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इस फिल्ममेकर की लगभग सभी फिल्मों को नेशनल अवॉर्ड मिला है

गोविंद निहलानी के बर्थडे पर जानते हैं उनकी लाइफ के किस्से.

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भारत में दो तरह का सिनेमा बनता है. पहला है कमर्शियल जो ज्यादातर जनता के लिए बनता है. दूसरा है समानांतर जो गंभीर विषयों वाला और कलात्मक होता है. दोनों का अपना महत्व है. दूसरी तरह के, यानी समानांतर सिनेमा में श्याम बेनेगल के बड़ा नाम रहे हैं. बाद में गोविंद निहलानी ने भी ऐसी जबरदस्त फिल्में बनाईं. वही निहलानी जिन्हें पहली ही फिल्म ‘आक्रोश’ (1982) के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था.

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