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17 साल की अंतिम पंघाल ने पिछले 34 साल का इतिहास बदल दिया!

भारत ने अब तक कुल सात मेडल्स जीते हैं.

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फाइनल में गोल्ड जीतने के बाद अंतिम पंघाल (Courtesy: SAI Media/Twitter)

अंतिम पंघाल (Antim Panghal). ये नाम आपने शायद अब तक नहीं सुना होगा. लेकिन अब सुनते रहेंगे. अंतिम ने U-20 रेसलिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप्स (U-20 Wrestling Championships) में गोल्ड मेडल जीत लिया है. वो ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान हैं. अंतिम 53 kg कैटेगरी में कुश्ती करती हैं. वर्ल्ड चैंपियनशिप्स बुलगेरिया के सोफिया में चल रहे हैं.

अंतिम ने पिछले कुछ वक्त से लगातार शानदार प्रदर्शन किया है. अंतिम ने 2021 कैडेट वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में ब्रॉन्ज़ जीता था. इसके बाद 2022 में हुई U-23 एशियन चैंपियनशिप में अंतिम ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया था. अब 2022 में हुए एशियन जूनियर चैंपियनशिप्स में अंतिम ने गोल्ड मेडल अपनी झोली में डाल लिया है.

वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में अंतिम का सफर कैसा रहा, आइए अब वो जान लेते हैं. क्वालिफिकेशन राउंड में अंतिम ने जर्मनी के अमोरी एंड्रिच को टेक्निकल सुपीरियॉरिटी से हराया (11-0). क्वार्टरफाइनल में जापानी पहलवान अयाका किमुरा को फॉल से हराने के बाद अंतिम ने सेमीफाइनल में यूक्रेन की नटालिया क्लिवचुस्टका को 11-2 से पटखनी दी.

फाइनल में अंतिम के सामने कज़ाख़िस्तान की एल्टिन शागायेवा थी. इस बाउट में भी अंतिम ने अपना दबदबा बरकरार रखा और शायायेवा को एक भी पाइंट नहीं बनाने दिया. अंतिम ने ये मैच 8-0 से जीत भारत के लिए इतिहास रच दिया.

अंतिम के अलावा सिर्फ चार भारतीय पहलवानों ने U-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में गोल्ड मेडल जीता है. इस सिलसिले की शुरुआत पप्पू यादव ने 1992 में की थी. पप्पू ने ग्रेको रोमन स्टाइल में गोल्ड जीता था. दीपक पुनिया ने 2019 में 86kg कैटेगरी में गोल्ड जीता था. इनके अलावा रमेश कुमार और पलविन्दर सिंह चीमा ने 2001 में यहां गोल्ड जीता था.

अंतिम के अलावा दो पहलवानों ने सिल्वर और दो ने ब्रॉन्ज़ मेडल जीते. 62 kg, 65 kg और 76 kg कैटेगरी में सोनम मलिक, प्रियंका और प्रिया मलिक ने सिल्वर मेडल्स अपने नाम किए. 57 kg और 72 kg कैटेगरी में सितु और रीतिका ने ब्रॉन्ज़ मेडल अपने नाम किया. प्रियांशी ने भी 50 kg कैटेगरी में ब्रॉन्ज़ जीता है.

कौन हैं Antim Panghal?

अब आप को अंतिम पंघाल के बारे में बताते हैं. हरियाणा के हिसार के भगाना गांव से आने वाली अंतिम का जन्म 2004 में हुआ. उनकी तीन और बड़ी बहने हैं - सरिता, मीनू और निशा. अंतिम का नाम अंतिम इसलिए ही रखा गया क्योंकि उनके मां-बाप ने तय कर लिया था कि अब और बेटियां नहीं चाहिए. गांव के लोकल अखाड़े में अंतिम ने पहलवानों को कुश्ती करते देखा तो इस खेल को खेलने का मन बना लिया. अंतिम के पिता राम निवास पंघाल भी चाहते थे कि बेटी कुश्ती करे. इसीलिए उन्होंने अंतिम को बाबा लाल दास रेसलिंग अकैडमी भेज दिया. इसके बाद से अंतिम ने पुरज़ोर मेहनत की और एक ऐसा सफर शुरू किया जो कभी रुका ही नहीं.

अंतिम की ट्रेनिंग को सपोर्ट करने के लिए उनका पूरा परिवार हिसार शिफ्ट हो गया. अंतिम ने निराश नहीं किया और लगातार मेडल्स जीतती रहीं. उन्होंने खेलो इंडिया गेम्स में भी मेडल जीता था. अंतिम को उनकी शानदार तकनीक के लिए हमेशा सराहा जाता है. 17 साल की अंतिम से फैन्स को आने वाले दिनों में ढेरों मेडल्स की उम्मीद है.

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