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मुरलीधरन की ज़िंदगी का सबसे बड़ा दुःख, 'काश अर्नोल्ड वो कैच पकड़ लेते'

वो कैच पकड़ा जाता तो मुरली का नाम रिकॉर्ड बुक्स में कुंबले से भी ऊपर होता.

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किस्मत की खूबी देखिए टूटी कहां कमंद...
मुथैया मुरलीधरन. स्पिन की दुनिया पर बादशाहत करने वाला गेंदबाज़. जिनके नाम के आगे टेस्ट क्रिकेट में 800 विकेट लिखे हैं. सिर्फ 133 टेस्ट मैच खेलकर. कोई आसपास भी नहीं है उनके. स्पिन के जादूगर कहलाने वाले शेन वॉर्न भी उनसे 92 विकेट पीछे हैं. जबकि शेन ने मुरली से 12 टेस्ट ज़्यादा खेले हैं.
भारत के अनिल कुंबले ने मुरली के बराबर ही टेस्ट हैं, 132,  लेकिन विकेट उनसे 181 कम हैं. हालांकि अनिल कुंबले को मुरली पर एक बढ़त हासिल है. उन्होंने टेस्ट मैच की एक पारी में पूरे दस विकेट झटक रखे हैं. ऐसा मुरलीधरन नहीं कर पाए हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि वो इस रिकॉर्ड के आसपास भी न फटके हो.
एक मैच ऐसा भी रहा है जब मुरलीधरन ने कुंबले का रिकॉर्ड लगभग तोड़ दिया था. काश रसेल अर्नोल्ड थोड़े फुर्तीले होते. या फिर अंपायर ही उनकी सुन लेता.
पाकिस्तान की पूरी टीम लपेटकर ख़ुशी मनाते अनिल कुंबले.
पाकिस्तान की पूरी टीम लपेटकर ख़ुशी मनाते अनिल कुंबले.

आइए किस्सा बताते हैं. तारीख थी 4 जनवरी 2002. श्री लंका के कैंडी में ज़िम्बाब्वे के साथ टेस्ट मैच चल रहा था. ज़िम्बाब्वे ने टॉस जीता और पहले बैटिंग करने का फैसला किया. फैसला क्या किया, पंगा ले लिया मुरलीधरन से. अभी 25 ओवर का ही खेल हुआ था और ज़िम्बाब्वे की आधी टीम को 83 रन पर पवेलियन भेज चुके थे मुरलीधरन. सिर्फ ग्रांट फ्लावर एक तरफ से अड़े हुए थे. बाकी टीम मेंबर थोड़ी-थोड़ी देर में निकलते रहे. सब मुरलीधरन का शिकार हो रहे थे. कोई बोल्ड तो कोई एलबीडबल्यू.
टर्निंग पिच पर मुरली से खेलने से ज़्यादा ख़तरनाक किंग कोंग से कुश्ती लड़ना ही है.
टर्निंग पिच पर मुरली से खेलने से ज़्यादा ख़तरनाक किंग कोंग से कुश्ती लड़ना ही है.

ग्रांट फ्लावर भी कितनी देर टिकते. मुरली की गेंद पर स्वीप शॉट ट्राई करने का दुस्साहस कर बैठे. गेंद ने तीखा टर्न लिया और ग्रांट फ्लावर की गिल्लियां बिखेर दी. ज़िम्बाब्वे का स्कोर था 9 विकेट पर 201 रन. सभी विकेट मुरली ने झटके थे. मुरली इतिहास बनाने से बस एक कदम दूर थे. रिकॉर्ड बुक में एंट्री करने वालों ने अपनी कलम निकाल ली थी.
लेकिन...
'मेरी किस्मत में तू नहीं शायद' ये गाना उस दिन मुरलीधरन बहुत गाते अगर उन्हें हिंदी आती होती. ज़िम्बाब्वे ने उस दिन किसी तरह अपना आख़िरी विकेट बचाकर रखा. मुरली को बेहद संभलकर खेला. दूसरी तरफ से चमिंडा वास ऑफ स्टंप से बहुत बाहर गेंदें फेंक रहे थे. ताकि उन्हें विकेट न मिल पाए. 9 विकेट पर 234 रन पर खेल ख़त्म हुआ. फिर आई दूसरी सुबह.
ताज़ा दम मुरली के ही हाथ में गेंद थी. किसी को शक नहीं था कि मुरली बहुत जल्द रिकॉर्ड अपने नाम कर लेंगे. लेकिन क्रिकेट को अनिश्चितताओं का खेल यूं ही नहीं कहा गया है. मुरली तब तक 39 ओवर में 51 रन देकर 9 विकेट ले चुके थे. वर्ल्ड रिकॉर्ड के बिल्कुल मुहाने पर थे. इससे पहले जिन दो गेंदबाजों ने एक पारी में दस विकेट लेने का कारनामा किया था, उन्हें पछाड़ने का सुनहरा मौक़ा था उनके पास. अनिल कुंबले ने कोटला में 74 रन देकर दस विकेट लिए थे. जिम लेकर ने 53 रन देकर 10 विकेट झटके थे. मुरली ने उनसे दो रन कम ही खर्च किए थे. रिकॉर्ड बनने की प्रबल संभावना थी.
क्रिकेट के इतिहास में सबसे पहले दस विकेट लेने वाले खिलाड़ी जिम लेकर.
क्रिकेट के इतिहास में सबसे पहले दस विकेट लेने वाले खिलाड़ी जिम लेकर.

पहली ही गेंद मुरली ने पूरी तन्मयता से फेंकी. बैट-पैड वाला कैच हवा में उठा. बहुत सिंपल कैच. करीब ही मौजूद रसेल अर्नोल्ड अगर उसे लपक लेते, तो मुरली का नाम इतिहास में दर्ज होता. लेकिन वो चूक गए. माहौल की टेंशन शायद उनपर हावी हो गई थी. या जो भी वजह रही हो, उनसे कैच छूट गया. मुरली के हाथ आया रिकॉर्ड मुंह न लग सका. उसी ओवर की पांचवीं गेंद पर एलबीडबल्यू की बेहद करीबी अपील की मुरली ने. अंपायर श्रीनिवास वेंकटराघवन ने उसे रद्द कर दिया. अगले ओवर में किस्सा ही ख़त्म हो गया.
मुरली को सपोर्ट करने के अपने प्लान के मुताबिक़ चमिंडा वास स्टंप से काफी दूर गेंद फेंक रहे थे. हेनरी ओलंगा तब भी न माने. उन्होंने बहुत दूर की गेंद में भी बल्ला अड़ा दिया. विकेट के पीछे कुमार संगकारा को सूझा ही नहीं कि ये कैच छोड़ना है. गेंद उनके दस्तानों में समा गई और मुरली का सपना बिखर गया.
800 विकेट का एवरेस्ट पहाड़ खड़ा कर रखा है मुरली ने.
800 विकेट का एवरेस्ट पहाड़ खड़ा कर रखा है मुरली ने.

बहरहाल, मुरली का वो सपना तो फिर कभी पूरा हुआ नहीं लेकिन उसकी कसर उन्होंने विकेट्स का एवरेस्ट खड़ा करके पूरी की. टेस्ट क्रिकेट में उनके आसपास भी कोई नहीं. आने की संभावना फिलहाल तो नहीं दिखती.


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