वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया और वीएचपी के अध्यक्ष राघव रेड्डी का कार्यकाल पिछले साल दिसम्बर में ही ख़त्म हो गया था. वीएचपी के नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए बीते 29 दिसंबर को बैठक हुई थी. आरएसएस राघव रेड्डी की जगह वी. कोकजे को अध्यक्ष बनाना चाहता था, लेकिन तब हंगामा हो गया था और चुनाव नहीं हो पाया था. पर 14 अप्रैल को पूरी तैयारी के साथ चुनाव हुआ और वैसा ही हुआ जैसा विहिप का पितृ संगठन माने आरएसएस चाहता था.
तोगड़िया ने किया बड़ा ऐलान
प्रवीण तोगड़िया ने इस नतीजे के बाद विश्व हिंदू परिषद छोड़ने की घोषणा की है. तोगड़िया बोले - सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे इस तरह से 32 साल बाद निकाला जाएगा. जिस संगठन के लिए मैंने अपना प्रफ़ेशन छोड़ दिया. कुर्ता पजामा पहना और हिंदुत्व की बात करने के लिए निकल पड़ा. उम्मीद न थी कि मुझे ऐसे निकाला जाएगा. बोले - मैं विश्व हिंदू परिषद में था. आज नहीं हूं. इसके पीछे सत्ता में मदमस्त लोग हैं. आज विहिप की बैठक में करोड़ों हिंदुओं की आवाज को दबाया गया. मेरा क्या दोष है कि मैं 32 साल से जो मांगें हैं, आज भी उस पर डटा हुआ हूं.

प्रवीण तोगड़िया.
उन्होंने एक बड़ा ऐलान भी किया. 17 अप्रैल से अहमदाबाद में अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठने का. बोले - मेरी मांग है कि राम मंदिर पर संसद में क़ानून बने और गौ हत्या को रोकने के लिए कानून बने. 6 महीने पहले मुझे कहा गया था कि राम मंदिर पर संसद में कानून बनाने की मांग को छोड़ दूं या फिर VHP को छोड़ दूं. इस बातचीत का जल्द ही ऑडियो - वीडियो रिलीज़ करूंगा. देखने वाला होगा कि इस वीडियो में क्या है और कौन लोग हैं. ये वीडियो संघ और मोदी पर भारी भी पड़ सकता है.
भिड़ गए थे तोगड़िया के समर्थक और विरोधी
विहिप में फूट का क्या आलम है, वो 13 अप्रैल को देखने को मिला. दिल्ली के आरके पुरम स्थित केंद्रीय कार्यालय में प्रवीण तोगड़िया के समर्थक और उनके विरोधी आपस में भिड़ गए. विहिप के महामंत्री चंपत राय ने इसे मतदाताओं को भ्रमित व चुनाव बाधित करने की साजिश करार दिया. वहीं प्रवीण तोगड़िया की तरफ से मीडिया को बताया गया कि उनके कुछ कार्यकर्ता उनसे मिलने आए थे तो उनको गेट पर रोका गया. उनसे मारपीट की गई. उन्होंने चंपत राय की ओर से जारी प्रेस रिलीज को भी उनकी बदनामी करने का तरीका और झूठ का पुलिंदा बताया.

मोहन भागवत के साथ प्रवीण तोगड़िया.
मोदी का विरोध करना पड़ा भारी!
प्रवीण तोगड़िया और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच का झगड़ा किसी से छुपा नहीं है. इसकी शुरुआत नरेंद्र मोदी के गुजरात में सीएम बनने के कुछ महीनों बाद से ही शुरू हो गई थी. खासकर 2002 के गुजरात दंगों के बाद से. कहा जाता है कि दंगों के बाद मोदी ने विहिप के कई कार्यकर्ताओं को ठिकाने लगा दिया था. तोगड़िया का सरकार में दखल भी खत्म कर दिया था, जिसके बाद से कभी दोस्त रहे मोदी और तोगड़िया के बीच ठन गई थी. कभी एक स्कूटर में घूमकर संघ के लिए प्रचार करने वाले दो स्वयंसेवक एक दूसरे के दुश्मन बन गए थे. ये अदावत समय के साथ बढ़ती चली गई. तोगड़िया पर आरोप लगे कि वो नरेंद्र मोदी के खिलाफ गुजरात चुनाव में काम कर रहे थे.

मोदी के विरोधी माने जाते हैं तोगड़िया.
फिर 2014 में नरेंद्र मोदी पीएम बने. उम्मीद की जा रही थी कि अब संघ के इशारे पर तोगड़िया शांत हो जाएंगे. मगर ऐसा नहीं हुआ. तोगड़िया समय-समय पर सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहे. कुछ महीने पहले उन्होंने अपने इनकाउंटर की साजिश की बात कहकर सबको चौंका दिया. बिना नाम लिए आरोप नरेंद्र मोदी पर ही लगाया. कुल मिलाकर वो मोदी के लिए मुश्किलें खड़ी करते जा रहे थे. संघ नहीं चाहता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सरकार और बीजेपी के साथ उनके अन्य संगठनों के बीच में किसी भी तरह मतभेद आम जनता के सामने आये. ऐसा ही नरेंद्र मोदी चाहेंगे. नतीजा सामने है. अशोक सिंघल के बाद विहिप का चेहरा रहे प्रवीण तोगड़िया को किनारे लगा दिया गया है.

विहिप के नए अध्यक्ष कोकजे.
कौन हैं विष्णु सदाशिव कोकजे?
विष्णु सदाशिव कोकजे हिमाचल प्रदेश के पूर्व गवर्नर(2003 से 2008 तक) एवं मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व जज रह चुके हैं. कोकजे का जन्म 6 सितंबर 1939 को मध्य प्रदेश में हुआ था. इंदौर से LLB करने के बाद 1964 में उन्होंने लॉ की प्रैक्टिस शुरू की. जुलाई 1990 में कोकजे को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया. साल 2001 में वह राजस्थान हाई कोर्ट के भी जज रहे. कोकजे RSS से जुड़ी संस्था भारत विकास परिषद के अध्यक्ष रह चुके हैं. हालांकि चुनाव से पहले तोगड़िया कैंप की ओर से आरोप लगाया जा रहा था कि कोकजे का हिंदुत्व से कोई लेना-देना नहीं है. उन्हें कैसे विहिप का अध्यक्ष बनाया जा सकता है.
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