सोशल मीडिया के जितने अच्छे पहलू हैं, उतने ही साइड इफेक्ट्स भी हैं. यहां आप फ्री में इतनी मौज ले पाते हैं और कई तरह के फायदे उठा पाते हैं, क्योंकि आप वहां खुद एक प्रोडक्ट हैं. कड़वी हकीकत है, लेकिन सोशल मीडिया कंपनियां आपकी पसंद और नापसंद को पल-पल आंकती रहती हैं और स्क्रीन पर दिखने वाला पूरा यूजर एक्सपीरियंस इसी आधार पर बनता है. सोशल मीडिया मतलब आपका पर्सनल डेटा कहां-कहां नहीं बिखरा होता है. अब इस डेटा को डिलीट करना लगभग असंभव है. मगर सावधानी बरतने से इसको सेफ तो रखा जा सकता है. कैसे... कुछ तरीके हम बताते हैं.
सोशल मीडिया पर आपकी प्राइवेसी के पहरेदारों को जानें, सेफ्टी बनी रहेगी
सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते समय अगर कुछ छोटी-छोटी मगर मोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो न केवल आपका पर्सनल डेटा सुरक्षित रहेगा, बल्कि आपका एक्सपीरियंस भी शानदार रहेगा.

सोशल मीडिया पर आपके निजी डेटा का पहल पहरेदार ऐप और फोन की प्राइवेसी सेटिंग्स होती हैं. अक्सर हम इनको नजरअंदाज कर देते हैं जो गलत है. वक्त-वक्त पर प्राइवेसी सेटिंग्स पर नजर मारते रहें और सिक्योरिटी अपडेट को बिना भूलें इंस्टॉल करते रहें. ऐसे डिवाइस जिनके लिए सिक्योरिटी अपडेट आना बंद हो चुके हैं, उनको बदलने में ही भलाई है. इसके साथ ऐप की प्राइवेसी सेटिंग्स का रिव्यू करते रहें. आपकी पोस्ट्स उस प्लेटफॉर्म पर किस-किस को दिखती है? आपके कॉन्टैक्ट्स, दोस्तों का एक्सेस किसे-किसे हैं? आपके फोटो कौन-कौन देख सकता है? और सबसे महत्वपूर्ण, आपकी लोकेशन का एक्सेस कहीं ‘Always Allow’ जैसे ऑप्शन पर तो सिलेक्ट नहीं है? अगर ऐसा है तो सारी परमिशन तुरंत बंद करें.
रसीद कट गई मतलब कट गईकहने का मतलब इंटरनेट की डायरेक्ट्री में अगर डेटा एक बार दर्ज हो गया तो उसे पूरी तरह से डिलीट बहुत मुश्किल होता है. तकरीबन असंभव. इसलिए सोशल मीडिया पर अपनी बेहद निजी जानकारियां कभी भी नहीं डालें. हमने आपको निजी जानकारी पोस्ट करने से बचने जैसा कोई ऑप्शन जानबूझकर नहीं दिया है. घर का पता, फोन नंबर या वित्तीय डेटा. अतरंगी फोटो-वीडियो शेयर करते वक्त भी दस बार सोच लें. ऑनलाइन कुछ भी ऐसा पोस्ट ना करें, जिसे आप एक फीसदी भी निजी मानते हों और जिसके लीक होने से आपको कोई नुकसान हो सकता है.
सोशल मीडिया पर टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन सेफ़्टी की एक मोटी लेयर है. अगर पासवर्ड हैक भी हो गया तो 2FA बड़े कांड से बचा लेता है. फिंगरप्रिंट्स से लेकर पासवर्ड के साथ 2FA और अगर मुमकिन हो तो मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन इनेबल करके रखें.
दोस्त-दोस्त नहीं रहाबॉलीवुड की फिल्म का पुराना गाना आज के जमाने पर पूरा सटीक बैठता है. आभासी दुनिया है तो पता नहीं जो दोस्त बनकर बात कर रहा वाकई में कौन है. आजकल हम इतने तो जागरूक हैं कि किसी अनजान द्वारा भेजे गए चैट या लिंक को ओपन नहीं करते. इसलिए अब हैकर्स ने दूसरा रास्ता अपना लिया है. पहले वो आपके दोस्त का सोशल मीडिया अकाउंट हैक करते हैं और फिर उसकी मदद से आपका. ये सब किसी चैट या हाइपरलिंक्स की मदद से होता है. ऐसे में अगर कोई दोस्त वॉट्सऐप पर मदद मांगे या पैसे तो सीधे उसको फोन लगाकर तस्दीक करें.
इनेक्टिव अकाउंट को टाटाकहते हैं समय-समय पर अपने दोस्तों की लिस्ट को चेक करते रहना चाहिए. कई बार कुछ लोग बिला वजह आपसे चिपके रहते हैं. ऐसा ही सोशल मीडिया में होता है. फ्रेंड लिस्ट में काफी लोग ऐसे होते हैं, जिनसे आप ना तो कभी मिले होते हैं और ना ही आप रोजाना उनसे बतिया पाते हैं. अपनी फ्रेंड लिस्ट में से हर कुछ महीने चेक करते रहें और इनैक्टिव अकाउंट को ब्लॉक करते रहें.
ऊपर बताई बातों का अमल करने से आभासी दुनिया में कुछ तो सेफ़्टी मिलती रहेगी.
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