दिवाली का त्योहार बस आने को है. इसके बाद छठ पूजा भी है. उम्मीद है आपने घर जाने के लिए ट्रेन पकड़ ली होगी. अगर नहीं भी पकड़ी है तो आज शाम यानी 17 अक्टूबर के रोज तो निकल ही जाएंगे. घर से थोड़ा जल्दी निकलना क्योंकि रोड पर ट्रैफिक और टेशन (बोले तो स्टेशन) पर भीड़ खूब मिलेगी. चलिए लंतरानी बहुत हो गई, अब काम की बात बताते. अब आपकी ट्रेन की यात्रा थोड़ी और अच्छी होने वाली है. अब आपको ट्रेन में धूल और बेकार की बदबू से थोड़ा छुटकारा मिल सकता है.
ट्रेन के एसी कोच में अब कंबल के साथ कवर भी मिलेगा, रेल मंत्री ने खुद बोला है
अब ट्रेन में दिए जाने वाले कंबल के साथ कवर भी (indian Railways Introduces Blanket Covers)मिलेगा. वही पीला-नीला कंबल जो वातानुकूलित श्रेणी बोले तो AC में यात्रा करते समय आपको दिया जाता है. वही कंबल जिसके हाथ में आते ही नाक से छींक जरूर आती है.


दरअसल अब ट्रेन में दिए जाने वाले कंबल के साथ कवर भी (Indian Railways Introduces Blanket Covers)मिलेगा. वही पीला-नीला कंबल जो वातानुकूलित श्रेणी बोले तो AC में यात्रा करते समय आपको दिया जाता है. वही कंबल जिसके हाथ में आते ही नाक से छींक जरूर आती है. चलिए फिर कंबल ओढ़ लेते हैं.
कंबल का कवरकेंद्रीय रेल मंत्री Ashwini Vaishnaw ने एक्स पोस्ट करके इस बात की जानकारी दी है. जयपुर-असारवा ट्रेन से कंबल के कवर की शुरुआत हुई है. मतलब अब चादर और तकिया के साथ कंबल भी कवर में होगा. हालांकि ये अभी तक साफ नहीं है कि कवर खुद चढ़ाना होगा या पहले से कवर किया हुआ मिलेगा. कोई बात नहीं. कवर मिलेगा, बाकी हम कवर कर लेंगे बोले तो कंबल पर चढ़ा देंगे.
रेलमंत्री की पोस्ट के बाद इस पर रिएक्शन आना भी स्टार्ट ही गए हैं. अभिषेक मिश्रा ने लिखा,
सर ट्रेनों के AC कोच में हैंड टॉवेल कभी मिलता ही नहीं कहने पर बताया जाता है उपलब्ध नहीं है कृपया इसकी उपलब्धता सुनिश्चित कराएं. धन्यवाद

अंकुर नाम के यूजर खाने की शिकायत करने लगे. उन्होंने लिखा,
वंदे भारत ट्रेन और शताब्दी ट्रेन मैं मिलने वाले खाने की गुणवत्ता मैं ज़मीन आसमान का अंतर है, बेहतर होगा यात्रियों को ट्रेन के किराए के आधार पर खाने की क्वालिटी ना डिसाइड की जाए.

सचिन पाटीदार रेलवे की इस पहल से खुश नजर आए. उन्होंने लिखा,
रेलवे की तरफ से ये बहुत ही अच्छा कदम है.

सुमन कुमार कंबल के धुलने की शिकायत करते नजर आए. उन्होंने लिखा,
कभी ब्लैंकेट को धुलवा दिया जाए तो बेहतर रहेगा. उसको फ्लोर पर घसीटते हुए ले जाया जाता है.

वैसे कंबल कुटाई बोले तो कंबल धुलाई की टाइमिंग के बारे में रेलवे नवंबर 2024 में ही बता चुका है. रेलवे के मुताबिक,
रेल यात्रियों को दिए जाने वाले कंबलों को महीने में कम से कम एक बार धोया जाता है और रजाई कवर के रूप में उपयोग के लिए बेडरोल किट में एक अतिरिक्त बेडशीट भी प्रदान की जाती है.
यात्रा समाप्त माने खबर समाप्त.
आपकी सुखद यात्रा की कामना के साथ. हैप्पी दिवाली. तड़न ते तुड़न
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