The Lallantop

परवेज़ रसूल टी-20 टीम में सेलेक्ट तो हुए हैं मगर खुश क्यूं नहीं हैं?

जम्मू-कश्मीर से इंडियन टीम में आने वाले पहले और एकमात्र क्रिकेटर.

Advertisement
post-main-image
फोटो - thelallantop
जम्मू कश्मीर से आने वाले स्पिनर परवेज़ ग़ुलाम रसूल ज़रगार. इंडियन टीम में चुने गए हैं. टी-20 के लिए. इंग्लैंड के खिलाफ़. अश्विन और रवीन्द्र जडेजा को आराम दिया गया है. अश्विन, जिनके सामने अभी बहुत बड़ा शेड्यूल खड़ा है जिसमें उन्हें ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ खेलना है, को आराम देना सही ही लग रहा है. जिन्हें रसूल याद नहीं हैं वो लोग 15 जून 2014 को ढाका में खेले गए इंडिया वर्सेज़ बांग्लादेश वन-डे का स्कोरकार्ड पढ़ें. 10 ओवर में 60 रन और 2 विकेट उनके खाते में हैं. इंडिया वो मैच डकवर्थ लुइस मेथड से जीत गया था. इंडिया की तरफ से उन्होंने बस एक यही मैच खेला है. parvez rasool 4 मगर बात करें परवेज़ रसूल की तो मालूम चलेगा कि वो उस कदर खुश नहीं हैं जिस तरह से उन्हें खुश होना चाहिए था. या जिस तरह से हमें लगता था कि वो खुश होंगे. परवेज़ रसूल को अश्विन की जगह पर लाया गया है. और यही उनके (थोड़े ही सही) दुख का कारण है. दरअसल परवेज़ चाहते थे कि वो देश के सबसे बेहतरीन स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के साथ गेंदबाजी करें. मगर ये हो न सका. "मगर ये हो न सका और अब ये आलम है \ के तू नहीं, तेरा ग़म, तेरी जुस्तजू भी नहीं \ गुज़र रही है कुछ इस तरह ज़िन्दगी जैसे \ इसे किसी के सहारे की आरज़ू भी नहीं" "ऐक्चुअली, मुझे मालूम भी नहीं था कि अश्विन को इस सीरीज़ के लिए आराम दिया गया है. जब मुझे खबर मिली तो मुझे लगा कि अब मैं अश्विन के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करूंगा.  ऐसे प्लयेर के साथ सात दिन रहने का मतलब होता है कि मैं कितना कुछ सीख सकता हूं. मैं जम्मू में सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफी के लिए खेल रहा था. मुझे बीसीसीआई से सुबह कॉल आया और मैं ट्रेन पकड़ने के लिए भागा." ये बातें परवेज़ ने हिंदुस्तान टाइम्स से बातें करते हुए कहीं. parvez rasool 3 परवेज़ ने रणजी ट्रॉफी से ठीक पहले एक नेशनल क्रिकेट एकेडमी का कैम्प अटेंड किया था. ये कैम्प सिर्फ स्पिनर्स के लिए था. यहां परवेज़ को नरेन्द्र हीरवानी और निखिल चोपड़ा के अंडर ट्रेनिंग करने का मौका मिला. उसके बारे में याद करते हुए परवेज़ कहते हैं, "मुझे लगता है उन 20 दिनों ने मेरी बॉलिंग को बहुत बदला. मुझे अपनी बॉलिंग को देखने का मौका मिला. क्यूंकि मैं आईपीएल में ऐसा बॉलर था जो रन रोकने के लिए खेलता था, इसलिए गेंद को थोड़ा तेज़ पुश करता था. हीरवानी सर ने मुझे बताया कि अगर मैं हवा में गेंद को तेज़ फेकूंगा तो उसपर रोटेशन कम होंगे. साथ ही निखिल सर ने भी मुझे बताया कि मैं गेंद को हवा में ज़्यादा रखूं. रणजी में मिले 38 विकेट उसी सलाह की वजह से हैं."

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement