पार्थिव पटेल. फोटो: India Today Archive
2003 वर्ल्डकप वाली इंडियन टीम हर नाइंटीज़ और उससे पुराने वाले क्रिकेट फैंस को याद है. उसी टीम में के एक और खिलाड़ी ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया है. भारतीय क्रिकेट टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज़ पार्थिव पटेल ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया है. पार्थिव ने साल 2002 में 17 की उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट में अपना डेब्यू किया था. इंग्लैंड में डेब्यू करने वाले पटेल दुनिया के सबसे कम उम्र के विकेटकीपर बने थे. उन्होंने पाकिस्तान के हनीफ मोहम्मद का सबसे कम उम्र का रिकॉर्ड तोड़ा था. पार्थिव ने 25 टेस्ट मैचों में 31.13 की औसत से 934 रन बनाए. 25 टेस्ट के अलावा उन्होंने 38 वनडे और दो टी20 मुकाबले भी खेले. साल 2018 में जोहानिसबर्ग में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने आखिरी बार टेस्ट मैच खेला था. पार्थिव ने ट्विटर पर संन्यास की घोषणा की. पार्थिव ने लिखा,
''आज मैं 18 सालों के लंबे क्रिकेटिंग सफर में खेल के सभी प्रारूपों से संन्यास का ऐलान कर रहा हूं. मैं कई लोगों के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए काफी भावुक महसूस कर रहा हूं. बीसीसीआई ने एक 17 साल के लड़के में भारत के लिए खेलने का भरोसा दिखाया. मेरे शुरुआती सालों में, एक मार्गदर्शक की तरह मेरा हाथ पकड़ने के लिए उनके प्रति मेरी बहुत कृतज्ञता है.''
पार्थिव ने आगे लिखा,
''मैं गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन और अपने राज्य का भी धन्यवाद करता हूं. जिन्होंने मेरे इस सफर में मेरा साथ दिया. मुझे दी गई नेतृत्व की जिम्मेदारी में मुझे बहुत खुशी मिली. साथ ही हमने खेल के सभी प्रारूपों में जीत दर्ज की.''
डॉमेस्टिक क्रिकेट में पार्थिव पटेल ने 194 फर्स्ट-क्लास मैचों में 27 शतक और 67 अर्धशतकों के साथ 11,000 रन बनाए. साल 2016-17 के सीज़न में उन्होंने गुजरात की टीम को लीड किया और खिताब भी जिताया.
IPL में पार्थिव: आईपीएल में भी पार्थिव पटेल लंबे वक्त तक मौजूद रहे. वो मुंबई इंडियंस, चेन्नई सुपर किंग्स, सनराइज़र्स हैदराबाद और आरसीबी टीमों का हिस्सा रहे. पार्थिव ने 204 मैच खेले. जिसमें उन्होंने 123.84 के स्ट्राइक रेट से 23 अर्धशतक के साथ लगभग 4300 रन बनाए. पार्थिव, भारतीय टीम में अजय रात्रा के चोटिल होने के बाद आए. उनकी उम्र और कद की वजह से सभी उनका खेल देखने के लिए उत्सुक रहते थे. लेकिन साल 2004 में महेन्द्र सिंह धोनी के भारत के लिए डेब्यू करने के बाद से उनके लिए टीम की दरवाज़े लगभग बंद हो गए. एक-आध मौकों पर उनकी टीम में वापसी भी हुई लेकिन वो कभी भी टीम में फिक्स जगह नहीं बना पाए.