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प्रज्ञानानंद पर गर्व कीजिए, 18 साल के लड़के ने चेस के वर्ल्ड चैंपियन को हराया है, आनंद भी पीछे छूटे

R Praggnanandhaa ने चेस के मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन चीन के डिंग लिरेन को हरा दिया है. 16 जनवरी की देर रात खेले गए मुकाबले में प्रज्ञानानंद ने 62 चाल में जीत दर्ज की. प्रज्ञानानंद की कहानी भी बेहद दिलचस्प है

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प्रज्ञानंद ने मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन को हराया

भारत के युवा ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंद (R Praggnanandhaa) ने अपने शानदार प्रदर्शन को बरकरार रखा है. टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट (Tata Steel Chess Tournament) के चौथे दौर में प्रज्ञानंद ने मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन और चीन के खिलाड़ी डिंग लिरेन को हरा दिया है. 16 जनवरी को देर रात खेले गए मुकाबले में प्रज्ञानानंद ने 62 चाल में जीत दर्ज की. वो विश्वनाथन आनंद (Viswanathan Anand) के बाद दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं, जिन्होंने क्लासिकल चेस टूर्नामेंट में मौजूदा विश्व चैंपियन को हराया.

अब इस जीत के बाद प्रज्ञानंद भारत के नंबर-1 शतरंज प्लेयर बन गए हैं. उन्होंने शतरंज के महारथी विश्वनाथन आनंद को पीछे छोड़ दिया है. 18 साल के प्रज्ञानानंद के 2748.3 रेटिंग अंक हो गए हैं. जबकि लाइव रेटिंग में पांच बार के विश्व चैम्पियन आनंद के 2748 प्वाइंट्स हैं. प्रज्ञानानंद के इस शानदार प्रदर्शन पर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर ने भी बधाई दी है.

सचिन ने X पर पोस्ट किया,

“वर्ल्ड चैम्पियन डिंग लिरेन के खिलाफ इस शानदार जीत के लिए आर प्रज्ञानानंद को बहुत-बहुत बधाई. 18 साल की छोटी उम्र में आपने न केवल खेल पर अपना दबदबा बनाया, बल्कि भारत के टॉप रेटेड खिलाड़ी भी बन गए. भविष्य के लिए आपको शुभकामनाएं. इंटरनेशनल स्टेज पर आप ऐसे ही भारत का नाम रोशन करते रहें.”

R Praggnanandhaa को चेस मिलने की दिलचस्प कहानी

आर प्रज्ञानंद की बात करें तो महज 3 साल की उम्र में चेन्‍नई के इस लड़के ने शतरंज खेलना शुरु कर दिया था. चेस बोर्ड क्यों मिला जानते हैं? क्योंकि वो अपनी बहन वैशाली का गेम खराब करते थे. यानी उन्हें परेशान करते थे. वैशाली प्रैक्टिस करतीं, तो प्राग (घर का नाम) उनका बोर्ड खराब कर देते थे. इसके बाद प्राग को भी तीन साल की उम्र में चेस बोर्ड दे दिया गया. छोटे भाई ने बहन को देखते-देखते शतरंज की बारीकियां सीखीं. चार साल बाद सिर्फ 7 साल की उम्र में उन्‍होंने वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप जीत ली. उन्हें मास्‍टर का टाइटल मिला.

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10 साल के हुए तो इंटरनेशनल मास्‍टर बने, 12 साल में ग्रैंडमास्‍टर. उस समय इस उम्र में ये कारनामा करने वाले वो दूसरे सबसे कम उम्र के शतरंज खिलाड़ी बने थे. उम्र जब 14 साल पहुंची तो Elo Rating System में उनके नंबर 2600 तक पहुंच गए, वो भी उस समय एक रिकॉर्ड था. प्रज्ञानंद के कोच आरबी रमेश अक्सर एक लाइन कहते हैं, ‘प्राग जैसा बनो.’. लेकिन प्राग जैसा बनना आसान नहीं, वो ऐसा क्‍यों कहते हैं, ये भी बता देते हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक रमेश बताते हैं कि प्राग वीडियो गेम, सोशल मीडिया और पार्टी को समय नहीं देते, क्योंकि उन्होंने शतरंज पर फोकस करने के लिए इन चीजों से दूर रहने का फैसला किया है.

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