प्लेसीबो-इफ़ेक्ट: जिसके चलते डॉक्टर्स मरीज़ों को टॉफी देते हैं, और मरीज़ स्वस्थ हो जाते हैं
दवा नहीं ये दुआ है.
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बहुत सारी बीमारियां आपके शरीर की नहीं मन की देन होती हैं. ऐसा हो सकता है कि आप एक हफ्ते से बीमार हों. डॉक्टर सारे टेस्ट करे और कुछ न निकले. फिर डॉक्टर एक गोली दे और आपकी बीमारी एकदम गायब हो जाए. डॉक्टर से पूछें कि क्या थी ऐसी दवाई. और वो कहे वो तो एक मीठी गोली थी, मैंने आपको दवाई बताकर खिला दी. जो चीज़ आपके मन की उपज है उसका इलाज बाहर कैसे होगा? उसका तो अंदर ही से इलाज करना पड़ेगा. और इसी ‘इंटरनल हीलिंग’ को मनोवैज्ञानिकों की भाषा में ‘प्लेसीबो-इफेक्ट’ कहते हैं.
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