इंडियन टीम में एक साल रहने के बाद वो ड्रॉप हुए और फिर रणजी में रम गए. इंडियन टीम में उनकी जगह ली अजय रात्रा ने. बंगाल का सबसे सक्सेसफुल कैप्टन - दीप दासगुप्ता. सौरव गांगुली का वारिस. संबरण बनर्जी के बाद एकमात्र कैप्टन जिसने बंगाल को दो रणजी ट्रॉफी फाइनल्स में लीड किया. अगली बार जब सामने वो वीडियो आये जिसमें 3 बुड्ढे कमेंट्रेटर धोनी की नक़ल उतारना चाह रहे थे, तो याद रहे वो वही विकेटकीपर था जिसने इंग्लैंड के खिलाफ़ 2001 में पहली इनिंग्स के 238 रन का पीछा करते हुए सेंचुरी जमाई थी.
इसी सीरीज़ में एक ऐसा किस्सा हुआ जिसने इंडियन टीम और खासकर तेंदुलकर के ऊपर एक बट्टा लगा दिया. तेंदुलकर पर एक बॉल टेम्परिंग का आरोप लगा है. सीरीज़ साउथ अफ्रीका के खिलाफ़ थी. यही दीप दासगुप्ता की पहली सीरीज़ थी. इसी सीरीज़ के एक मैच में सचिन, सहवाग, गांगुली, दीप दासगुप्ता, हरभजन सिंह और शिव सुन्दर दास को अम्पायर माइक डेनिस ने एक मैच के लिए बैन कर दिया. सचिन को बॉल टेम्परिंग के आरोप में बैन किया गया और गांगुली के अलावा बाकी लोगों को ज़रुरत से ज़्यादा अपील करने और अम्पायर के फैसले पर असहमति जताने के लिए बैन किया गया. इसके अलावा गांगुली का सस्पेंशन सबसे ज़्यादा अजीब था. उन्हें इसलिए बैन किया गया क्यूंकि एक कप्तान के तौर पर वो अपनी टीम को सम्भाल नहीं पा रहे थे.
दीप दासगुप्ता, इंडिया का टेस्ट विकेटकीपर जिसकी पहली कोच एक महिला थी
उसी मैच में डेब्यू किया था, जिस मैच में सहवाग ने किया था.
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फोटो - thelallantop
एम. एस. धोनी ने एक रन आउट किया. न्यूजीलैंड के खिलाफ़. रॉस टेलर रन आउट हुए थे. धोनी ने गेंद पकड़ी और बिना देखे अपने पीछे लगे स्टंप्स पर दे मारी. टेलर आउट हो चुके थे. अगले मैच के ठीक पहले कमेंट्रेटर्स की टीम ने उसी रन आउट का टीवी की भाषा में 'नाट्य रूपांतरण' किया. लक्ष्मण शिवरामकृष्णन ने गेंद फेंकी. माइक एथर्टन ने गेंद को टैप किया. संजय मांजरेकर गेंद की ओर दौड़े. इधर नॉन-स्ट्राइकिंग एंड पर खड़े सुनील गावस्कर थोड़ा असमंजस में थे लेकिन दौड़ पड़े. संजय मांजरेकर ने गेंद पकड़ी और कीपर की ओर फेंक दी. कीपर ने स्टम्प के आगे गेंद पकड़ी, स्टंप्स में मार दी. वीडियो वायरल हो गया. बुड्ढे हो चुके क्रिकेटर्स धोनी की बराबरी करने की कोशिश कर रहे थे. इस पूरे दौरान हर एक शख्स का नाम मालूम था. बस उस विकेट कीपर का नाम नहीं मालूम था. गठीला शरीर. बाकी कमेंट्रेटरों से कम उम्र का. करीने से सजे बाल.
दीप दासगुप्ता. बंगाली विकेटकीपर बैट्समैन. 7 जून 1977 को बिहार के पूर्णिया में पैदा हुआ. इंडिया के लिए एक साल में 8 टेस्ट और 5 वन डे मैच खेले और फिर गायब हो गया. उसकी जगह अजय रात्रा आया. लेकिन बात अंत की नहीं, शुरुआत की. जन्म बिहार में लेकिन शुरुआत दिल्ली में. दिल्ली में बढ़ते हुए दीप की मुलाकात हुई क्रिकेट से. सीज़न बॉल क्रिकेट से. और यहां स्कूल और क्लब के लिए खेलने की शुरुआत हुई. और दीप दासगुप्ता की कोचिंग शुरू हुई. दीप दासगुप्ता की शुरुआती कोचिंग के बारे में जो बात सबसे ज़्यादा मज़ेदार है वो ये है कि दीप दासगुप्ता की पहली कोच एक महिला थीं. सुनीता शर्मा. सुनीता शर्मा इंडिया की पहली महिला कोच थीं जन्हें आगे चलकर द्रोणाचार्य अवॉर्ड दिया गया. सुनीता ने ही शुरूआती दौर में दीप दासगुप्ता को निखारना शुरू किया और फिर उन्हें गुरशरण सिंह के हवाले कर दिया. दीप दासगुप्ता ने जब रणजी ट्रॉफी में पहला मैच खेला तो वो उस लीग में शामिल हो गये जिसमें सचिन तेंदुलकर शामिल हैं. दीप ने अपने पहले ही रणजी मैच में सेंचुरी मारी. बड़ौदा के खिलाफ़ खेलते हुए दीप दासगुप्ता ने पहले ही रणजी मैच में सेंचुरी मारी. दीप दासगुप्ता ने जब अपना पहला टेस्ट मैच खेला, वही टेस्ट सहवाग का भी पहला टेस्ट था. सहवाग चमक गए थे क्यूंकि अपने पहले ही मैच में उन्होंने सेंचुरी जमाई थी. दीप दासगुप्ता को साउथ अफ्रीका टूर के लिए टीम में लिया गया था. लेकिन अंतिम ग्यारह में उन्हें जगह मिलना मुश्किल लग रहा था. मैच के एक घंटे पहले दासगुप्ता के पास सौरव गांगुली आये और बोला कि आज उनका पहला मैच होगा. हुआ ये था कि उस वक़्त के विकेटकीपर समीर दीघे की पीठ में खिंचाव आ गया था.
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