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रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है

आज मशहूर शायर और गीतकार शकील बदायूंनी का जन्मदिन है. पढ़िए उनकी ये कविता.

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फोटो - thelallantop

कैसे कह दूं कि मुलाकात नहीं होती है

कैसे कह दूं कि मुलाकात नहीं होती है रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है   आप लिल्लाह न देखा करें आईना कभी दिल का आ जाना बड़ी बात नहीं होती है   छुप के रोता हूं तेरी याद में दुनिया भर से कब मेरी आंख से बरसात नहीं होती है   हाल-ए-दिल पूछने वाले तेरी दुनिया में कभी दिन तो होता है मगर रात नहीं होती है   जब भी मिलते हैं तो कहते हैं कैसे हो ‘शकील’ इस से आगे तो कोई बात नहीं होती है…
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'बस इतना ही प्यार किया हमने'

‘ठोकर दे कह युग – चलता चल, युग के सर चढ़ तू चलता चल’

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