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मध्य प्रदेश को जिताने वाले कोच चंद्रकांत पंडित ने बताया उन्होंने क्यों इस टीम को चुना

दो साल में चंद्रकांत पंडित ने मध्य प्रदेश को बदल दिया.

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ट्रॉफी जीतने के बाद चंद्रकांत पंडित. (फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश क्रिकेट टीम ने पहली बार रणजी ट्रॉफी जीत इतिहास रच दिया है. 1999 में अपनी कप्तानी में फाइनल गंवाने के बाद चंद्रकांत पंडित ने इस सीज़न कोच रहते हुए MP की टीम को चैम्पियन बनाया. ट्रॉफी जीतने के बाद चंद्रकांत पंडित भावुक हो गए. MP के कप्तान आदित्य श्रीवास्तव की टीम ने रणजी ट्रॉफी खिताब के लिए अपना लंबा इंतजार खत्म कर दिया है. मध्य प्रदेश ने 41 बार की चैंपियन मुंबई को हराकर भारतीय डॉमेस्टिक क्रिकेट का सबसे बड़ा टाइटल जीता है.

मध्यप्रदेश के कोच चंद्रकांत पंडित के लिए बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में ये एक यादगार वापसी थी. 1999 के 23 साल बाद पंडित की कोचिंग में मध्य प्रदेश ने इतिहास रचा तो चंद्रकांत पंडित ने कहा,

'वो एक कमाल की याद है. मैंने इसे 23 साल पहले इसी मैदान पर छोड़ा था. भगवान के आशीर्वाद से, हम यहां वापस आए हैं और इस शानदार ट्रॉफी को जीता है. मैं थोड़ा भावुक हो रहा हूं. जब मैं कप्तान था तब मैं इसे जीत नहीं पाया था. 23 साल बाद उसी मैदान पर मैंने ये ट्रॉफी जीती है. कुछ लोग कहते हैं कि 'पिता ऐसा नहीं कर सका लेकिन बेटे ने कर दिया.' आदित्य श्रीवास्तव ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है.'

चंद्रकांत मार्च 2020 में मध्य प्रदेश के कोच बने. कोच बनने के बाद उन्होंने मध्य प्रदेश की टीम में आत्मविश्वास भरा और अब ये इतिहास बन गया है. मुंबई को पहली पारी में 374 रन पर आउट करने के बाद मध्य प्रदेश के लिए यश दुबे, शुभम शर्मा और रजत पाटीदार ने शतक जड़े. इसके साथ मध्य प्रदेश ने पहली पारी में 161 रन की बढ़त बना ली. दूसरी पारी में मुंबई 269 रन पर आउट हो गई. चौथी पारी में मध्य प्रदेश ने आसानी से 108 रन बनाकर इतिहास रच दिया.

चंद्रकांत ने मैच के बाद बताया कि मध्य प्रदेश का कोच बनने से पहले उन्हें कई ऑफर्स मिले थे. कोच ने ये भी बताया कि उन्होंने इस टीम की कोचिंग करने का फैसला क्यों लिया. चंद्रकांत पंडित ने कहा,

‘कोई विशेष कारण नहीं है लेकिन मैं एक चुनौतीपूर्ण नौकरी की तलाश में था. ऐसी टीम को कोच करना चाहता था जो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही हो. उस स्टेट को विकसित करने के लिए उसमें युवा प्लेयर्स भी होने चाहिए. मैं MP के लिए खेलता था, छह साल उनके लिए खेला. मैं यहां के कल्चर को जानता था और जब मार्च 2020 में मेरे पास ये ऑफर आया, तब मैंने संकोच नहीं किया. और भी ऑफर्स थे लेकिन मैंने MP चुना. 23 साल पहले मैं कुछ पीछे छोड़ गया था. भगवान ने वापस यहां भेज दिया. कभी-कभी प्रतिभा होती है लेकिन आपको कल्चर विकसित करने की ज़रूरत होती है. मैं उसी को विकसित करने की कोशिश करता हूं.’

बतौर कोच ये चंद्रकांत पंडित की छठी रणजी ट्रॉफी जीत थी. इसके पहले उन्होंने मुंबई के साथ तीन बार और विदर्भ के साथ दो बार ये ट्रॉफी अपने नाम की है.