कोरोना वायरस इस वक़्त ख़बरों में है. इससे जुड़ी चीज़ें लोग पढ़ना और जानना चाह रहे हैं. इस गाने में इसी कीवर्ड को भुनाने की कोशिश की गई है. वरना इस गाने का कोरोना वायरस से कोई लेना देना नहीं है.

इसे 'होली स्पेशल' गाने की तरह पेश किया गया है. गाने में जोगीरा सररर और होली है जैसे शब्द इस्तेमाल किये गए हैं. गाने में एक भौजी यानी भाभी हैं. जिनकी दिक्कत है कि इनकेति और देवर दोनों इनसे रूठे हुए हैं. क्योंकि इनके लहंगे में कोरोना वायरस घुस गया है.
वैसे बता दें कि कोरोना वायरस खांसने, छींकने, वायरस वाली हवा के संपर्क में आने, या इन्फेक्टेड मांस खाने से फैलता है. सेक्स से फैलता हो, इसके कोई सुबूत नहीं मिले हैं. यानी लहंगे में कोरोना वायरस के होने का लॉजिक पहले ही फेल हो जाता है.वैसे ये पहली बार नहीं है जब गुड्डू रंगीला ने महिला के लहंगे से प्रेम व्यक्त करते हुए कोई गाना बनाया हो. और इनके गाने देखे-सुने भी खूब जाते हैं.
तो आखिर कौन हैं ये गुड्डू रंगीला?
चैनपुर (सिवान), बिहार के हैं. गाना गाते हैं. वीडियो बनाते हैं. असली नाम है सिद्धेश्वर नन्द गिरि. 21 साल पहले एक गाना आया था, अइह इतवार के, जा झार के. जबर पॉपुलर हुआ था. उसके बाद से ही गुड्डू रंगीला का नाम हो गया. इनकी अपनी कंपनी है, रंगीला एंटरटेनमेंट के नाम से यूट्यूब चैनल है. इस पर दूसरों के भी गाने और म्यूजिक वीडियो डालते हैं, पब्लिसिटी करते हैं उनकी.

कीवर्ड कवि हैं. जमाने की नब्ज़ देखते हैं. इनके गानों का लहंगा बेहद कम्पैटिबल है. इसमें कभी कोरोना वायरस की बात होती है, तो कभी NRC की. नागरिकता बिल पर इनके गाने हैं, तो बॉलीवुड के पॉपुलर गानों का भोजपुरी वर्जन भी मिल जाएगा आपको.
रिमोट से उठने वाला लहंगा और होली पर गर्भपात कराने वाली भौजाई
रविकिशन और नगमा का गाना आया था. तोहार लहंगा उठा देब रिमोट से. हर जगह बजना शुरू हुआ. लोगों को पता चल गया कि लहंगे को लेकर की जाने वाले कल्पनाएं अनंत हैं. कुछ भी बना दो, चल जाएगा गाना. उसके बाद लहंगे में बिल्ली का घुसना, लखनऊ से लहंगे का आना, सब कुछ चालू हो गया. और ये गाने चले भी. बस हुआ ये, कि लहंगे तक नहीं रुके.
गुड्डू रंगीला के गानों में भौजाई के गर्भपात कराने, तीसरा महीना चलने, और इसी के साथ ही माता रानी के, और भोले शिवशंकर जैसे वीडियो भी हैं. यानी अगर आप एक भोजपुरी गाना देख लें, उसके बाद कुछ घंटों में इनके एक न एक गाने पर तो पहुंच ही जाएंगे. भेदभाव मिटा दिया गया है यहां. भक्ति से लेकर ननद-भौजाई के बीच सम्भोग तक के गाने आपको सुनने को मिल जायेंगे. केटरिंग टू द ऑडियंस का उदाहरण.

अगर आप पारिवारिक व्यक्ति नहीं हैं, यानी ननद भौजाई देवर जेठ वगैरह से आपका कोई लेना देना नहीं है, तो आपके लिए भी गाने हैं इनके चैनल पर. होमोसेक्सुअलिटी, हेटेरोसेक्सुअलिटी के बाद पेश है तकियासेक्सुअलिटी. जिसमें गुड्डू रंगीला जी कहते हैं, कि पिया से बेहतर तो तकिया है.
सम ऑफ अस अग्री. सम ऑफ अस डोंट. क्या करियेगा.