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इन्कॉग्नीटो मोड में आपकी जासूसी करने के चक्कर में गूगल मुसीबत में फंस गया है!

36,000 करोड़ रुपये का जुर्माना लग सकता है!

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गूगल के ऊपर 5 बिलियन डॉलर का जुर्माना लग सकता है. (फोटो: PTI-AP)
बहुत सारे यूजर इंटरनेट चलाते वक़्त ट्रैकिंग से बचने के लिए इन्कॉग्नीटो मोड का इस्तेमाल करते हैं. मगर शायद इन्कॉग्नीटो मोड उतना भी प्राइवेट नहीं है जितना हम सोचते हैं. पिछले साल जून में अमेरिका में तीन लोगों ने गूगल के खिलाफ़ एक शिकायत दर्ज की थी. उनका कहना था कि गूगल का एक फैला हुआ डेटा ट्रैकिंग बिज़नेस है जो यूजर का पीछा क्रोम के इन्कॉग्नीटो मोड और सफारी की प्राइवेट ब्राउज़िंग में भी नहीं छोड़ता. गूगल चाहता था कि इस केस को रफ़ा-दफ़ा कर दिया जाए. मगर मामले की सुनवाई करने वाली जज ने ये फ़ैसला किया है कि गूगल को इस केस का सामना करना पड़ेगा. अगर गूगल ये मुकदमा हारता है तो इसे 5 बिलियन डॉलर का हर्जाना भुगतना पड़ेगा. ये रकम करीब 36,000 करोड़ रुपये बनती है.
ब्लूमबर्ग की ख़बर के मुताबिक, US डिस्ट्रिक्ट जज लूसी कोह ने अपने फ़ैसले में लिखा है कि गूगल ने अपने यूजर को इस बात की जानकारी नहीं दी कि कंपनी प्राइवेट ब्राउज़िंग मोड में भी यूजर का कथित तौर पर डेटा कलेक्ट करती है. गूगल ने कोर्ट को बताया कि वो यूजर को साफ तौर पर बताती है कि इन्कॉग्नीटो का मतलब अदृश्य हो जाना नहीं है. कंपनी ने कहा कि यूजर जिन वेबसाइट पर जाते हैं, वो उनकी ऐक्टिविटी देख सकती हैं. इन वेबसाइट पर मौजूद थर्ड-पार्टी कुकीज़ और ऐड्वर्टाइज़्मेन्ट सर्विस भी यूजर की ऐक्टिविटी देख सकते हैं. गूगल क्रोम और यूजर ट्रैकिंग Incognito
गूगल क्रोम के इन्कॉग्नीटो मोड में ये लिखकर आता है.

गूगल क्रोम का इन्कॉग्नीटो मोड इस बात की आज़ादी देता है कि इंटरनेट चलाने पर यूजर की ऐक्टिविटी न इंटरनेट ब्राउजर में और न ही यूजर के डिवाइस में सेव हो. जब आप गूगल क्रोम के इन्कॉग्नीटो मोड में जाते हैं तो आपको ये लिखा मिलता है:
“अब आप प्राइवेट तरीके से इंटरनेट चला सकते हैं. दूसरे लोग जो इस डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं वो आपकी ऐक्टिविटी नहीं देख पाएंगे. हां मगर आपके बुकमार्क और डाउनलोड सेव रहेंगे.”
इसके साथ ही गूगल क्रोम बताता है कि ये आपकी ब्राउज़िंग हिस्ट्री, कुकीज़ और साइट डेटा और फ़ॉर्म में भरी जाने वाली जानकारी को सेव नहीं करेगा. मगर आपकी ऐक्टिविटी, उस वेबसाइट पर जिस पर आप जाते हैं, आपकी कंपनी या स्कूल और आपकी इंटरनेट देने वाली कंपनी को दिख सकती है. कुकीज़ का क्या सिस्टम है? जब एक वेबसाइट से दूसरी वेबसाइट पर जाते हैं तो ऐड्वर्टाइज़्मेन्ट प्लेटफॉर्म कुकीज़ की मदद से आपको ट्रैक करते हैं. मोज़िला फ़ायरफ़ॉक्स और ऐपल सफारी ब्राउजर ऐसी थर्ड-पार्टी कुकीज़ को ब्लॉक रखते हैं. मगर गूगल क्रोम का मामला अलग है. बहरहाल गूगल ने कुछ वक़्त पहले ये ऐलान किया था कि ये भी अपने क्रोम ब्राउजर से थर्ड-पार्टी कुकीज़ को हटा देगा. इसने कहा था कि इनकी जगह पर ट्रैक करने वाला एक दूसरा सिस्टम लाया जाएगा जो कुकीज़ जितना चिपकू नहीं होगा.
जब तक गूगल थर्ड-पार्टी कुकीज़ को नहीं हटाता, तब तक आपके सामने एक ही उपाय है- प्राइवेट ब्राउज़िंग के लिए गूगल क्रोम की जगह पर ऐसा इंटरनेट ब्राउजर इस्तेमाल करिए जो आपको ट्रैक नहीं करता या फ़िर कुकीज़ को ब्लॉक रखता है. मोज़िला का फ़ायरफ़ॉक्स ब्राउजर और ऐपल का सफारी ब्राउजर दो अच्छे ऑप्शन हैं.