बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी चल रही है. कोहली ने टॉस जीता. पहले बैटिंग का फैसला किया. पृथ्वी शॉ दूसरी ही बॉल पर बोल्ड हो गए. मैच की तीसरी ही गेंद पर टीम इंडिया के नंबर तीन, चेतेश्वर पुजारा बैटिंग करने आ गए. पुजारा और मयंक ने भारतीय पारी को संभालने की कोशिश की. लेकिन जल्दी ही मयंक भी आउट हो गए. उन्हें पैट कमिंस ने बोल्ड किया. लेकिन इसके बाद पुजारा और कोहली ने पहले सेशन में भारत को और कोई नुकसान नहीं होने दिया. पहले 25 ओवर्स के बाद भारत ने दो विकेट खोकर 41 रन बना लिए थे. पहले सेशन के दौरान मैदान के साथ ट्विटर पर भी काफी एक्टिविटी दिखी. शॉ के आउट होने पर शुरू हुई बहस जल्दी ही शेन वॉर्न पर आ गई.
# कहानी स्टीव की
शेन वॉर्न इस मैच की अंग्रेजी कॉमेंट्री टीम में हैं. कॉमेंट्री के दौरान ही उनके एक कमेंट से ट्विटर की जनता नाराज़ हुई. दरअसल कॉमेंट्री के दौरान वॉर्न बार-बार चेतेश्वर पुजारा को
'स्टीव' कहकर बुला रहे थे. लोग इसी बात से गुस्सा थे.
अब आप सोच रहे होंगे कि स्टीव में क्या बुराई है ? दरअसल हाल ही में इंग्लिश काउंटी यॉर्कशर के पूर्व स्टाफ ने एक बयान दिया था. इस बयान के मुताबिक पुजारा जब यॉर्कशर में खेल रहे थे, काउंटी के लोग उन्हें
स्टीव कहकर बुलाते थे. यह खुलासा यॉर्कशर के लिए खेल चुके क्रिकेटर अज़ीम रफीक़ द्वारा काउंटी पर 'संस्थागत रंगभेद' के आरोप लगाने के बाद हुआ था. रफीक़ को वेस्ट इंडीज के पूर्व क्रिकेट टीनो बेस्ट और पूर्व पाकिस्तानी पेसर राणा नवेद उल ह़क का समर्थन भी मिला था. इस मसले पर यॉर्कशर के दो पूर्व कर्मचारियों, ताज बट और टोनी ब्रॉरी ने क्रिकइंफो से कहा था,
'वहां पर एशियन कम्यूनिटी की बात करते हुए टैक्सी ड्राइवरों और रेस्टोरेंट में काम करने वालों का रेफरेंस लगातार आता था. वे हर कलर (गोरे से इतर) पर्सन को स्टीव ही बुलाते थे. यहां तक कि टीम से ओवरसीज प्रोफेशनल के रूप में जुड़े भारतीय क्रिकेटर चेतेश्वर पुजारा को भी स्टीव ही बुलाया जाता था, क्योंकि वे उनके नाम का उच्चारण नहीं कर सकते.'
वॉर्न से गुस्साए लोगों का मानना है कि उन्हें ऐसे रंगभेदी शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए. ब्लैक लाइव्स मैटर के माहौल के बीच और इससे इतर भी ऐसे रंगभेदी शब्दों का प्रयोग निश्चित तौर पर गलत है.