‘निश्चित तौर पर जब आप अच्छा नहीं करते हैं, तो लोग आपके बारे में एक राय बनाते हैं और हम इसका सम्मान करते हैं. मेरे हिसाब से लोगों की अलग-अलग राय होती है. हालांकि मुझे नहीं लगता है कि मुझे किसी को कुछ साबित करने की जरूरत है.’
हार्दिक पंड्या, कप्तान इंडियन क्रिकेट टीम.
हार्दिक पंड्या. कुछ महीने पहले तक टीम पर बोझ बताए जा रहे थे. लगातार टीम इंडिया में उनकी पोजिशन पर सवाल खड़े होते थे. लोग तरह-तरह की बातें करते थे. हार्दिक को टीम से ड्रॉप भी किया गया. फिर आया IPL2022. सुपरस्टार हार्दिक पंड्या ने बेहतरीन वापसी की. पहले ही सीजन में अपनी टीम गुजरात टाइटंस को IPL चैंपियन बना दिया. फिर उन्होंने टीम इंडिया में वापसी की. आजकल गजब की क्रिकेट खेल लोगों को फिर से अपना दीवाना बना लिया.
और ये सब कैसे हुआ? जब उन्होंने खुद को साबित किया. लेकिन खुद को साबित करने के बाद अब हार्दिक को लगता कि टीम इंडिया को किसी को कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है. लेकिन मुझे लगता है कि वह पूरी तरह से गलत हैं. और साथ ही गलत हैं वो लोग भी, जो उनके जैसा सोचते हैं. फिर चाहे वो इंडियन क्रिकेटर हों या सेलेक्टर या फिर कोई प्रेसिडेंट. और ऐसा क्यों है? आज मैं यही बताऊंगा.
# साबित करना ही होगासाबित करना. दो शब्द. जिनके बहुत व्यापक अर्थ हैं. योग्य लोग खुद को साबित करना एक चैलेंज समझते हैं. उन्हें लगता है कि ऐसा करके वो अपने बारे में बातें कर रहे लोगों को शांत कर सकते हैं. लेकिन हमारी टीम की तो मेंटैलिटी ही डिफरेंट है. दे आर बिल्ट डिफरेंट. उन्हें लगता है कि वो सबकुछ अचीव कर चुके हैं. और उन्हें अब खुद को साबित करने की जरूरत नथी.
और इस हासिल करने की लिस्ट देखें तो टॉप पर हमारी आखिरी ट्रॉफी साल 2013 में आई थी. जब हमने चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम की थी. धोनी की कप्तानी में आई ये ट्रॉफी हमारी आखिरी ICC ट्रॉफी है. इसके बाद से हम टिनपॉट यानी कनस्तरी ट्रॉफीज़ ही जीत रहे हैं. हम पूरे दिन, हफ्ते, महीने और साल द्विपक्षीय सीरीज़ में पूरी दुनिया की टीम्स को हराते हैं.
और फिर ICC और अब तो ACC इवेंट आते ही खेत हो जाते हैं. इसके बाद हमारे प्लेयर्स का एटिट्यूड ऐसा है कि कहिए मत. इनका साफ-साफ कहना है कि इन्हें खुद को साबित करने की जरूरत नहीं है. जबकि ये खेल ऐसा खेलते हैं जिसमें आपको हर रोज खुद को साबित करना होता है. आप ये नहीं कह सकते कि साल 2019 में लगातार पांच शतक मारे थे, इसलिए साल 2022 में मुझे वर्ल्ड कप दे दो.
आपको साल 2022 का वर्ल्ड कप चाहिए तो हर रोज क्या करना होगा? खुद को साबित. और आपको इसकी निश्चित तौर पर जरूरत है. बहुत ज्यादा जरूरत है. आप इससे बच नहीं सकते. आपको ये करना ही होगा. नहीं करेंगे तो लोग आपको भुला देंगे. फिर ना तो आपकी सोशल मीडिया की फॉलोविंग काम आएगी और ना ही लटके-झटके.
# ये भी ठीक है Hardik जीवैसे हार्दिक की बात सही भी है. वो क्यों खुद को साबित करने का लोड लें. जीवन में क्या ही कमी है. हमारे प्यारे क्रिकेटर्स के पास तो सबकुछ है. शोहरत है, इज्जत है, रुपया-पैसा है. और काफी ज्यादा आराम भी है. हर दूसरे टूर में किसी ना किसी को रेस्ट दे ही दिया जाता है. साबित करने की रेस में तो वो लोग हैं जो इन क्रिकेटर्स का मैच देखने के लिए पैसा और वक्त दोनों फूंकते हैं. जो जेब खाली कर, सुविधाओं के नाम पर प्रॉपर बकेट सीट भी मुश्किल से पाते हैं.
वो लोग रहें साबित करने की रेस में. हमारे महान क्रिकेटर्स तो कनस्तरिया ट्रॉफी जीतकर खुद को साबित कर ही रहे हैं. और वैसे भी. इंग्लैंड भले दुनिया जीत गया हो, लेकिन हमसे तो हारा ही था ना. वो भी अपने ही घर में. फिर, कौन हुआ असली वर्ल्ड चैंपियन? कैल्कुलेट करिए, हम फिर मिलेंगे.
रमीज राजा पर बोलना कामरान अकमल को बहुत भारी पड़ा