The Lallantop

220 गेंदों पर 33 रन बनाने वाले एबीडी ने कैसे बनाया 31 गेंदों में शतक?

एबीडी की वो 5 पारियां जो बताती हैं कि यूं ही नहीं कोई डिविलियर्स बन जाता.

post-main-image
एबी डिविलियर्स. फोटो: Getty Images
एबी डिविलियर्स. वर्ल्ड क्रिकेट का वो नाम जिसे मॉर्डन डे क्रिकेट में वन ऑफ दी ग्रेटेस्ट कहा जाता है. शुक्रवार 19 नवंबर को डिविलियर्स ने ऐलान किया कि वो अब क्रिकेट जगत को पूरी तरह से अलविदा कह रहे हैं. यानी अब एबीडी क्रिकेट के मैदान पर नहीं दिखेंगे. एबी डिविलियर्स के इस ऐलान के बाद से सोशल मीडिया पर एबीडी से जुड़े कई ट्रेंड्स देखे गए. हो भीं क्यों ना, एबीडी नाम ही इतना बड़ा हैं.
साउथ अफ्रीकी क्रिकेट के लिए एबी ने साढ़े आठ हज़ार से ज़्यादा टेस्ट रन. साढ़े नौ हज़ार से ज़्यादा वनडे और 1500 से ज़्यादा T20 रन बनाए. वहीं ओवर ऑल रिकॉर्ड की बात करें तो एबीडी के नाम 30 हज़ार से ज़्यादा रन हैं. डिविलियर्स को अकसर एक अटैकिंग बल्लेबाज़ कहा जाता रहा है. लेकिन क्या सिर्फ़ अटैकिंग बल्लेबाज़ होने पर किसी खिलाड़ी को ऐसी ख़्याती मिल सकती है? नहीं ऐसा नहीं है. एबी डिविलियर्स भी बिल्कुल ऐसे नहीं है. जैसा हम उन्हें कई मौकों पर पाते हैं. सिर्फ मिस्टर 360. 360 से इतर भी डिविलियर्स ने क्रिकेट जगत को अपनी तकनीक और संयम दिखाया है.
आज इस स्टोरी में हम एबी डिविलियर्स की ऐसी ही पांच इंटरनेशनल पारियों का ज़िक्र करेंगे जिनमें उन्होंने बताया कि आखिर क्यों एबीडी ग्रेट हैं. 2008 पर्थ टेस्ट: 2004 में एबीडी को पहली बार साउथ अफ्रीका के लिए टेस्ट डेब्यू का मौका मिला. इसके बाद कई मौकों पर उन्होंने कमाल की पारियां खेलीं. लेकिन साल 2008 में जब साउथ अफ्रीकी टीम ऑस्ट्रेलिया पहुंची तो पर्थ टेस्ट की उन्होंने पूरी कहानी ही पलट दी. मैच में ऑस्ट्रेलिया पहले बैटिंग के लिए आया. उन्होंने साइमन कैटिच(83 रन), माइकल क्लार्क(62 रन) और एंड्र्यू सायमंड्स(57 रन) की मदद से 375 रन बना दिए.
जवाब में साउथ अफ्रीकी टीम ऑस्ट्रेलिया से बेहतर नहीं हो सकी. मिचेल जॉनसन ने आठ विकेट चटकाए और साउथ अफ्रीका को 281 रनों पर रोक दिया. इस पारी में भी एबीडी ने खूब संघर्ष किया. उन्होंने 130 गेंदों में 63 रन बनाए और जैक कैलिस के साथ मिलकर टीम को 281 तक पहुंचाया.
ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी के आधार पर 94 रनों की एक बड़ी बढ़त मिल गई थी. इसके बाद दूसरी पारी में तो ऑस्ट्रेलिया ने मैच दूर ले जाने वाला काम कर दिया. ब्रैड हेडिन की 94 और बाकी बल्लेबाज़ों की छोटी-छोटी पारियों की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने 319 रन बना दिए. अब साउथ अफ्रीका के सामने मैच के सबसे मुश्किल चौथे और पांचवे दिन 414 रनों का लक्ष्य था.
Abd Perth Test
एबी डिविलियर्स. फोटो: Getty Images

टीम को कप्तान ग्रेम स्मिथ ने बढ़िया शुरुआत दिलाई. लेकिन चौथा दिन खत्म होते-होते स्मिथ, अमला और नील मैकेंज़ी वापस लौट गए. अब भी जीतने के लिए 230 से ज़्यादा रनों की ज़रूरत थी. और जिम्मा एबीडी और कैलिस पर आ गया था. यहां से एबीडी ने 186 गेंदों पर 106 रनों की ऐसी नॉट-आउट पारी खेली कि अपनी टीम को 414 रनों वाला बड़ा लक्ष्य चेज़ करवा दिया. एबीडी ने दूसरी पारी में पूरी टीम में सबसे ज़्यादा 276 मिनट बल्लेबाज़ी की और मैच में टीम के पिछड़ने के बाद भी टीम को एक ऐतिहासिक जीत दिलाई.
पहले टेस्ट में जीत के बाद साउथ अफ्रीका ने दूसरा टेस्ट भी जीता और सीरीज़ पर भी अपना कब्ज़ा जमाया. 2010 अबू धाबी टेस्ट: अपनी तूफानी बैटिंग के लिए पहचाने जाने वाले एबी डिविलियर्स ने साल 2010 में टेस्ट क्रिकेट में एक बार फिर से ऐसी ही यादगार पारी खेली. अबू धाबी के गर्म मौसम में पाकिस्तान के खिलाफ साउथ अफ्रीका दूसरा टेस्ट मैच खेल रहा था. पाकिस्तान ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग चुनी. 33 के स्कोर तक तो पाकिस्तान ने अफ्रीकी टीम के तीन बल्लेबाज़ों को वापस पवेलियन भेज दिया. लेकिन इसके बाद खेल सेट किया एबी डिविलियर्स ने. वो पहले दिन ही लंच से पहले बैटिंग के लिए उतर गए. और दूसरे दिन के आखिरी सेशन तक बैटिंग करते रहे.
Abd 2010 Abu Dhabi Test
2010 टेस्ट के दौरान एबीडी. फोटो: Getty Images

इस मैच की इस पारी में एबीडी ने 418 गेंदों का सामना किया और 278 रनों की एक मैराथन पारी खेली. जिसमें उन्होंने 28 चौके और छह छक्के लगाए. इस पारी की सबसे खास बात ये रही कि उन्होंने इस इनिंग में कुल 601 मिनट बल्लेबाज़ी की और पूरी पारी में कोई भी पाकिस्तानी गेंदबाज़ उन्हें आउट नहीं कर पाया. उनकी इस पारी की मदद से साउथ अफ्रीका ने 584 रन बनाए. ये मैच बाद में ड्रॉ पर खत्म हुआ लेकिन एबी डिविलियर्स ने जिस तरह से विदेशी कंडीशंस में ये पारी खेली उसे हमेशा याद किया जाएगा. 2012 एडिलेड टेस्ट: 2010 में पाकिस्तान को रुलाने के बाद 2012 में एक बार फिर से ऑस्ट्रेलिया का नंबर लगना था. साउथ अफ्रीका की टीम एक बार फिर से ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी. एडिलेड में सीरीज़ का दूसरा टेस्ट खेला जाना था. ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में बोर्ड पर 550 रनों का बड़ा टार्गेट लगा दिया. क्लार्क, वॉर्नर, हसी ने साउथ अफ्रीका की जमकर क्लास लगाई.
जवाब में साउथ अफ्रीका की टीम 388 रन बनाकर ऑल-आउट हो गई. इस पारी में कई साउथ अफ्रीकी बल्लेबाज़ चले, लेकिन डिविलियर्स महज़ एक रन ही बना सके. पहली पारी के बाद ऑस्ट्रेलिया के पास 162 रनों की बड़ी बढ़त थी. दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया खेलने उतरा और 267 रन बनाकर साउथ अफ्रीका को लगभग डेढ़ दिन में 430 रनों का टार्गेट दे गया. पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया से पिछड़ी साउथ अफ्रीका के लिए दूसरी पारी में भी हाल बहुत अच्छा नहीं रहा. टीम ने चौथे दिन ही चाय से पहले दो विकेट गंवा दिए. इसके बाद दिन का खेल खत्म होते-होते तो चार बल्लेबाज़ पवेलियन लौट गए. ऑस्ट्रेलिया को जीत की खुशबू आने लगी. क्योंकि अब जीतने के लिए सिर्फ छह विकेट चाहिए थे और साउथ अफ्रीका की जीत का तो सवाल ही नहीं था.
Abd Adelaide
एबी डिविलियर्स. फोटो: Getty Images

लेकिन ऑस्ट्रेलियंस शायद ये भूल गए कि अब भी 2008 के पर्थ वाला वो खिलाड़ी मैदान पर डटा है. जिसने उन्हें करारी शिकस्त दी थी. यानी एबी डिविलियर्स. दिन का खेल खत्म हुआ तो एबीडी 12 रन बनाकर खेल रहे थे. अगले दिन मैच बचाने के लिए उनका एक लंबी पारी खेलना ज़रूरी था. एबीडी ने किया भी बिल्कुल वैसा ही. उन्होंने आखिरी पारी में 220 गेंदों का सामना किया और सिर्फ 33 रन बनाए. यानी एक मैच बचाने वाली सॉलिड पारी. इस पारी में उन्होंने एक भी बाउंड्री नहीं लगाई. वो कुल 246 मिनट तक क्रीज़ पर डटे रहे और मैच बचाकर ले गए. हालांकि उस पारी में फाफ डू प्लेसी ने भी उनका जमकर साथ दिया था. 2015 जोहान्सबर्ग वनडे: अब तक हमने देखा कैसे टेस्ट क्रिकेट में एबी डिविलियर्स अपनी टीम के लिए जुझारूपन दिखाते रहे. लेकिन अब आप देखिए एबीडी का एक अलग रूप. एक तरफ 220 गेंदों में 33 बने. वहीं एक तरफ बने 31 गेंदों में 100 रन. यानी एक अलग ही डिविलियर्स. ये पारी आई साल 2015 में वेस्टइंडीज़ गेंदबाज़ों के खिलाफ.
18 जनवरी के दिन वेस्टइंडीज़ के साथ दूसरा वनडे खेला जा रहा था. साउथ अफ्रीकी टीम की पहले बैटिंग. ओपन करने आए हाशिम अमला और राईली रूसो. दोनों ने ऐसी ताबड़तोड़ बैटिंग की कि वेस्टइंडीज़ गेंदबाज़ धराशायी हो गए. अमला ने 142 गेंदों पर 153 रनों की पारी खेली. वहीं रूसो ने 115 गेंदों पर 128 रन बनाए. इन दोनों की बैटिंग देख लग रहा था आज साउथ अफ्रीका अलग ही ज़ोन में है. लेकिन असली गियर शिफ्ट होना अभी बाकी था. क्योंकि वनडाउन एबी डिविलियर्स को उतारा गया. वो मैदान पर ऐसे झपटे. जैसे भूखा शेर. आते ही ताबड़तोड़ हिटिंग शुरू कर दी.
Ab De Villiers Vs West Indies
एबी डिविलियर्स. फोटो: Getty Images

देखते ही देखते एबीडी ने 31 गेंदों में शतक पूरा कर दिया. 39वें ओवर में बैटिंग करने आए बल्लेबाज़ ने इतनी तेज़ से शतक ठोका कि रिकॉर्ड बन गया. उन्होंने कोरी एंडरसन के सबसे तेज़ वनडे शतक के रिकॉर्ड को तोड़ डाला. इस पारी में एबीडी ने 16 छक्के और नौ चौके लगाए. आखिरकार 44 गेंदों में 149 रन बनाने के बाद एबीडी आउट हुए. इस पारी में एबीडी का स्ट्राइक रेट 338.63 का रहा. उनकी इस पारी की बदौलत साउथ अफ्रीका ने 439 रन बनाए और मैच भी 148 रनों से जीत लिया. 2015 सिडनी वनडे: ये तो वो वक्त था कि डिविलियर्स का मैदान पर उतरना मानो गेंदबाज़ों की शामत. जनवरी में ही वनडे क्रिकेट का सबसे तेज़ शतक लगाने के बाद वर्ल्डकप में एक बार फिर से वेस्टइंडीज़ के गेंदबाज़ों का दिन बुरा होना था. ये वो ही विश्वकप था जिसमें सेमीफाइनल में साउथ अफ्रीका की हार के बाद की तस्वीर ने कितने ही फैंस के दिल तोड़े थे.
खैर, बात पूल बी के उस डे-नाइट मैच की करते हैं. मैच में साउथ अफ्रीका पहले बैटिंग के लिए आया. ज़बरदस्त फॉर्म में दिख रही टीम को अमला, डूप्लेसी और रूसो ने अर्धशतक लगाकार तगड़ी शुरुआत दिलाई. लेकिन अभी काम पूरा नहीं हुआ था. क्योंकि कप्तान का आना बाकी था. पारी के 30वें ओवर में हाशिम अमला के आउट होते ही एबीडी मैदान पर उतरे. आते ही वो ही क्रिकेट दिखाया कि इस रौद्र रूप के आगे कैरेबियाई गेंदबाज़ बगले झांकने लगे.
Ab De Villiers 2015 World Cup
2015 विश्वकप में एबीडी. फोटो: Getty Images

पावर हिटिंग का ऐसा नमूना कि 360 डिग्री से भी  बढ़कर शॉर्ट्स मैदान पर दिखने लगे. उन्होंने मैच में सिर्फ 66 गेंदें खेलीं और 162 रन बनाए. इस पारी में एबीडी ने 17 चौके और आठ छक्के लगाए. उनकी इस पारी से साउथ अफ्रीक ने 408 रन बनाए और आसानी से मुकाबला जीत लिया.
हमने कई बार एबी डिविलियर्स की ऐसी पारियां देखी हैं जिनमें उन्होंने महज़ चंद गेंदों में मैच का रुख पलट दिया. लेकिन ये वो पारियां हैं जिनमें उन्होंने तेज़ तर्रार बैटिंग भी की और ज़रूरत पड़ने पर संयमित खेल दिखाकर अपनी टीम को मुश्किल परिस्थितियों से निकाला भी. इसीलिए तो कहते हैं यू हीं नहीं कोई एबीडी बन जाता है.