विराट कोहली. नहीं, कप्तान विराट कोहली. अरे ये भी नहीं, बेस्ट कप्तान विराट कोहली. अच्छा चलिए, बेस्ट एवर कप्तान कोहली. फैंस तो यही कहते हैं. जाके देख रिकॉर्ड में कौन है, कप्तान है कि महानतम कप्तान... सॉरी थोड़ा फिल्मी हो गया. लेकिन क्या करें, कोहली के फैंस के दावे देखते हैं तो भावनाएं प्रबल हो जाती हैं. थोड़ा इधर-उधर चले जाते हैं. तो ये कोहली जो हैं. आंकड़ों के बाजीगर हैं. ये अलग है कि ये आंकड़े ये लिखते नहीं, बस बनाते हैं. हाल के सालों में कोहली का अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा सरपट भाग रहा था. फिर आया साल 2020. टीम इंडिया न्यूज़ीलैंड टूर पर गई. दो मैचों की टेस्ट सीरीज में 2-0 से हारी. हारते ही वो हुआ जो हम हाईस्कूल में नहीं करा पाए थे- स्क्रुटनी. कहा गया कि कोहली ने 55 मैचों की कप्तानी में 33 मैच जिताए, अच्छी बात है. लेकिन इसमें से विदेश में कितने आए?
# SENA में बुरा हाल
पता चला कि कोहली की कप्तानी में भारत ने विदेश में 13 टेस्ट जीते हैं. अब यहां ये जानना जरूरी है कि कोहली की कप्तानी में भारत ने विदेश में 29 (ऑस्ट्रेलिया टूर से पहले) टेस्ट खेले हैं. यानि विदेश में जीत का ऐवरेज 45 परसेंट है (ये भी ऑस्ट्रेलिया टूर से पहले) जबकि देश में कोहली की टीम ने 26 में से 20 टेस्ट जीते हैं. यानि लगभग 77 परसेंट. गज़ब का रिकॉर्ड है. विदेशी वाले में थोड़ा और खुदाई हुई. सामने आया कि 13 में से पांच मैच श्रीलंका और चार मैच वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ जीते गए हैं. यानी दो ऐसी टीमें जो क्रिकेट के लॉन्गर फॉर्मेट में हाशिए पर हैं. यानी टेस्ट की मजबूत टीमें, साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के घर में कोहली की टीम ने बस चार टेस्ट जीते हैं. दुखद. बहुत दुखद साल 2015, ऑस्ट्रेलिया में हम 2-0 से हारे. एक टेस्ट में कप्तानी कोहली ने की थी. ये गया उनके खाते में. फिर आया साल 2017-18. साउथ अफ्रीका टूर. हम 2-1 से हारे. 2018 में इंग्लैंड में 4-1 से हार मिली. इसी बरस हमने ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराया. ये विदेशी धरती पर कोहली के करियर की इकलौती कायदे की जीत है. इसे विदेश टूर की इकलौती उपलब्धि भी माना जा सकता है. यहां एक फैक्ट ये भी है कि इस टूर में ऑस्ट्रेलिया स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर के बिना खेल रहा था.
# घर के ही शेर
इस दौरान हमने अपने घर में लगातार 10 टेस्ट सीरीज जीती. इतने मैच जीतकर हिसाब बराबर कर लिया. जीत का ऐवरेज आसमान का ऊंचाईयों तक पहुंचा दिया. टीम को इस ऊंचाई से पहला धक्का न्यूज़ीलैंड ने दिया. दो टेस्ट मैचों की सीरीज में बुरी तरह से धोकर. यह पिछले आठ सालों में भारतीय टीम का पहला व्हाइटवॉश था. इसके बाद कोरोना आ गया. क्रिकेट रुका. फिर शुरू हुआ ऑस्ट्रेलिया टूर के साथ. यहां पहले ही मैच में हमारी टीम आठ विकेट से हार गई. हारने से पहले इनने कई रिकॉर्ड भी बनाए. जिसमें सबसे बड़ा रिकॉर्ड था 36 रन पर ऑलआउट. टीम इंडिया ने साल 1974 का अपना रिकॉर्ड तोड़ा. तब हम 42 पर सिमट गए थे. अबकी बार छह रन और कम बने. इस हार के बाद कैप्टन कोहली का रिकॉर्ड 56 मैचों में 33 जीत का है. विदेशी धरती के कुल 30 मैचों में वह भारत को 13 मैच जिता पाए हैं. इनमें से भी दमदार टीमों के खिलाफ हमने सिर्फ चार मैच जीते हैं. SENA में कोहली ने कुल 17 मैचों में टीम की कप्तानी की है. इनमें से हमने 11 मैच गंवाए हैं.
कोहली की कप्तानी में हम अपने घर में आई हर टीम को पीटते रहे. कुछ मैच हमने विदेश में भी जीते. लेकिन इस दौरान SENA में हमारा हाल वही पुराना ही रहा. कोहली की कप्तानी में हमने SENA में बस एक सीरीज जीती है. 2018-19 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी. कैसे जीती, ये आपको बता दिया. हालांकि स्टैट्स तो फिर भी यही कहेंगे कि कोहली ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में सीरीज हराने वाले पहले एशियन कैप्टन हैं. लेकिन हमको जन्नत की हक़ीक़त तो मालूम रहनी ही चाहिए. ये सही बात है कि कप्तान उतना ही अच्छा होता है जितनी अच्छी टीम. लेकिन यही टीम घर में भी तो खेलती है. यहां इतना कमाल का खेल दिखाने वाली टीम विदेश में फेल है तो कप्तान को देखना तो चाहिए कि कमी कहां है? और अगर कप्तान अपनी पसंदीदा टीम, पसंदीदा सपोर्ट स्टाफ के साथ भी पूर्वजों से आगे नहीं निकल पा रहा तो निश्चित तौर पर उसकी महानता संदेह के घेरे में रहेगी.