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फाइटर जेट्स में 'जेनरेशन' का क्या मतलब है? चीन और पाकिस्तान आगे, भारत कहां ठहरता है?

Indian Air Force के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसके पड़ोसियों China और Pakistan का Fighter Jets रेस में उससे आगे निकलना है.

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भारत के पास फिलहाल 4.5 जेनरेशन तक के जंगी जहाज हैं (PHOTO- Instagram-Indian Air Force/Lockheed Martin)

बीते दिनों खबर आई कि चीन ने दुनिया का पहला 6th जेनरेशन फाइटर जेट बना लिया है. और तो और चीन हमारे दूसरे पड़ोसी पाकिस्तान को J-35 नाम का फाइटर जेट भी दे रहा है. भारत-पाकिस्तान के बीच तल्ख संबंध जगजाहिर हैं. दोनों देशों के बीच 4 बार जंग हो चुकी है. वहीं, चीन से 1962 के बाद जंग तो नहीं हुई पर गलवान घाटी की यादें अभी भी ताजा हैं. इसके अलावा पहलगाम हमला (Pahalgam Attack) के जख्म अब भी ताजा हैं. और ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में भारत ने जिस तरह का जवाब दिया, उसके ठीक बाद पाकिस्तान को चीन ने पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट दे दिए हैं. कुल मिला कर चीन और पाकिस्तान, दोनों ऐसे पड़ोसी जिनसे भारत के संबंध ठीक नहीं रहे हैं, उनका फाइटर जेट्स और वायुसेना के आधुनिकीकरण में आगे निकलना, निश्चित तौर पर भारत के लिए चिंता का कारण है. 

इंडियन एयरफोर्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसके पड़ोसियों का फाइटर जेट्स जेनरेशन की रेस में उससे आगे निकलना है. चीन ने 6th जेनरेशन फाइटर जेट J-36 बना लिया है. रही बात पाकिस्तान की तो उसे 5th जेनरेशन का J-35 चीन से मिल जाएगा. भारत के पास फिलहाल सबसे एडवांस विमान फ्रेंच कंपनी दसॉ एविएशन का रफाल है. रफाल एक 4.5 जेनरेशन विमान है. जब बात फाइटर जेट्स की होती है, तब बार-बार ये जिक्र आता है कि अमुक विमान फलां जेनरेशन का है. तो यहां ये समझना जरूरी हो जाता है कि विमानों में ये पीढ़ी या जेनरेशन का क्या मतलब है? 

तो ये कुछ-कुछ वैसा ही है जैसा हमारे परिवार में होता है. जैसे एक खास समय में जन्मे लोगों को एक पीढ़ी का माना जाता है, वैसे ही एक खास समय बने, कुछ कॉमन तकनीक से लैस विमानों को एक जेनरेशन का माना जाता है. अभी तक दुनिया में 5 जेनरेशन के विमान ऑपरेशनल हैं. बीते दिनों ही चीन ने एक नया विमान J-36 भी पेश किया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये दुनिया का पहला 6th जेनरेशन का फाइटर प्लेन है. तो यहां ये समझना जरूरी है कि जेनरेशन को कैसे तय किया जाता है?

जेट्स की पीढ़ी

वैसे तो समय-समय पर फाइटर जेट्स में नई तकनीकें आती रही हैं. साल 1990 तक इन जेट्स में जेनरेशन का कोई कॉन्सेप्ट नहीं था. कोई ऐसा एक फिक्स बिन्दु भी नहीं है जिसे मानक मानकर ये तय कर दिया जाए कि फलां फाइटर जेट किस जेनरेशन का है. जरूरी नहीं कि किसी देश के पास उन्नत पीढ़ी के विमान हों तो उसकी वायुसेना अधिक मजबूत हो. जैसे रफाल 4th और 5th जेनरेशन के बीच का विमान है. इसलिए इसे 4.5 की श्रेणी में रखा जाता है. अगर चीन के नए निर्मित J-36 को देखें तो इसे 6th जेनरेशन का पहला फाइटर जेट कहा जा रहा है. पर दुनिया में मौजूद सभी देशों के जेट्स को देखें तो अभी फाइटर जेट्स के 5 जेनरेशन मौजूद हैं जो पूरी तरह ऑपरेशनल हैं.

पहली पीढ़ी

दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मन एयरफोर्स जिसे 'लुफ्तवाफे' नाम से जाना जाता था, उसके विमानों ने मित्र सेनाओं (Allied Powers) की नाक में दम कर दिया था. जर्मन विमान Messerschmitt Me 262 को दुनिया का पहला फाइटर जेट माना जाता है. इनमें एक बुनियादी कॉकपिट होता था जिसमें पायलट की सुरक्षा न के बराबर हुआ करती थी. वहीं हथियार के नाम पर इसमें मशीनगन और छोटी तोपें लगाई जाती थीं. जर्मन विमान के अलावा इनमें अमेरिका द्वारा बनाया हुआ F-86 Sabre, सोवियत का Mikoyan-Gurevich MiG-15 और ब्रिटेन के Hawker Hunter विमान शामिल थे. बॉर्डर मूवी का वो सीन याद करिए जब भारत के जंगी जहाज लौंगेवाला में पाकिस्तानी टैंक्स पर कहर बनकर टूट पड़े थे. ये  Hawker Hunter जहाज ही थे जो पहले रॉयल इंडियन एयरफोर्स में सेवा दे चुके थे. आजादी के बाद ये इंडियन एयरफोर्स का हिस्सा बने. 

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पहली पीढ़ी के जंगी जहाज (PHOTO-Wikipedia)
दूसरी पीढ़ी

1955 से 1970 के बीच बनाये गए विमानों को दूसरी पीढ़ी का विमान कहा जाता है. पिछले जेनरेशन के मुकाबले इन विमानों के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, हथियार और रडारों में जबरदस्त सुधार हुआ. इनमें एक नए किस्म के रडार का इस्तेमाल हुआ जिन्हें वार्निंग सिस्टम्स कहा जाता था. इस सिस्टम की मदद से हवा में जेट्स को उनकी ओर आ रहे खतरों का पता लग जाता. इस दौर में Mig-21F नाम का विमान आया जिसने सभी को हैरान कर दिया. इसकी हवा में मैनुवर (कलाबाजी) करने की क्षमता ने सभी देशों का ध्यान खींचा. इसके अलावा अमेरिकन विमान F-104 Starfighter, Republic F-105 Thunderchief जैसे जेट्स ने दूसरी पीढ़ी के विमानों के बीच अपना लोहा मनवाया.

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दूसरी पीढ़ी के फाइटर जेट्स (PHOTO-Wikipedia)
तीसरी पीढ़ी

विमानों की तीसरी पीढ़ी में जो सबसे बड़ा बदलाव देखने को मिला, वो था इंजन को लगाने के सिस्टम. 1970 के बाद आए विमानों में इंटीग्रेटेड इंजन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया. यानी इनमें एयरफ्रेम और इंजन एक साथ आते थे. इसके अलावा इन विमानों को मल्टीरोल विमान बनाने पर जोर दिया गया. आज जो हम मल्टीरोल यानी कई रोल्स को एक साथ निभाने वाले विमान देखते हैं, उसका सृजन तीसरी पीढ़ी में ही हुआ था. इससे पहले के विमानों में बॉम्बर अलग, इंटरसेप्टर अलग और तरह-तरह के मिशंस को अंजाम देने के लिए अलग-अलग विमान हुआ करते थे. तीसरी पीढ़ी के विमानों ने इन सभी क्षमताओं को एक धागे में पिरोया और मल्टीरोल फाइटर जेट का कॉन्सेप्ट सामने आया.

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तीसरी पीढ़ी के फाइटर जेट्स (PHOTO-Wikipedia)

एक और नई खूबी जो इन विमानों के साथ आई, वो थी बियॉन्ड विजुअल रेंज कॉम्बैट (Beyond Visual Range Combat). यानी नजर में आए बिना दूर से हमला करने की काबिलियत. सबसे बेहतर विकास हुआ तीसरी पीढ़ी के इंजन और डिजाइन में. इन विमानों के इंजन और टर्बोफैन को ऐसा बनाया गया जिससे ये सुपरसॉनिक यानी आवाज की रफ्तार पर भी स्टेबल रहें. साथ ही इनके डिजाइन को बेहतर किया गया जिससे ये हवा में मैनुवर (कलाबाजी) करने में बेहतर हो सकें. एक डॉग फाइट (हवा में 2 विमानों की लड़ाई) में मैनुवरिंग की कला का रोल बहुत ही अहम होता है. इस दौरान जो विमान बने उनमें मैक्डॉनल डगलस F4-Phantom , Mig-23 और ब्रिटिश विमान Harrier प्रमुख थे.

चौथी पीढ़ी

इस पीढ़ी के जेट्स की सबसे बड़ी खासियत है इनका पूरी तरह मल्टीरोल होना. यानी 4th जेनरेशन के जेट्स पहले विमान थे जिन्हें अलग-अलग मिशंस में मसलन इंटरसेप्टर या बॉम्बर, हर तरह से इस्तेमाल किया जा सकता था. 1970 से 2000 के दशक में बने फाइटर जेट्स को चौथी पीढ़ी का विमान माना जाता है. आपको 1986 में आई टॉम क्रूज़ की मूवी 'टॉप गन' में दिखाया गया विमान Grumman F-14 Tomcat याद होगा. ये एक चौथी पीढ़ी का विमान था जो इस मूवी के चलते काफी लोकप्रिय हुआ.

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चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान (PHOTO- Saab/Wikipedia)

इन विमानों में सबसे पहले एक तकनीक फ्लाई बाई वायर (FBW) का इस्तेमाल हुआ. इस तकनीक की खासियत ये है कि पायलट जो भी कमांड देगा, विमानों में उस कमांड को प्रोसेस करने के लिए एक कंप्यूटर लगा रहता है. पायलट का कमांड पहले कंप्यूटर के पास जाता है, फिर वहां से प्रोसेस होकर विमान को जाता है. ये तकनीक एयरक्राफ्ट को बेहतर तरीके से कंट्रोल करने में काफी मददगार साबित होती है. भारी-भरकम कंट्रोल सिस्टम्स की जगह तारों ने ले ली. इस वजह से विमान के वजन में कमी आई और उसके मैनुवर करने की क्षमता में और भी इजाफा हुआ.

4.5 जेनरेशन

चूंकि इन विमानों में कंप्यूटर और बेहतर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स का इस्तेमाल हुआ था, इसलिए पायलट को पहले की तुलना में जेट ऑपरेट करने में ज्यादा आसानी हुई. इन विमानों में पायलट के लिए एक और फीचर जोड़ा गया जिसे 'हेड अप डिस्प्ले' कहा जाता है. आजकल कई कारों में भी इससे मिलता-जुलता डिस्प्ले दिया जाता है. इससे पायलट को अपनी आंखों के ठीक सामने सारी जरूरी जानकारी दिख जाती है. इससे उड़ान के दौरान उसे बार-बार गर्दन घुमा कर देखना नहीं पड़ता. क्योंकि फाइटर जेट उड़ाते वक्त 1-2 सेकेंड का समय भी निर्णायक साबित हो सकता है.

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चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान (PHOTO- Wikipedia)

इन विमानों में ही पहली बार एक और फीचर आया जिसे स्टेल्थ कहा जाता है. ये जेट्स पूरी तरह तो नहीं लेकिन कुछ हद तक रडार से बचने में सफल साबित हुए. इनमें रडार की तरगें सोखने वाले पेंट्स का इस्तेमाल किया गया. चौथी पीढ़ी के विमानों से ही स्टेल्थ तकनीक ने फाइटर जेट्स की दुनिया में कदम रखा.इस पीढ़ी के मशहूर विमानों में Grumman F-14 'Tomcat', F-16 ‘Fighting Falcon’, F/A-18 ‘Superhornet’, Sukhoi SU-30, Sukhoi SU-35, Mig-29, Chengdu J-10, Saab Gripen, HAL Tejas और Dassault Rafale जैसे विमान शामिल हैं. भारत की वायुसेना के पास 4.5 जेनरेशन का रफाल ,Tejas Mk2 और सुखोई SU-30MKI के अपग्रेडेड वेरिएंट्स मौजूद हैं. हालांकि Tejas Mk2 विमान को अभी और भी डेवलप किया जा रहा है. तेजस Mk1A वेरिएंट ने 2024 मे अपनी पहली टेस्ट फ्लाइट पूरी की है.

पांचवी पीढ़ी

फाइटर जेट्स की कड़ी में ये सबसे नई जेनरेशन है. इंसानों से तुलना करें इसे जेन ज़ी (Gen Z) की संज्ञा दे सकते हैं. अगर एक शब्द में कहें तो इन जेट्स की सबसे बड़ी खूबी है इनका पूरी तरह स्टेल्थ होना. यानी रडार के लिए इन्हें पकड़ना शायद ही संभव है. इन जेट्स में एडवांस एवियॉनिक्स माने उन्नत इलेक्ट्रिकल सिस्टम होता है. पायलट को पूरे जंग के मैदान का जायजा मिल सके, इसके लिए ये विमान अत्याधुनिक सेंसर से भी लैस होते हैं. ये पायलट को पूरे जंग के मैदान की एक तस्वीर बना कर देते हैं. इनमें बेस से संपर्क में रहने और तालमेल बिठाकर काम करने के लिए नेटवर्क क्षमता पिछले किसी भी जेनरेशन से बेहतर है. अतीत में हुए हवाई हादसों के कारणों पर गौर करें तो पायलट का बेस से संपर्क टूटना हमेशा से एक कॉमन कारण रहा है.

इस पीढ़ी में जिस विमान ने अभी तक खुद को टॉप पर बनाए रखा है, वो है अमेरिका का फाइटर जेट F-22 Raptor. Lockheed Martin द्वारा बनाया गया ये जेट कई मोर्चों पर अपनी काबिलियत साबित कर चुका है. ये विमान रडार पर नहीं दिखता, अगर दिखता भी है तो ये किसी चिड़िया जैसा प्रतीत होता है. F-22 Raptor काफी दूर से ही खतरे को लोकेट पर उसपर हमला करने में सक्षम है. दुश्मन को पता भी नहीं चलेता कि F-22 Raptor उसके क्षेत्र में है, और तब तक Raptor उसपर हमला कर देता है.

पांचवी पीढ़ी के जेट्स में अधिकतर सिस्टम्स ऑटोमेटिक हैं. युद्ध के दौरान ये खुद से खतरे को ढूंढ़ कर, उनपर किसी तरह से, किन हथियारों से हमला किया जाए, ये भी खुद से तय कर के पायलट को बता देते हैं. पर इन जेट्स के साथ जो एक समस्या है, वो है इनकी बहुत अधिक कीमत. इसी कारण जिन देशों के पास भी इस जेनरेशन फाइटर जेट हैं, वो इसकी फ्लीट को काफी छोटा रखते हैं.

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F-35 फाइटर जेट्स का बेड़ा (PHOTO-X/Lockheed Martin)

अमेरिकन कंपनी Lockheed Martin ने एक और 5th जेनरेशन जेट F-35 Ligtning बनाया है. F-35 Ligtning नेवल वर्जन के पास वर्टिकल लैंडिंग और टेक ऑफ करने की क्षमता है. यानी ये बिना किसी रनवे पर दौड़े भी टेक ऑफ और लैंड कर सकता है. वर्तमान में सिर्फ 3 देशों के पास ऑपरेशनल 5th जेनरेशन के फाइटर जेट हैं. इनमें अमेरिका के F-22 और F-35, रूस का Sukhoi SU-57 और चीन का J-20 शामिल है. इस कड़ी में सबसे नया नाम जुड़ा है चीन के J-35 का जिसे खरीदने की योजना पाकिस्तान बना रहा है. हालांकि J-35 के पास अभी कोई ऑपरेशनल अनुभव नहीं है. इसलिए रियल सिनैरियो में इसका प्रदर्शन कैसा होगा, ये देखना अभी बाकी है.

FIFTH GEN FIGHTER JETS
पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट्स (PHOTO-Wikipedia)
छठी पीढ़ी- भविष्य

इस जेनरेशन का कोई भी जेट अभी किसी भी सेना में ऑपरेशनल नहीं है. हालांकि अमेरिका, रूस, ब्रिटेन-इटली-जापान, फ्रांस-जर्मनी-स्पेन ने घोषणा कर दी है कि वो एक 6th जेनरेशन फाइटर जेट पर काम कर रहे हैं. हाल ही में चीन ने अपने पहले 6th जेनरेशन विमान J-36 को दुनिया के सामने रखा है. इन विमानों में क्या खासियत होगी, ये तो इनके ऑपरेशनल होने के बाद ही सामने आएगा. पर विशेषज्ञ कहते हैं कि इन विमानों में स्टेल्थ क्षमता, बियॉन्ड विजुअल रेंज हमला करने की क्षमता और हथियारों में बेहतरी देखने को मिल सकती है. 

साथ ही इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI के इस्तेमाल की भी ख़बरें आईं हैं. इन विमानों में लॉयल विंगमैंन की तरह बिना पायलट के उड़ान भरने और मिशन को अंजाम देने की क्षमता होने का अनुमान है. हथियार के तौर पर इनमें लेज़र जैसे उन्नत वेपन सिस्टम का इस्तेमाल किया जा सकता है. पर जबतक कोई विमान किसी सेना में कमीशन न हो जाए, तबतक बस कयास ही लगाए जा सकते हैं.

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