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विप्रो ने एंप्ल़ॉयी के रिलीविंग लेटर में ऐसे शब्द लिखे, हाईकोर्ट ने कहा- गलती सुधारो, 2 लाख रुपये भरो

एंप्लॉयी कंपनी में एंप्लॉयी 14 मार्च 2018 से विप्रो में बतौर प्रिंसिपल करेस्पॉन्डेंट काम कर रहा था. उसने 5 जून 2020 को इस्तीफा दे दिया. मगर कंपनी की तरफ से जारी रिलीविंग लेटर में कहा गया कि एंप्लॉयी की बर्ताव जलन भरा था. उसके बर्ताव से कंपनी-एंप्लॉयर के रिश्ते को नुकसान पहुंचा है. फिर शख्स हाई कोर्ट पहुंच गया.

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कोर्ट ने कंपनी को पुराना रिलीविंग लेटर टर्मिनेट करके नया रिलीविंग लेटर जारी करने का आदेश दिया है. (Pic Credit- Freepik)

IT कंपनी विप्रो(Wipro) पर एंप्लॉयी के रिलीविंग लेटर में अपमानजनक शब्द लिखना भारी पड़ गया है. दिल्ली उच्च न्यायालय(Delhi High Court) ने रिलीविंग लेटर में अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए पूर्व कर्मचारी को दो लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने 14 जुलाई को एक फैसले में ये आदेश दिया. साथ ही कोर्ट ने नया लेटर भी जारी करने का निर्देश भी दिया.

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मामले में पीड़ित एंप्लॉयी 14 मार्च 2018 से विप्रो में बतौर प्रिंसिपल करेस्पॉन्डेंट काम कर रहा था. उसने 5 जून 2020 को इस्तीफा दे दिया. मगर कंपनी की तरफ से जो रिलीविंग लेटर मिला उसने कैरेक्टर और कामकाजी व्यवहार पर टिप्पणी की गई थी.

रिलीविंग लेटर या एक्सपीरियंस लेटर वो लेटर होता है, जो कंपनी अपने यहां काम करने के बदले पूर्व एंप्लॉयी को देती है, जो इस बात का सबूत होता है कि उसने इस अवधि में उनकी कंपनी में काम किया है. लेटर में एंप्लॉयी के बर्ताव को लेकर कुछ टिप्पणी भी होती है, जो सामान्य केस में अच्छी ही होती है मगर इस केस में ऐसा नहीं हुआ.

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कोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक, लेटर में उसके बर्ताव को जलन से भरा हुआ बताया गया था. ये भी लिखा गया था कि उसके काम की वजह से एंप्लॉयर(कंपनी) और एंप्लॉयी के रिश्ते को अपूरणीय क्षति हुई है. एंप्लॉयी ने इन अपमानजनक शब्दों को हटवाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एंप्लॉयी के हक में फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि लेटर में लिखे शब्दों की वजह से एंप्लॉयी की छवि खराब हुई है, उसकी पेशेवर विश्वसनीयता कम हुई और उसे भावनात्मक तनाव भी हुआ है. इसकी भरपाई के लिए विप्रो एंप्लॉयी को 2 लाख रुपये दे.

कोर्ट ने ये भी कहा कि लेटर से अगर इन शब्दों को हटाया नहीं गया तो उसकी गरिमा और आगे करियर में उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहेंगे. ऐसा ना हो इसके लिए कोर्ट ने कहा कि पुराने लेटर को टर्मिनेट करके, कैरेक्टर को लेकर की गई टिप्पणी हटाते हुए एक नया रिलीविंग लेटर जारी किया जाए. 

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बहरहाल, अभी तक इस मामले में विप्रो की तरफ से कोई स्टेटमेंट नहीं आया है. हालांकि, कोर्ट ने आदेश में ये भी कहा है कि नया लेटर जारी होने का मतलब ये ना समझा जाए कि उनका टर्मिनेशन भी रद्द कर दिया गया है. वो पूर्व एंप्लॉयी ही रहेंगे.

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