‘नाखून काट लेती. बाल काट लेती. 100 ग्राम वज़न ही तो ज़्यादा था, कम हो जाता.’ इंडियन रेसलर विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) को बीते कुछ घंटों से सोशल मीडिया पर यही सलाह मिल रही है. वैसे नाखून, बाल काटने का हमारे वज़न पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता. ये समझ लीजिए, 'ऊंट के मुंह में जीरा' जैसी बात है ये.
नाखून या बाल काटने पर हमें दर्द क्यों नहीं होता?
हमारे बाल और नाखून, ये दोनों ही डेड सेल्स से बने हैं. इनसे शरीर की कोई नर्व नहीं जुड़ी होती.

खैर, विनेश के वज़न पर बहुत बातें हो चुकी हैं. हम नहीं करेंगे. हम आपको कुछ और बताएंगे, लेकिन बालों और नाखूनों से जुड़ा हुआ ही. क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम अपने नाख़ून या बाल काटते हैं तो हमें बिल्कुल दर्द नहीं होता. वहीं ज़रा-सा नेलकटर इधर-उधर होकर उंगली में लग जाए तो तुरंत दर्द चालू हो जाता है. ऐसा क्यों है? इसके पीछे का लॉजिक हमें बताया डॉक्टर पियूष मिश्रा ने.

डॉक्टर पियूष कहते हैं कि हमारे शरीर में नर्व्स यानी तंत्रिकाओं का एक जाल बिछा हुआ है. जब भी हमें कहीं चोट लगती है तो नर्व्स तुरंत दिमाग को एक सिग्नल देती हैं. जो सिग्नल आया है, दिमाग उसी हिसाब से रिएक्ट करता है. मान लीजिए, आपने गर्म पानी में अपना हाथ डाला. जैसे ही आप हाथ डालेंगे, नर्व्स तुरंत दिमाग को सिग्नल भेजेंगी. फिर दिमाग वापस हमारे उस एक्शन का रिएक्शन देगा. क्या रिएक्शन? कि, हाथ हटा लो, तुम्हारा हाथ जल रहा है. कुल मिलाकर दिमाग तक एक मैसेज पहुंचा. जिसको ब्रेन ने डिकोड किया. फिर आपको दर्द का एहसास हुआ.
अब बात करते हैं बालों और नाखूनों की. तो, ये दोनों ही डेड सेल्स से बने होते हैं. इनसे कोई नर्व नहीं जुड़ी होती. अब जब नर्व्स ही नहीं हैं तो दिमाग को मैसेज पहुंचाएगा कौन? ज़ाहिर है, कोई नहीं. लिहाज़ा जब हम अपने बालों और नाखूनों को काटते हैं, तो दिमाग को दर्द का कोई सिग्नल नहीं मिलता. इसलिए हमें दर्द महसूस नहीं होता.

लेकिन, यहां एक ट्विस्ट है. बालों को कैंची से काटने या ट्रिम करने पर वैसे तो दर्द नहीं होता. लेकिन, जब उन्हें खींचा जाता है तो दर्द होने लगता है. ऐसा इसलिए क्योंकि बालों के रोम हमारी स्किन से जुड़े होते हैं. बालों में खिंचाव होने से बालों के रोम और उससे जुड़ी स्किन पर भी ज़ोर पड़ता है. अब वहां पर हैं नर्व्स. वो तुरंत दिमाग को दर्द का सिग्नल भेज देती हैं और हमें दर्द का एहसास होता है.
यही चीज़ हमारी स्किन से सटे नाखूनों के साथ भी है. अगर कभी नेलकटर से नाखून काटते-काटते स्किन में लग जाए तो नर्व्स के ज़रिए दर्द का सिग्नल तुरंत दिमाग तक पहुंच जाता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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