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लिवर ट्रांसप्लांट के बाद मरीज या डोनर को दिक्कत होती है? आज सारे मिथक दूर कर लें

लिवर खराब होने के असल कारणों के बारे में कितना जानते हैं आप?

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लिवर ट्रांसप्लांट के बाद मरीज नॉर्मल लाइफ ही जीता है (सांकेतिक फोटो)

आज बात करते हैं आपके लिवर के बारे में. लिवर पेट के दाईं तरफ़ होता है. ये इतना बिज़ी अंग हैं कि क्या बताएं. एक ‘कॉर्पोरेट मजदूर’ से भी ज़्यादा बिज़ी और ओवरवर्क्ड. क्योंकि ये 500 से ज़्यादा ज़रूरी कामों को अंजाम देता है. आसान भाषा में समझें तो ये खून से गंदगी और हानिकारक चीज़ों को बाहर करता है, ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करता है, शरीर में एक फ्लूड बनाता है. इसका नाम है बाइल जो फैट को पचाने और वेस्ट को हटाने में मदद करता है. इसके अलावा और भी बहुत सारे काम करता है.

लिवर का वज़न होता है 1500 ग्राम या शरीर के कुल वज़न का 2 प्रतिशत. और साइज़ 14-16 सेंटीमीटर. अब हेल्दी रहने के लिए ज़रूरी है आपका लिवर ठीक तरह से काम करता रहे. पर आपकी रोज़ की कुछ आदतें, लाइफस्टाइल और बीमारियां आपके लिवर को बर्बाद करने लगती हैं. कुछ मामलों में लिवर फ़ेल होने की नौबत तक आ जाती है. ऐसे में केवल एक ही इलाज इंसान की जान बचा सकता है और वो है लिवर ट्रांसप्लांट. 

लेकिन लिवर ट्रांसप्लांट को लेकर बहुत सारी गलतफहमियां और मिथक हैं. आज उन मिथकों पर बात करेंगे. साथ ही ये भी जानेंगे कि लिवर कब ख़राब होने लगता है और एक इंसान का लिवर दूसरे इंसान में कैसे लगाया जाता है.

लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत क्यों पड़ती है?

ये हमें बताया डॉक्टर अरविंदर सोइन ने.

( डॉ अरविंदर सोइन, चेयरमैन, लिवर ट्रांसप्लांट, मेदांता, गुरुग्राम)

किसी भी मरीज को दो मामलों में लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है. पहला, जब मरीज का लिवर फेल हो जाए. और दूसरा, जब मरीज को तीसरी स्टेज का लिवर कैंसर हो. वयस्कों में आमतौर पर कई कारणों से लिवर फेल होता है. शराब का ज्यादा सेवन करने से, मोटापा, डायबिटीज, लिपिड्स में खराबी (Dyslipidemia), कोलेस्ट्रॉल बढ़ने और खराब लाइफस्टाइल भी लिवर फेल होने के कारण हो सकते हैं. साथ ही ज्यादा तला-भुना और बाहर का खाना भी लिवर फेलियर का कारण बनते हैं.

कभी-कभी लिवर फेलियर जेनेटिक भी होता है. यानी बिना शराब के सेवन के भी लिवर फेल हो सकता है, ऐसे मरीजों को लिवर कैंसर का भी खतरा होता है. लिवर फेल और लिवर कैंसर की आखिरी स्टेज में लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है

लिवर ट्रांसप्लांट कैसे होता है?

> आमतौर पर परिवार का ही एक सदस्य मरीज को लिवर डोनेट करता.

> इसके लिए डोनर और मरीज का ब्लड ग्रुप मैच होना चाहिए.

> डोनर की उम्र 18 से 55 साल के बीच हो और वजन बढ़ा हुआ न हो.

> ऐसे व्यक्ति का आधा लिवर मरीज को लगाया जाता है.

> फिर तय तारीख पर ऑपरेशन होता है.

> डोनर मरीज को लिवर का दायां हिस्सा डोनेट करता है.

> लिवर का बयां हिस्सा डोनर के अंदर ही छोड़ दिया जाता है.

> साथ ही मरीज का खराब लिवर पूरी तरह से निकाल दिया जाता है.

> मरीज में लगने वाले लिवर का बायां हिस्सा और डोनर में छोड़ा गया दायां हिस्सा दोनों 2 से 3 महीने के अंदर बढ़कर पूरा आकार ले लेते हैं.

> इसलिए इस ऑपरेशन को सेफ माना जाता है. ऑपरेशन के बाद डोनर को 6 से 7 दिन बाद और मरीज को 10 से 15 दिन बाद घर भेज दिया जाता है.

लिवर ट्रांसप्लांट से जुड़े मिथ और फैक्ट

> ये एक मिथक है कि लिवर ट्रांसप्लांट के बाद मरीज या डोनर को कोई दिक्कत होगी. ऑपरेशन के बाद डोनर और मरीज दोनों सुरक्षित होते हैं.

> दूसरा मिथक है कि लिवर ट्रांसप्लांट के बाद मरीज ज्यादा समय तक नहीं जीता. ऐसा नहीं है, एक सफल ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की पूरी लाइफ एकदम नॉर्मल चलती है.

> एक मिथक ये भी है कि बहुत छोटे बच्चे और बहुत बूढ़े लोगों का लिवर ट्रांसप्लांट नहीं हो सकता. लिवर ट्रांसप्लांट में मरीज की उम्र से कभी भी रुकावट नहीं आती.

> कई लोग ये सोचते हैं कि कैंसर के मामले में ट्रांसप्लांट के बाद दोबारा कैंसर हो सकता है. ये एक मिथक है, ऐसा नहीं होता.

> लिवर कैंसर का एकमात्र इलाज लिवर ट्रांसप्लांट है. क्योंकि लिवर कैंसर खराब लिवर में ही होता है. लिवर ट्रांसप्लांट के बाद खराब लिवर निकालकर नया लिवर लगाया जाता है.

> लिवर में मौजूद कैंसर और भविष्य में होने वाले कैंसर के सेल्स दोनों ही खराब लिवर के साथ बाहर निकल जाते हैं.

हेल्दी लाइफ के लिए हेल्दी लिवर ज़रूरी है. इसलिए अपने खान-पान का ध्यान रखें. शराब के सेवन से बचें. और सबसे ज़्यादा ज़रूरी है लिवर ट्रांसप्लांट के बारे में सही जानकारी होना क्योंकि हमारे देश में लाखों मरीज़ लिवर ट्रांसप्लांट का इंतज़ार कर रहे हैं. 

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)