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पुडुचेरी में बड़ा घोटाला! BCCI की नाक के नीचे हो रहा था सब, फर्जी आईडी पर खेल रहे थे प्लेयर्स

प्राइवेट कोच क्रिकेटर्स को लोकल बताने के लिए पैसे ले रहे थे. लोकल क्रिकेट असोसिएशंस में बैक डेट पर एडमिशन दिला रहे थे. लेकिन, अध‍िकारी आरोपों को ये बताकर खारिज कर रहे हैं कि जांच का काम बीसीसीआई का है.

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पुडुचेरी क्रिकेट संघ में बड़ी गड़बड़ी का मामला उजागर हुआ है. (फोटो-CAP)

देश में अब हर क्रिकेटर का सपना होता है कि वो IPL खेले. इसके लिए वो अपना सबकुछ दांव पर लगाने के लिए भी तैयार होता है. दिन-रात मेहनत करता है ताकि रणजी टीम में जगह बना सके. बदले में क्या चाहता है. सेलेक्शन प्रोसेस में ईमानदारी. पुडुचेरी में इसके बिल्कुल उलट हो रहा है. फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाकर न सिर्फ प्लेयर्स को टीम में जगह दिलाई जा रही है. पैसे लेकर एलिजिबिलिटी सर्टि‍फिकेट्स तक बनवाए जा रहे हैं. कुल मिलाकर क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ पुडुचेरी (CAP) में धड़ल्ले से गड़बड़ि‍यां हो रही हैं. वो भी BCCI की नाक के नीचे, लेकिन कोई खबर लेने वाला नहीं था.

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द इंडियन एक्सप्रेस की पड़ताल में ये पूरा मामला उजागर हुआ. केंद्र शासित प्रदेश में लगभग 2000 प्लेयर्स के रजिस्ट्रेशन फॉर्म की जांच और कई पूर्व क्रिकेटर्स और ऑफ‍िश‍ियल्स से बातचीत के बाद पूरे घोटाले का पता चला है. इसके अनुसार, स्थानीय कोचेज और प्राइवेट अकादमी की भी इसमें पूरी मिलीभगत है. ये एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में बैकडेट में एडमिशन और फर्जी आधार कार्ड तक बनवा रहे थे. ताकि बीसीसीआई की मैंडेटरी एक साल रेजिडेंसी की योग्यता पूरी हो जाए. उन्हें इस तरह ‘लोकल’ बनाने के लिए 1.2 लाख तक की फीस तक ली जाती थी. ये फर्जीवाड़ा सिर्फ सीनियर टीम में जगह दिलाने के लिए नहीं था, बल्कि एज ग्रुप में भी इसी तरह मौका दिलाया जाता था.

उदाहरण के तौर पर 8 राज्यों के 17 ‘लोकल’ क्रिकेटर्स, जो CAP के अलग-अलग टीमों का हिस्सा हैं. सबका आधार पता एक ही है. मूलाकुलम का मोतिलाल नगर. घर के मालिक ने जांच में बताया कि कुछ साल पहले 4 क्रिकेटर्स ने लीज पर घर लिया था. लेकिन, कुछ महीने तक पेमेंट नहीं होने के कारण उन्हें निकाल दिया गया था. थोड़ा ये भी समझ लेते हैं कि पुडुचेरी क्यों?

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रणजी ट्रॉफी में खेलने का मतलब है. आप लोगों की नज़र में आ जाएंगे. अच्छी मैच फीस तो मिलेगी ही. साथ ही स्पोर्ट्स कोटा में जॉब मिलेगी वो अलग. एक जूनियर प्लेयर भी 11.2 लाख तक एक सीजन में कमा सकता है. अगर वो सारे यानी सातों लीग मैच खेले. साथ ही, टी20 सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और 50 ओवर वाले विजय हजारे ट्रॉफी में प्रदर्शन का मतलब है IPL का टिकट.

जांच में क्या-क्या पता चला?

# पिछले चार सालों में टीम ने 29 रणजी मैच खेले हैं. इनमें सिर्फ पांच ही प्लेयर ऐसे थे, जिनका जन्म पुडुचेरी में हुआ था. इस सीजन वीनू मांकड़ ट्रॉफी के पहले U19 मैच में, 11 प्लेयर्स में से नौ दूसरे राज्यों के खिलाड़ी थे. लेकिन, सभी को "लोकल" बताया गया था.

# पिछले सीजन 15-सदस्यीय सीनियर टीम में पुडुचेरी में पैदा हुए चार से ज्यादा खिलाड़ी नहीं थे. बाकी खिलाड़ी दूसरे राज्यों के थे, जिनके पास "लोकल" कहलाने के लिए जरूरी सभी डॉक्यूमेंट्स थे. हर सीनियर टीम में आधिकारिक तौर पर सिर्फ तीन "बाहरी" प्लेयर हो सकते हैं.

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# 2025-26 रणजी ट्रॉफी में, सीजन के पहले हाफ में पुडुचेरी के पांच मैचों में से किसी में भी कोई लोकल प्लेयर नहीं खेला.

# T20 पुडुचेरी प्रीमियर लीग (PPL) 2025 सीजन में बाहर के क्रिकेटरों को बिना रोक-टोक शामिल करने का विरोध करने पर CAP ने पांच लोकल क्रिकेटरों पर बैन लगा दिया है.

# 2019 में, BCCI ने पुडुचेरी के छह प्लेयर्स पर बैन लगा दिया था, क्योंकि उन्होंने अपने रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड में एक काल्पनिक "सेंथिल इंस्टीट्यूट" का नाम लिखा था.

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पूर्व क्रिकेटर ने क्या बताया?

पुडुचेरी के पूर्व क्रिकेटर संतामूर्ति ने बताया,

नॉर्थ इंडियन क्रिकेटर आते हैं. पैसे देते हैं और अगले ही दिन खेलने लगते हैं. बिना एक साल की ज़रूरी रेसिडेंसी की शर्त को फिजिकली पूरा किए.

2019 में संतामूर्ति ने डेब्यू पर पांच विकेट लेकर फर्स्ट-क्लास वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया था. वह डेब्यू पर फाइफर लेने वाले सबसे उम्रदराज बॉ‍लर बन गए थे. बाद में 41 साल और 129 दिन की उम्र में T20 मैच (मुंबई के खिलाफ) में पांच विकेट लेने वाले वह सबसे उम्रदराज पेसर बन गए. संतामूर्ति के अनुसार, पैरेलल सिस्टम में प्राइवेट अकादमियों के कोच अहम भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा,

मैं एक ऐसे कोच को जानता हूं जो पूरे देश से खिलाड़ियों को उस अकादमी में लाता है जहां वह कोचिंग देता है. जो लोग पैसे दे सकते हैं, वे बस ग्राउंड पर आते हैं और डील पक्की कर लेते हैं.

हालांकि, इन दावों को एस वेंकटरमन को गलत बताते हैं. वेंकटरमन CAP के जॉइंट सेक्रेटरी (2019-22) रह चुके हैं. दलीप ट्रॉफी 2025-26 में वो साउथ जोन के असिस्टेंट कोच रहे हैं. साथ ही CAP की अंडर-19 टीम के भी कोच हैं. अभी सितंबर 2025 में उनके भाई कार्त‍िकेयन CAP के सेक्रेटरी बने हैं. उन्होंने कहा,

हम एलिजिबिलिटी के मामले में सिर्फ़ BCCI के नियमों का पालन कर रहे हैं. कोई स्टेट एसोसिएशन आधार और पैन जैसे सरकारी डॉक्यूमेंट्स को क्रॉस-वेरिफाई करने के लिए कैसे ज़िम्मेदार हो सकता है, जो एक प्लेयर ने सबमिट किए हैं? हम सभी डॉक्यूमेंट्स को क्रॉस-वेरिफिकेशन के लिए BCCI को भेज देते हैं.

वेंकटरमन ‘जगत एकेडमी’ नाम की एक प्राइवेट क्रिकेट कोचिंग सेंटर भी चलाते हैं. इस संस्थान पर पूर्व क्रिकेटर्स ने ये आरोप भी लगाए हैं कि ये दूसरे स्टेट के प्लेयर्स को CAP की स्क्वॉड में फास्ट ट्रैक से पहुंचा देता है. आरोप से इनकार करते हुए वेंकटरमन ने कहा, 

पुडुचेरी एक एजुकेशन बेस्ड शहर है. स्थानीय लोगों में अच्छी क्वालिटी के खिलाड़ी कम हैं, इसलिए हम ऐसे खिलाड़ियों को चुनते हैं जो अच्छा प्रदर्शन करते हैं. चाहे उनका बैकग्राउंड कुछ भी हो.

सेंथि‍ल ने क्या बताया है उपाय?

भारतीदासन पुडुचेरी क्रिकेटर्स फोरम के फाउंडर सेंथिल कुमारन के अनुसार,

एक साल की एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया पुडुचेरी क्रिकेट में सभी समस्याओं की मुख्य वजह है. मैंने BCCI को ईमेल में कई बार यह मुद्दा उठाया है.

यह फोरम पूर्व लोकल प्लेयर्स ने "CAP के खिलाफ BCCI तक शिकायतें पहुंचाने के लिए एक ऑफिशियल चैनल बनाने" के लिए बनाया था.

कुमारन ने BCCI से रणजी ट्रॉफी चैंपियन विदर्भ जैसा स्ट्रक्चर अपनाने का आग्रह किया. 2005 में BCCI के नियमों के अलावा, विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन ने अपने खुद के एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया बनाए. इसमें लोकल खिलाड़ी के तौर पर लिस्ट होने के लिए एफिलिएटेड क्लबों के साथ तीन साल का एजुकेशनल या खेलने का रिकॉर्ड ज़रूरी कर दिया गया.

CAP
पुडुुुुुचेरी क्रिकेट संघ की ओर से जारी किया गया सीईओ का बयान. (फोटो-CAP)

हालांकि,  CAP के सीईओ राजू मेथा ने इन आरोपों को खारिज किया है. उनके अनुसार, क्रिकेट संघ पर लगाए सभी आरोप बेबुनियाद हैं. साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया है कि जानबूझकर संघ और इससे जुड़े लोगों की छवि बिगाड़ने के लिए ये आरोप लगाए हैं.       

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