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Leeds Test 2002: जब सचिन-द्रविड़-गांगुली के तूफान से पहले 'बांगर दीवार' ने इंग्लैंड को क्रिकेट सिखा दिया था

INDvsENG: Leeds Test 2002 भारतीय क्रिकेट के लिए टर्निंग पॉइंट था. पेसर्स के लिए माकूल परिस्थितियों में सौरव गांगुली ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने का फैसले कर सबको चौंकाया. राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर और गांगुली ने शतक जड़े. बांगर ने नींव रखी, कुंबले-हरभजन ने इंग्लैंड को दो बार समेटा. ये मैच इतिहास के पन्नों में दर्ज है.

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लीड्स टेस्ट ने बदली भारतीय क्रिकेट की तकदीर (फाइल फोटो)

22 अगस्त 2002. जगह, लीड्स (Leeds Test 2002) का हेडिंग्ले ग्राउंड. भारत और इंग्लैंड के बीच तीसरा टेस्ट मैच. आसमान में बादल मंडरा रहे थे. बारिश तो नहीं हो रही थी, लेकिन माहौल ऐसा था कि किसी भी टीम के पेसर के चेहरे खिल जाएं. विकेट हरा-भरा. हवा में नमी. यानी पेस गेंदबाजी के लिए माकूल. 

मैदान में टॉस के लिए दोनों कप्तान आए. सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) और नासिर हुसैन (Nasser Hussain). सिक्का उछला. टॉस इंडिया ने जीता. ड्रेसिंग रूम में बैठे पेसर्स के चेहरे पर चमक आ गई. सबको लगा, दादा पहले बॉलिंग ही चुनेंगे. लेकिन दादा ठहरे दादा. उन्होंने जो कहा, उसने सबको चौंका दिया. सौरव बोले,

We would love to bat first.

मतलब, हम पहले बैटिंग करेंगे.

ये सुनकर इंग्लिश कॉमेंटेटर इयान बॉथम चकरा गए. उन्हें लगा कि शायद उन्होंने कुछ गलत सुन लिया है. वो दोबारा पूछते हैं,

Are you sure you're batting first?

यानी क्या आप सच में पहले बैटिंग करने जा रहे हैं?

इस पर गांगुली बोले,

Yes. We’re playing two spinners and want to bowl last.

जी हां. हम दो स्पिनर के साथ खेल रहे हैं और हम बाद में बॉलिंग करना चाहते हैं.

अब बॉथम क्या बोलते? बस इतना ही कह पाए,

You'll need luck.

 यानी आपको किस्मत की जरूरत होगी.

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सचिन गांगुली का कमाल

इतना कहकर बॉथम नासिर हुसैन की तरफ मुड़ गए. अब सोचिए इंग्लैंड की ओवरकास्ट कंडीशन. सामने से आ रहे होगार्ड, कैडिक और फ्लिंटॉफ जैसे मंझे हुए स्विंग बॉलर. ऊपर से दादा कह रहे हैं कि पहले बैटिंग करेंगे और दो स्पिनर्स खिला रहे हैं. ये फैसला था रिस्क वाला. लेकिन यही वो गट्स थे, जिसने उस मैच को इतिहास में दर्ज करवा दिया. इस मैच से पहले विदेशी सरजमीं पर भारत की छवि ‘घर के शेर, बाहर ढेर’ जैसी थी. ये एक ऐसी टीम थी जो घरेलू जमीन पर बेहद मजबूत दिखती थी, लेकिन विदेशों में उसका प्रदर्शन अक्सर सवालों के घेरे में रहता. लेकिन इस एक मैच ने काफी हद तक इंडियन टीम की विदेशी सरजमीं पर पहचान बदल कर रख दी. आइए, अब आपको बताते हैं इसी मैच की पूरी कहानी.

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'त्रिमूर्ति' का शतक

शुरुआत वहीं से करते हैं, जहां से कहानी बनती है. ये वही मैच है, जिसमें भारत की 'त्रिमूर्ति' राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली... तीनों ने एक ही पारी में शतक जड़ा था. वो भी इंग्लैंड में. लेकिन ये मुकाबला सिर्फ इन तीन दिग्गजों के बारे में नहीं था. इसमें संजय बांगर की जुझारू पारी भी थी. अनिल कुंबले और हरभजन सिंह की शानदार बॉलिंग भी. पर पहले बात करते हैं पहली इनिंग की.

भारत के लिए ओपनिंग करने उतरे वीरेंद्र सहवाग और संजय बांगर. शुरुआती छह ओवर दोनों किसी तरह निकालते हैं, क्योंकि बॉल में जबरदस्त स्विंग हो रही थी. लेकिन सातवें ओवर में सहवाग, मैथ्यू होगार्ड की गेंद पर फ्लिंटॉफ को कैच दे बैठते हैं. ऐसा लगने लगता है कि दादा का टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने का फैसला उल्टा पड़ गया. लेकिन एक छोर पर टिके रहते हैं संजय बांगर. उन्होंने 236 गेंदों तक इंग्लिश बॉलर्स को थामे रखा. उनके साथ खड़े होते हैं ‘द वॉल’ राहुल द्रविड़. दोनों मिलकर अगले 68 ओवर तक इंग्लैंड के बॉलर्स को झेलते हैं. बांगर भले ही सिर्फ 68 रन बनाकर आउट हुए, लेकिन उनकी पारी भारतीय क्रिकेट की उन अनसुनी कहानियों में शामिल हो गई, जिसने बाकी स्टार्स के लिए मंच तैयार किया.

द्रविड़ और बांगर के बीच 170 रन की साझेदारी हुई. बांगर के आउट होने के बाद क्रीज पर आए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर. उन्होंने उसी रफ्तार में पारी को आगे बढ़ाया, जिस लय में बांगर छोड़कर गए थे. दिन का खेल खत्म होने से पहले द्रविड़ शतक पूरा कर लेते हैं. पहले दिन का स्कोर भारत 2 विकेट पर 236 रन. द्रविड़ 110 और सचिन 18 रन पर नाबाद.

दूसरे दिन की शुरुआत भी भारत के पक्ष में जाती है. द्रविड़ और सचिन लगभग 24 ओवर तक और बल्लेबाजी करते हैं. द्रविड़ 307 गेंदों पर 148 रन बनाकर आउट होते हैं.

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द्रविड़ का शतक

इंग्लिश बॉलर्स को थोड़ी राहत जरूर मिलती है. लेकिन परेशानी अभी बाकी थी. क्रीज पर आते हैं कप्तान सौरव गांगुली. दादा आते ही अटैकिंग मोड में दिखते हैं. सचिन और गांगुली दोनों अपनी सेंचुरी पूरी करते हैं. गांगुली ने 167 गेंदों पर 128 रन बनाए, जिसमें 14 चौके और 3 छक्के शामिल थे.

दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक सचिन 185 रन बनाकर नाबाद रहते हैं. भारत ने इस दिन 83.1 ओवर में 358 रन बनाए. वो भी सिर्फ दो विकेट खोकर. तीसरे दिन की शुरुआत में ही सचिन तेंदुलकर 193 रन पर कैडिक की गेंद पर LBW हो जाते हैं. एक शानदार दोहरा शतक बस कुछ रन से चूक जाता है. इसके बाद छोटे-छोटे अंतराल पर विकेट गिरते हैं. आखिरकार टीम इंडिया 8 विकेट पर 628 रन बनाकर अपनी पहली पारी घोषित कर देती है.

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सचिन ने 193 रनों की बेहतरीन पारी खेली

अब बारी थी इंग्लैंड की. लेकिन उनके पास इस पहाड़ जैसे स्कोर का कोई जवाब नहीं था. कुंबले और हरभजन की स्पिन जोड़ी के सामने इंग्लैंड पहली पारी में सिर्फ 273 रन पर सिमट गया. माइकल वॉन (61) और एलेक स्टीवर्ट (नाबाद 78) को छोड़ दें तो कोई भी बल्लेबाज टिक नहीं पाया. कुंबले और भज्जी को 3-3 विकेट मिले. जहीर खान और आगरकर को 2-2 विकेट मिले.

इंग्लैंड को फॉलोऑन मिला. लगा शायद वापसी करेंगे. कप्तान नासिर हुसैन ने जरूर 110 रन बनाए, लेकिन उन्हें किसी और का साथ नहीं मिला. इंग्लैंड की दूसरी पारी 309 रन पर सिमट जाती है. कुंबले को इस इनिंग में 4 विकेट मिले. बांगर ने 2, जबकि आगरकर, जहीर और हरभजन को 1-1 विकेट मिला. भारत ने ये टेस्ट एक इनिंग और 46 रन से जीत लिया.

इस पूरी सीरीज में भारत के पास एक ऐसा कोर ग्रुप था जिसमें अनुभव था, युवा जोश था और गांगुली जैसा कप्तान, जो डर को आंख दिखा सकता था. राहुल द्रविड़ की ठोस बल्लेबाज़ी, सचिन तेंदुलकर की क्लास और सौरव गांगुली की ठसक ने वो कर दिखाया, जो भारतीय क्रिकेट को ज़रूरत थी...विदेश में जीत का भरोसा. लीड्स 2002 सिर्फ एक मैच नहीं था, ये एलान था कि अब इंडिया बाहर भी बेस्ट हो सकता है.

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