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सुपर कंप्यूटर जिस काम को सालों में करता था, Google की इस चिप ने 5 मिनट में कर दिखाया

Google का कहना है कि इस नई चिप से Quantum Computing के क्षेत्र में क्रांति आ जाएगी. इस चिप को Willow नाम दिया गया है.

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गूगल की नई चिप (फोटो- गूगल)

9 दिसंबर को गूगल ने अपनी नई चिप ‘Google Willow’ को लॉन्च कर दिया है. गूगल की ये चिप Quantum Computers के क्षेत्र में नई क्रांति का जरिया बनेगी. गूगल के मुताबिक ये एक नेक्स्ट जेनरेशन चिप है जो सुपर कंप्यूटर से भी कई गुना तेज़ है. इस चिप को गूगल के कैलिफोर्निया स्थित Santa Barbara की क्वांटम लैब में बनाया गया है. इस क्वांटम कंप्यूटर की मदद से एक बहुत ही जटिल मैथमैटिकल प्रॉब्लम को मात्र 5 मिनट में हल किया गया है. अगर नॉर्मल कंप्यूटर से इस प्रॉब्लम को सॉल्व किया जाता तो इसमें लाखों साल का समय लग जाता.

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गूगल के मुताबिक इस नई चिप में 105 क्यूबिट्स हैं. क्यूबिट को ऐसे समझिए कि ये क्वांटम कंप्यूटिंग की तकनीक में सबसे बेसिक इकाई होती है. क्यूबिट आम कंप्यूटर्स में लगे बिट से तेज़ काम करते हैं. पर बड़े कैलकुलेशन के समय इनमें गलती की गुंजाइश भी ज़्यादा होती है. इसलिए जितने ज्यादा क्यूबिट्स होंगे, गलती की संभावना उतनी ही कम होगी.

गूगल का कहना है कि विलो चिप की परफॉरमेंस ज़बरदस्त है. इसने एक टास्क को मात्र 5 मिनट में पूरा कर दिया. अगर आम कंप्यूटर होता तो उसे इस टास्क को पूरा करने में 10 Septillion साल लगते. यानी इस ब्रह्माण्ड की जितनी उम्र है, उससे भी ज़्यादा. इस परिणाम के आधार पर कहा जा रहा है कि क्वांटम कंप्यूटर्स कई ऐसी चीज़ों का पता लगा सकते हैं, जो अभी नामुमकिन सा लगता है. इसमें सबसे ऊपर David Deutsch की मल्टीवर्स थ्योरी है जिसे Parallel Universe भी कहा जाता है.

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इस मौके पर गूगल और अलफाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई ने ट्वीट कर जानकारी दी. इस ट्वीट पर स्पेस एक्स और टेस्ला के एलन मस्क ने रिप्लाई किया. 


सुंदर पिचाई ने एक्स पर लिखा 

"गूगल की नई पेशकश 'विलो', हमारा नया स्टेट ऑफ द आर्ट क्वांटम कंप्यूटिंग चिप. इस चिप में एरर की संभावना और कम होगी क्योंकि हम लगातार क्यूबिट्स को बढ़ाने पर काम कर रहे हैं. एक टेस्ट में विलो ने एक प्रॉब्लम को 5 मिनट से भी कम में सॉल्व कर दिया है. आम कंप्यूटर को इसमें इतना समय लगता जितनी इस ब्रह्माण्ड की उम्र भी नहीं है."

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इस बात पर एलन मस्क ने जवाब में लिखा

“वाउ”

इसके बाद गूगल चीफ ने लिखा, 

"उम्मीद है कि हम स्पेस एक्स के स्टारशिप के साथ किसी दिन क्वांटम क्लस्टर होते हुए देखेंगे"

जैसे-जैसे क्वांटम चिप्स में क्यूबिट्स की संख्या बढ़ाई जाएगी, वैसे-वैसे इसमें एरर की संभावना और कम होती जाएगी. फिलहाल क्वांटम कंप्यूटर्स का इस्तेमाल सिर्फ कॉम्प्लेक्स कामों में किया जाता है. गूगल के अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में इसका कमर्शियल इस्तेमाल भी किया जा सकेगा.

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