ये फिल्म वाकई चुंबक है, खुद से चिपका लेती है
ऐसी फिल्म जिसे देखने के बाद दर्शक एक अच्छी सी फीलिंग लेकर सिनेमा हॉल से बाहर आते हैं
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चला चित्रपट बघूया. इस शानदार कड़ी की अगली फिल्म है ‘चुंबक’. स्वानंद किरकिरे का किरदार. हम पहले भी कई बार कह चुके हैं, मराठी सिनेमा सबसे ज़्यादा अगर किसी चीज़ पर ध्यान देता है तो वो है कहानी. एक सुंदर सी कहानी को, प्रभावी अभिनय का जोड़ देकर, कलात्मक ढंग से परदे पर उतारने की विधा में, मास्टरी हासिल है मराठी फिल्मकारों को.
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