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चुनाव लड़ने निकले हरियाणा के 'फुटबॉल वीर' का ये कारनामा जान सर पीट लेंगे आप!

ऐसी ख़बरें गोवा, आन्ध्र प्रदेश और अन्य प्रदेशों से भी आती रही हैं.

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हरियाणा फुटबॉल एसोसिएशन (HFA/Facebook)

इंडियन फुटबॉल. फीफा (FIFA) ने इस पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. इसके बारे में आपको पता ही होगा. ऐसा क्यों हुआ, ये भी हमने आपको बता ही दिया है. AIFF यानी ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) के पूर्व प्रेसिडेंट प्रफुल्ल पटेल (Praful Patel) का कार्यकाल दिसंबर 2020 में ही ख़त्म हो गया था, पर वो अपनी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं थे. फिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को हस्तक्षेप करना पड़ा और एक कमिटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स (CoA) का गठन कर दिया.

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इसके बाद क्या हुआ क्या नहीं, सब आपको पता ही है, नहीं पता तो यहां पढ़ लीजिए. ख़ैर, इन बातों से आगे बढ़ते हैं और आपको बताते हैं हरियाणा फुटबॉल एसोसिएशन से जुड़ा एक मजेदार मामला. अव्वल तो ये जान लीजिए कि सुप्रीम कोर्ट ने AIFF के चुनाव के लिए एक एलेक्टोरल कॉलेज का गठन करने की बात की है, जिसमें हर स्टेट एसोसिएशन से एक प्रतिनिधि शामिल रहेगा. अब आपको बताते हैं की मामला क्या है.

# AIFF Election

ललित चौधरी हरियाणा फुटबॉल एसोसिएशन के महासचिव हैं. इन महाशय ने कुछ दिनों पहले AIFF की कार्यकारी समिति में अपने आप को ही मनोनीत कर दिया. ललित भाई ने एसोसिएशन के नाम पर एक बैंक अकाउंट भी खोल लिया, और एसोसिएशन में किसी को कानोंकान खबर तक नहीं हुई. कुछ दिनों बाद AIFF ने एलेक्टोरल लिस्ट जारी की. इसमें जब ललित भाई का नाम पाया गया, तब हरियाणा फुटबॉल एसोसिएशन में सबका दिमाग ठनका.

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इसके बाद HFA के प्रसिडेंट सूरज पाल ने AIFF को इसके बारे में सूचना दी. इस चिट्ठी में सूरज ने लिखा कि गवर्निंग कमिटी को बिना सूचित किए ललित चौधरी ने ये कदम उठाया है. आप जल्द से जल्द इस सूची से उनका नाम हटा दें. इसके साथ ही सूरज ने एक एफिडेविट जारी करते हुए बताया कि वो अपनी तरफ से शफाली नागल को मनोनीत कर रहे हैं. इसके साथ-साथ सूरज ने ललित चौधरी को एक शोकॉज़ नोटिस भी भेजा है.

सूरज पाल द्वारा लिखा गया लेटर

जिस चिट्ठी से सूरज पाल ने AIFF को ये सूचना दी, उसमें सबसे रोचक बात ये लिखी हुई है,

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‘हमने आपको 6 अगस्त को सूचित कर दिया था कि हम अपना ईमेल एड्रेस नहीं चला पा रहे हैं. आपने हमें अपडेट भी कर दिया था, पर हम इसे एक्सेस नहीं कर पा रहे है. ललित चौधरी ने इसे एक्सेस कर लिया और इससे बिना हमारी जानकारी या आज्ञा के अपने आप को मनोनीत कर लिया.’

तो लब्बोलुआब ये है कि कुर्सी का प्रेम सिर्फ AIFF तक सीमित नहीं है. ये स्टेट फेडरेशन्स में भी घुलमिल चुका है. ऐसी ही घटनाएं गोवा, आन्ध्र प्रदेश और अन्य प्रदेशों से भी आई हैं. इंडियन फुटबॉल को फीफा न जाने कितने दशकों से 'स्लीपिंग जाइंट' कह रहा है. ऐसी घटनाएं देखने के बाद ऐसा लगता है, गलत नहीं कह रहा है. कम-से-कम वो स्लीपिंग वाला पार्ट तो ठीक ही है.

भारत से पहले FIFA किन देशों पर बैन लगा चुका है?

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