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iPhone वाली Apple कंपनी का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट बंद, सब 'टीला' की गलती!

हम बात कर रहे हैं Apple के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट Apple Pay Later की. कंपनी ने मार्च 2023 में धूम-धड़ाके, गाजे-बाजे के साथ इस सर्विस को अमेरिका में लॉन्च किया था. जल्द ही दुनिया के और देशों में भी ये सुविधा आने वाली थी, मगर अब कंपनी ने इस प्रोजेक्ट को बंद करने की घोषणा की है.

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Apple Pay Later बंद .

दिन खराब चल रहे और Apple दो अलग-अलग चीजें हैं. मतलब टेक जगत में इस कंपनी के साथ अमूमन अच्छा ही होता है. कंपनी चाहे MacBook लॉन्च करे या iPhone बाजार में उतारे. दुनिया जहान में लोग इनके हर प्रोडक्ट को हाथों-हाथ लेते हैं. कंपनी इस साल क्या लॉन्च करेगी, उससे ज्यादा चर्चा इस बात की होती है कि अगले साल क्या लाएगी. और ऐसे में अगर कंपनी का कोई फ्लैगशिप प्रोडक्ट बंद हो जाए तो? बंद तो हो, मगर उसका कारण कोई खराब प्रोडक्ट नहीं बल्कि एक कानून हो. कानून भी तब बना जब एप्पल पैदा भी नहीं हुई थी.

हम बात कर रहे हैं Apple के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट Apple Pay Later की. कंपनी ने मार्च 2023 में धूम-धड़ाके, गाजे-बाजे के साथ इस सर्विस को अमेरिका में लॉन्च किया था. जल्द ही दुनिया के और देशों में भी ये सुविधा आने वाली थी, मगर अब कंपनी ने इस प्रोजेक्ट को बंद करने की घोषणा की है. इतने बड़े प्रोजेक्ट के बंद होने के पीछे 1968 का एक अमेरिकी कानून है. एप्पल कंपनी की स्थापना 1976 में हुई. सारा माजरा समझते हैं.

क्या है Apple Pay Later?

पहले माल खरीद लो और उसके बाद पैसे दो. मगर इसको क्रेडिट कार्ड समझने की भूल मत कीजिएगा. क्योंकि आम तौर पर इसकी बिलिंग साइकिल 30 दिनों की होती है. इसके साथ आने वाली लिमिट की भी एक लिमिट है जो आमतौर पर ज्यादा नहीं होती. भारत में भी कई ऐप्स और कंपनियां Pay Later सुविधा देती हैं. मसलन Siml या LazyPay. कुछ की बिलिंग साइकिल तो सिर्फ 15 दिन की होती है. बिजनेस की भाषा में इनको BNPL (Buy Now, Pay Later) कहा जाता है. हालांकि ये सुविधा भी ग्राहक के वित्तीय रिकॉर्ड या CIBIL स्कोर को देखकर ही दी जाती है. एक लाइन में कहें तो मुंह देखी पंचायत वाला मामला.

तस्वीर साभार: 9To5 Mac

Apple Pay Later भी एक ऐसी ही सर्विस है जिसमें यूजर्स को 1000 डॉलर (लगभग 83 हजार रुपये) की लिमिट मिलती है. एप्पल प्रोडक्ट खरीदने के लिए इस लिमिट को चार EMI में बदला भी जा सकता है. इसके लिए कोई एक्स्ट्रा चार्ज भी नहीं लगता. कंपनी का उद्देश्य इसकी मदद से हर किसी के हाथ में आईफोन थमाना था. आप एकदम सही पकड़े. अमेरिका में भी लोग आईफोन को कर्जा लेकर खरीदते हैं. मगर फिर आ गया (TiLA).

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(TiLA) बन गया पहाड़

(TiLA) मतलब The Truth in Lending Act, जो अमेरिका में साल 1968 में बना था. ये कानून ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड इंडस्ट्री से एक किस्म की सुरक्षा देता है. आसान भाषा में कहें तो जैसे हमारे देश में है कि अगर क्रेडिट कार्ड से जुड़े पेमेंट में कोई देरी होती है या पेमेंट नहीं होता तो क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली संस्था वसूली के लिए डंडा नहीं चला सकती. लीगल प्रोसेस कर सकती है मगर कोई जब्ती नहीं कर सकती. हां संस्थान को इसकी रिपोर्ट CIBIL में करने का अधिकार जरूर है. ऐसा कुछ रिपोर्ट होते ही ग्राहक का वित्तीय रिकॉर्ड जरूर खराब होता है. उसको आगे लोन लेने में दिक्कत आती है, मगर वो अलग मसला है. (TiLA) भी वही टीला है जो एप्पल के आगे आ गया.

वैसे अभी के लिए अमेरिकी BNPL इसके दायरे में नहीं आते, लेकिन पिछले महीने ही इसको भी (TiLA) के दायरे में लाने का प्रस्ताव पास हो गया है. The US Consumer Financial Protection Bureau (CFPB) ने साल 2021 में इसको लेकर जांच की थी और उनको BNPL में कई झोल नजर आए थे. नतीजतन अब ये भी इसके दायरे में है.        

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