सर्दियों की आमद भले अभी ढंग से नहीं हुई हो, लेकिन वायु प्रदूषण ने इस साल जल्द दस्तक दे दी है. आमतौर पर प्रदूषण का स्तर दिवाली के बाद बढ़ता था, मगर इस साल ऐसा नहीं है. दिल्ली और मुंबई जैसे मेट्रो शहरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है. राजधानी दिल्ली में AQI 500 को पार कर गया है. ऐसे में लोग कह रहे हैं कि बढ़ते प्रदूषण से बचने के लिए घर में एयर प्यूरीफायर (Air Purifier) का होना जरूरी है. वैसे तो एयर प्यूरीफायर लेना उतना ही आसान है जितना कोई और प्रोडक्ट, मगर कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. एक-एक करके कुछ जरूरी बातें जानते हैं.
प्रदूषण से बचाने वाले Air Purifier की भरमार, लेते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
वैसे तो Air Purifier लेना उतना ही आसान है जितना कोई और प्रोडक्ट, मगर कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. Air Purifier लेते समय साइज से लेकर फ़िल्टर, मेंटेनेंस, वारंटी का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. एक-एक करके कुछ जरूरी बातें जानते हैं.

एयर प्यूरीफायर लेते समय ये सबसे जरूरी चीज है. आपको देखना होगा कि कितने बड़े स्पेस को प्यूरीफाई करना है. एक कमरा या एक हॉल या फिर पूरा घर. छोटा लिया तो दिक्कत और बड़ा लिया तो बिजली की ज्यादा खपत. बाजार में अलग-अलग साइज के एयर प्यूरीफायर मौजूद हैं, आप कमरे के हिसाब से इन्हें चुन सकते हैं.
फ़िल्टर
एयर प्यूरीफायर का सबसे जरूरी हिस्सा. अगर ये गड़बड़ तो फिर गई भैंस पानी में या कहें गए पैसे हवा में. फ़िल्टर्स ही हवा में उपस्थित धूल मिट्टी को सोखने के साथ बैक्टीरिया और वायरस को मारने का काम करते हैं. इसलिए एयर प्यूरीफायर का चुनाव करते समय ये जरूर जान लें कि उसमें उच्च गुणवत्ता के फिल्टर्स का इस्तेमाल किया गया है या नहीं.
यानी क्लीन एयर डिलीवरी रेट. इस अंतरराष्ट्रीय फार्मूले के आधार पर ये जाना जा सकता है कि कोई भी प्रोडक्ट एक मिनट में कितने स्क्वायर फीट एरिया में हवा को साफ करेगा. Trane नाम के पोर्टल के मुताबिक CADR जितना ज्यादा उतना अच्छा. मोटा-माटी कमरे के क्षेत्रफल का दो तिहाई (⅔) यानी 66-67 फीसदी. गणित और आसान कर देते हैं. मान लेते हैं कि एक कमरा 10 बाय 10 फीट, मतलब 100 स्क्वायर फीट का है तो एयर प्यूरीफायर में CADR रेटिंग 67 होनी चाहिए.
एयर प्यूरीफायर का चुनाव करते समय इसका विशेष ख्याल रखिए कि आपका प्यूरीफायर जो रेटिंग दे रहा है वो आपके एरिया के हिसाब से सही हो. प्यूरीफायर के डिस्क्रिप्शन में इसके बारे में विस्तार से लिखा होता है और प्यूरीफायर यूनिट में लगी डिस्प्ले पर भी ये हर समय डिस्प्ले होता रहता है.
मेंटेनेंस का टेंशन नहीं मांगताएक अच्छे एयर प्यूरीफायर में कई फिल्टर्स का इस्तेमाल किया जाता है. कई प्यूरीफायर में ये अलग-अलग होते हैं और कई में एक ही फिल्टर से सारे काम होते हैं. एयर प्यूरीफायर खरीदते समय ये भी जान लें कि उसके फिल्टर्स को कितने समय के बाद साफ करने या बदलवाने की ज़रूरत है और उसमें कितना खर्च आएगा. कई बार पता चलता है कि फ़िल्टर चेंज करवाने का दाम एक औसत दर्जे के प्यूरीफायर जितना है.
मतलब ये कोई बहुत जरूरी फीचर नहीं, लेकिन अगर मिल जाए तो बुरी बात भी नहीं. नॉर्मल के बजाय स्मार्ट एयर प्यूरीफायर लेने के भी अपने फायदे हैं. स्मार्ट एयर प्यूरीफायर को आप मोबाइल के माध्यम से कंट्रोल कर सकते हैं. ये आपको रियल टाइम एयर क्वॉलिटी भी दिखाते हैं, साथ ही इनमें फ़िल्टर को बदलने के लिए भी इंडिकेशन मिलता है. एलेक्सा जैसे स्मार्ट डिवाइस से कंट्रोल करने का भी जुगाड़ है.
वारंटी का क्या जुगाड़?एयर प्यूरीफायर लेते वक़्त उसकी वारंटी का भी ध्यान रखें. इससे आपको लम्बे समय में फायदा होगा. अगर वारंटी सिर्फ 4 से 6 महीने की होगी तो आपको अगले सीजन में परेशानी आ सकती है. कुछ कंपनियां वारंटी के साथ लेबर चार्ज भी 2 से 4 साल तक फ्री रखती हैं. इस मामले में कोई कोताही नहीं बरतना है. अगर कुछ पैसे खर्च करके एक्स्ट्रा वारंटी मिले तो भी लपक लीजिए.
इसके साथ कुछ और बातों का ध्यान भी रखें. जैसे प्यूरीफायर हमेशा अच्छी और स्थापित कंपनी का ही खरीदें. सस्ते के चक्कर में जब दिक्कत आती है तो पता चलता है कि कंपनी अपना डेरा उठाकर गायब है. इसके साथ सिर्फ हवाबाजी के लिए प्यूरीफायर नहीं खरीदना है. मतलब अगर वाकई में जरूरत है तो लेना नहीं तो नहीं.