन है. 5G नेटवर्क स्टेबल होना चाहिए. कहने का मतलब अगर नेटवर्क कमजोर है या स्टेबल नहीं है तो बैटरी को दोष देने का कोई तुक नहीं. आप भी ऐसा करके देखिए और तब तक बैटरी बचाने के कुछ उपाय हमसे जान लीजिए.

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कंपन बंद करो

कंपन मतलब फोन का वाईब्रेशन. एक जमाना था जब इस फीचर का वाकई में मतलब था. क्योंकि हम अपने फोन को जेब में रखते थे. अब खुद सोचकर देखिए कि फोन जेब में रहता है क्या? शायद क्या बिल्कुल नहीं. भले मीटिंग में हों या होटल में खाना खा रहे हों, फोन हाथ से छूटता कहां है. मतलब फोन कॉल और मैसेज नहीं देखे जाने का डर है नहीं. इसलिए वाईब्रेशन को बंद रखने या उसकी इन्टेन्सिटी को कम करने में भलाई. फोन की घरर-घरर बैटरी को सरर-सरर करते खा जाती है.

नोटिफिकेशन को मत जगाओ

आजकल के स्मार्टफोन में नोटिफिकेशन आने पर स्क्रीन टिमटिमाने लगती है. वैसे देखने में ये कोई भारी-भरकम काम नहीं लगता, लेकिन सोशल मीडिया के जमाने में जब फोन घड़ी-घड़ी टन-टन करता है तो ये मिली सेकंड के लिए स्क्रीन का जागना भी बहुत ज्यादा है. दिनभर में अगर 200 नोटिफिकेशन भी आए और 5 सेकंड भी स्क्रीन जाग्रत रही तो बैटरी के लगभग 16 मिनट उड़ गए. सेटिंग्स में जाकर स्क्रीन को सुला दीजिए.

और हां, अगर बैटरी वाकई में बहुत परेशान कर रही हो तो सॉफ्टवेयर और सिक्योरिटी अपडेट को हेलो बोल दीजिए और अगर बजट में 5G फोन तलाश रहे तो बस इधर टप्पा मारिए. 

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