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क्रिकेटर स्मृति मंधाना की ये एडिट की हुई तस्वीर उच्च स्तरीय घटिया सोच का सटीक उदाहरण है

जो स्मृति की तस्वीर के साथ किया गया, क्यों धोनी-कोहली की तस्वीर के साथ कभी न होगा.

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क्रिकेटर स्मृति मंधाना. एक फोटो एडिट वाली, दूसरी असली वाली.

स्मृति मंधाना. ये नाम आपने कई बार सुना होगा. खासकर वो लोग जो क्रिकेट में थोड़ी बहुत भी दिलचस्पी रखते हैं, उन्होंने तो सुना ही होगा. क्रिकेटर हैं. बल्लेबाजी करती हैं. बहुत बढ़िया खेलती हैं. 23 साल की हैं. लेकिन कई सारे बड़े रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकी हैं. 2018 में BCCI ने स्मृति को 'बेस्ट विमंस इंटरनेशनल क्रिकेटर' बनाया था. उसी साल वो 'आईसीसी विमंस क्रिकेटर ऑफ द ईयर' भी बनी थीं. टी-20 में सबसे तेजी से 50 रन बनाने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर भी हैं. खेल ऐसा है कि पुरुष क्रिकेटर भी फॉलो करने की कोशिश करते हैं.

इसी साल हुए आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स की टीम के एक यंग क्रिकेटर ने स्मृति के खेल को फॉलो करने की बात कही थी. 17 साल के रियान पराग ने कहा था कि वो बचपन से स्मृति के खेल को फॉलो कर रहे हैं. तब से जब वो चश्मा लगाकर खेलती थीं. रियान ने उनके खेल के तरीके को कॉपी करने की कोशिश भी की थी, लेकिन हो नहीं सका था.

अब इतना सबकुछ बताने के बाद एक लाइन में ये कह सकते हैं कि स्मृति एक शानदार क्रिकेटर हैं. लेकिन इतनी कम उम्र में इतना सबकुछ अचीव करने के बाद भी लोगों को स्मृति के अंदर कुछ कमियां दिखती हैं. और वो उन कमियों को ठीक करने की भरसक कोशिशों में लगे हुए हैं.


कमी क्या है? क्या कोशिशें हो रही हैं?

सोसायटी के पैरामीटर के मुताबिक स्मृति शायद 'गोरी' नहीं हैं. 'सुंदर' नहीं हैं. इसलिए तो उनकी तस्वीर को एडिट करके उन्हें गोरा बनाया गया. आंखों में काजल और होठों पर लिप्सटिक लगाई गई. गूगल पर अगर आप स्मृति मंधाना की तस्वीरें खोजेंगे, तो आपको कई सारी तस्वीरें मिलेंगी. इन सभी तस्वीरों में से एक तस्वीर आपको ऐसी मिलेगी, जिसमें उनके चेहरे को एडिट किया गया है. उन्हें 'सुंदर' बनाने की कोशिश की गई है. जबकि उसी तस्वीर का असली वर्जन भी गूगल पर मौजूद है. जहां स्मृति बिना मेकअप के दिख रही हैं.

एक ट्विटर यूजर ने दोनों तस्वीरें पोस्ट कीं. और लोगों की सोच पर सवाल खड़े किए. लिखा,

'स्मृति मंधाना को गूगल कर रही थी और मुझे ये फोटोशॉप्ड तस्वीर मिली. असली तस्वीर राइट साइड है. हमारे ब्यूटी स्टैंडर्ड्स कितने खराब हैं कि एक क्रिकेटर की तस्वीर, जो कि एक प्रेस कॉनफ्रेंस की है. उसे एडिट किया जा रहा है. उसके गोरा बनाया जा रहा है. काजल और लिप्सटिक लगाई जा रही है.'


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स्मृति मंधाना की तस्वीर.

ट्विटर पर स्मृति की तस्वीर को लेकर लोग अपनी-अपनी सोच रख रहे हैं. कोई लिख रहा है कि वो बिना मेकअप के भी सुंदर लग रही है. तो कोई लिख रहा है कि क्या कभी विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी की फोटो में मेकअप किया जाएगा?


खैर, इस पूरी बहस में सवाल ये है कि क्या किसी का 'सुंदर' दिखना जरूरी है? एक क्रिकेटर की खासियत उसके खेल में होती है. वो कैसा दिखता है या दिखती है, इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए. 'बिना मेकअप के सुंदर दिख रही है' ऐसा कहने की भी कोई जरूरत नहीं है. स्मृति के लिए सुंदरता चेहरे या रंग से जुड़ी हुई नहीं है. उनकी सुंदरता उनके खेल में है. लेकिन लोगों को तो हर लड़की गोरी चाहिए. काजल और लिप्सटिक लगाई हुई चाहिए. उसके बिना तो वो 'सुंदर' हो ही नहीं सकती.

एक लड़की जब स्पोर्ट्स में आने का फैसला लेती है. खासकर इंडिया जैसे कल्चर में. उसी समय वो समाज से लोहा ले लेती है. कई बार तो उसको पता ही नहीं होता कि उसको फाइट आगे कितनी बड़ी होने वाली है. क्योंकि वो शॉट खेलेगी, लोग उसकी शक्ल देखेंगे. और ये सिर्फ क्रिकेट की ही कहानी नहीं है. वो वकील हो तो दलीलों से ज्यादा उसके कपड़े देखे जाएंगे. सिंगर हो, पत्रकार हो, टीचर हो, पहले ये देखा जाएगा कि वो दिखती कैसी है. उसी हिसाब से उसका काम परखा जाता है.

स्मृति मंधाना को भी लोगों ने याद दिला दिया कि चाहे वो कितने ही रिकॉर्ड बना लें. देश का कितना बी गौरव बढ़एं, अंततः हर दूसरी लड़की की तरह उनका 'सुंदर' दिखना जरूरी है. है न?



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