सहारा. भारत में रहकर नाम लो तो याद आते हैं दस रुपये रोज़ के खाते. जो अक्सर मैच्योर होकर किसी काम आ जाते थे. फिर वो वक्त भी आया जब इन्होंने मैच्योर होने से मना कर दिया. सहारा इंडिया, भारत को बेसहारा कर गया. लेकिन इस सहारा से पहले भी दुनिया में एक सहारा था, है और आगे भी रहेगा. सहारा, रेगिस्तान. कहते हैं कि ये दुनिया का सबसे गर्म रेगिस्तान है. यहां हीटवेव कभी-कभी नहीं आती, ये हीटवेव का मायका है. कई लोग इस रेगिस्तान को पार करने की कोशिशों में यहीं दफ़्न होकर रह गए.
ना घर, ना पैसा, भयंकर गर्मी और जान दांव पर! रोंगटे खड़े कर देगी इन चमकते फुटबॉलर भाइयों की कहानी
दुनिया इन दो सितारों - इनाकी और निको विलियम्स - की चमक से चौंधियाई हुई है, लेकिन ये चमक यूं ही नहीं आई. इस तक पहुंचने के लिए एक परिवार ने जान दांव पर लगा दी. एक पिता ने हमेशा के लिए अपने तलवों की संवेदना खो दी. एक गर्भवती माता अपने दोस्तों को दफ़्न करते हुए आगे बढ़ी.

लेकिन जो दफ़्न हो जाते हैं, उन्हें कौन याद रखता है. याद वो रखे जाते हैं जो ज़िंदा निकल पाते हैं. साल 1994 में ऐसा ही एक परिवार सहारा मरुस्थल से ज़िंदा निकला था. इस परिवार में थे फेलिक्स और मारिया. अफ्रीकी देश घाना के रहने वाले इस जोड़े ने सुखद भविष्य की तलाश में अपनी जमा पूंजी मानव तस्करी करने वालों को सौंप दी.
उन्हें बताया गया कि वो इंग्लैंड जा रहे हैं. लेकिन आंख खुली तो वो अधर में थे. पंद्रह लाख भी गए, और अच्छे दिन भी ना मिले. अब जीवन के लिए सहारा से लड़कर आगे बढ़ना था. वो लड़े. साथ चले दोस्त एक के बाद एक सहारा की बलि चढ़ते रहे. उन्हें दफ़्न कर ये लोग आगे बढ़ते रहे. भयंकर गर्मी, पैरों में जूते तक नहीं. चलते चलते फेलिक्स के तलवे हमेशा के लिए भावशून्य हो गए. उन्हें अब ना तो गर्मी का भान होता है और ना सर्दी का. लेकिन फेलिक्स जानते थे कि यहां रुके, तो वो सब ख़त्म हो जाएगा जिसे बचाने के लिए उन्होंने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था. मारिया के साथ उनके पेट में पल रही पहली संतान भी हार जाएगी.
चलते चलते वो पहुंचे अफ़्रीका में मौजूद स्पैनिश शहर मेलिया. यहां गिरफ़्तारी के बाद फेलिक्स और मारिया को मिला एक वकील. जो जानता था कि ख़ानाबदोशों का दुनिया में बमुश्किल ही कोई होता है. इस वकील ने चली चाल और इन्हें समझाया- खुद को युद्ध प्रभावित लाइबेरिया का रहवासी बता दो. फेलिक्स और मारिया ने यही किया. यहां मुलाक़ात हुई एक पुजारी से. जिसने इन दोनों को ना सिर्फ़ काग़ज़ पत्तर के साथ यहां रहने, बल्कि नौकरी पाने में भी मदद की. कुछ वक्त बाद स्पेन में ही इस दंपत्ति की पहली संतान का जन्म हुआ. नाम रखा गया इनाकी. कुछ वक्त के बाद शहर बदला. और वहां जन्मी इनकी दूसरी संतान. नाम पड़ा निको.
साल हो चुका था 2002. अब तक बड़ा बेटा फुटबॉल खेलने लगा था. और इसे देख कुछ वक्त बाद छोटा बेटा भी गेंद को लात मारने लगा. दोनों भाई कुछ वक्त के बाद स्पेन के बड़े क्लब एथलेटिक बिल्बाओ का हिस्सा बने. साथ खेलने लगे. कट टू 2024. निको स्पेन के साथ Euro2024 का हिस्सा है. ऐसा खेल रहा है कि यूरोप के टॉप क्लब चेक बुक के साथ स्टेडियम्स के गेट पर धरना दे रहे हैं. भाई के बाद अब निको भी चमकता सितारा बन चुका है.
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दुनिया इन सितारों की चमक से चौंधियाई हुई है, लेकिन ये चमक यूं ही नहीं आई. इस तक पहुंचने के लिए एक परिवार ने जान दांव पर लगा दी. एक पिता ने हमेशा के लिए अपने तलवों की संवेदना खो दी. एक गर्भवती माता अपने दोस्तों को दफ़्न करते हुए आगे बढ़ी. हिम्मत ना तोड़ी और ना टूटने दी. और दुनिया को दिखा दिया कि इंसान की जीवटता से बड़ा कुछ नहीं. इंसान गर ठान ले तो सब कुछ संभव है. नामुमकिन, कुछ भी नहीं.
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