बारिश में भीगने का अपना ही एक मज़ा होता है. लेकिन, इस मौसम में नमी भी खूब होती है. घरों में. गद्दों में. कपड़ों में. हर तरफ़. अब जहां नमी, वहां बैक्टीरिया, कीड़े, पैरासाइट और उनके भाई-बंधू. इनके लिए एकदम पार्टी वाला माहौल सेट हो जाता है. लेकिन इनकी पार्टी आपको देती है इन्फेक्शन और बीमारियां.
बारिश में बढ़ जाता है खाज का रिस्क, डॉक्टर की ये टिप्स बचा लेंगी
खाज को Scabies भी कहते हैं. ये एक परजीवी से इंसानों में फैलता है. मानसून में नमी होने पर स्कैबीज़ होने के चांस बढ़ जाते हैं.
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ये पूरा कुनबा साइज़ में इतना छोटा होता है, इसलिए नंगी आंखों से दिखाई नहीं देता. आपको पता भी नहीं चलता पर ये आपके गद्दे, सोफे, परदे और कपड़ों को अपना घर बना लेते हैं. आप गद्दे पर लेटे और ये आ गए आपसे कडल करने. आपको अचानक खुजली शुरू हुई. आपने देखा, पर वहां कुछ दिखा नहीं. इतनी देर में ये कांड कर गए. ये आपके सिर से लेकर पैरों तक कहीं भी हमला कर सकते हैं. इसकी वजह से होते हैं आपको इन्फेक्शन. ख़ासतौर पर स्किन से जुड़े हुए.
इस मौसम में इनकी वजह से एक इन्फेक्शन होना बहुत आम है. जिसे कहते हैं स्कैबीज़ (Scabies). आम बोलचाल की भाषा में इसे खाज भी कहते हैं. ये होता है Sarcoptes Scabiei नाम के पैरासाइट की वजह से. अगर ये इन्फेक्शन हो गया तो सबसे पहले तो शुरू होती है खुजली. उसके बाद पड़ते हैं लाल रंग के दाने. इनको खरोंचने से स्किन पर घाव भी बन जाते हैं. फिर इन घावों में होता है इन्फेक्शन.
सबसे बड़ी बात, स्कैबीज़ एक से दूसरे में आसानी से फैल सकता है. ऐसे में सावधानी और भी ज़रूरी है. डॉक्टर से जानिए कि स्कैबीज़ क्या होता है? क्यों होता है? इसमें कौन-से लक्षण देखने को मिलते हैं? और, इससे बचाव और इलाज कैसे किया जाए?
स्कैबीज़ क्या होता है?
ये हमें बताया डॉ. गुंजन वर्मा ने.

स्कैबीज़ पैरासाइट यानी परजीवी से होने वाला इन्फेक्शन है. ये हमारी स्किन में एक कीड़े के ज़रिए फैलता है. ये कीड़ा हमारे घरों में होता है. जहां पर भी हम लेटते, बैठते या उठते हैं, वहां ये पाया जाता है. ये कीड़ा इतना छोटा होता है कि इसे नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता. माइक्रोस्कोप के ज़रिए ही इसे देख सकते हैं. आमतौर पर जब हम आराम कर रहे होते हैं, तब ये कीड़ा आकर हमारे शरीर पर अंडे देता है. फिर जहां पर ये अंडे होते हैं, उस जगह व्यक्ति को खुजली होने लगती है. स्कैबीज़ के बारे में जानना बहुत ज़रूरी है क्योंकि ये बीमारी एक से दूसरे में फैलती है. यानी अगर ये परिवार में किसी को हो जाए तो दूसरे सदस्यों को भी होने का चांस रहता है.
किस तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं?
- शरीर में खुजली होना.
- रात के समय ये खुजली ज़्यादा होती है.
- उंगलियों के बीच, जहां कीड़े ने अंडे दिए हैं, वहां भी बहुत खुजली होती है.
- पेट, प्राइवेट एरिया और बगलों में भी खुजली हो सकती है.
- कुछ दिनों बाद ये खुजली पूरे शरीर में फैल जाती है.
- अगर आपको इस तरह के लक्षण महसूस होते हैं तो तुरंत डर्मेटोलॉजिस्ट को दिखाएं.
बचाव और इलाज
स्कैबीज़ का इलाज मुमकिन है. इसमें जो दवाइयां डॉक्टर देते हैं, वो कीड़े भी मारती हैं और खुजली भी ठीक करती हैं. हालांकि खुजली ठीक होने में थोड़ा समय लग सकता है. बस ध्यान रखें कि ये एक व्यक्ति से दूसरे में न फैले. अगर घर में किसी को क्रोनिक डिज़ीज़ है यानी वो बीमारियां जो लंबे समय तक चलती हैं, जैसे डायबिटीज (Diabetes). या फिर ऐसी बीमारी है जिससे उनका इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो गया है. तो ऐसे लोगों को स्कैबीज़ दोबारा होने का चांस रहता है.

देखिए, स्कैबीज़ का उपचार किया जा सकता है. लेकिन, मरीज़ का सही समय पर डॉक्टर के पास जाना ज़रूरी है. अगर मरीज़ समय रहते डॉक्टर के पास नहीं जाएंगे तो ये बीमारी एक से दूसरे में फैलेगी और फिर बढ़ने लगेगी.
- स्कैबीज़ से बचाव के लिए घर के गद्दों को धूप में रखें.
- अपने आसपास के एरिया को साफ रखें.
- जिन घरों में धूप नहीं आती, वहां इस कीड़े के पनपने का ज़्यादा चांस होता है.
- लिहाज़ा हमेशा अपने कपड़ों को धोने के बाद धूप में सुखाएं.
- धूप की किरणें इन परजीवियों को खत्म करने की ताकत रखती हैं.
- साथ ही, अपनी स्किन की देखभाल के लिए रोज़ नहाएं.
अगर कहीं भी खुजली हो तो डॉक्टर से मिलें. स्कैबीज़ का फैलने का खतरा उन लोगों में ज़्यादा होता है, जो एक ही बिस्तर पर सोते हैं. जैसे बच्चे. या जो आपस में कपड़े शेयर करते हैं. या फिर जिनके घरों में ठीक तरह धूप नहीं आती. देखिए, आप जो भी चादर या कपड़े इस्तेमाल करें, उन्हें पहले अच्छे से सुखाएं. उनमें बिल्कुल नमी न हो. गद्दों को अच्छे से धूप दें. कोई भी गीला सामान उस पर न रखें. अगर फिर भी खुजली होती है और स्किन पर लाल रंग के दाने हो जाते हैं, तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें वरना घर के बाकी लोग भी स्कैबीज़ की चपेट में आ जाएंगे.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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