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लेयर शॉट ऐड और हैदराबाद गैंगरेप केस में एक जैसी मानसिकता काम करती है!

शॉट के ऐड और हैदरबाद के गैंगरेप इंसिडेंट में बहुत सी चीज़ें कॉमन है.

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लेयर शॉट जैसे घटिया ऐड बनाने का कॉन्फिडेंस आता कहां से है?

3 जून 2022. लेयर शॉट का एक आपत्तिजनक ऐड सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. ठीक उसी दिन हैदराबाद से खबर आई कि एक नाबालिग लड़की का 5 लड़कों ने मिलकर गैंगरेप किया. शॉट के उस ऐड और हैदरबाद के गैंगरेप इंसिडेंट में बहुत सी चीज़ें कॉमन है. एक लड़की, पांच लड़के, लड़की के चेहरे पर डर. फर्क बस इतना है कि हैदरबाद में लड़कों ने वो काम पूरा कर दिया जिसकी तरफ ऐड में इशारा किया जा रहा था.

बात पहले लेयर के घटिया ऐड की. ऐड शुरू होता है सीन से जहां एक लड़का और लड़की कमरे में हैं और एक दूसरे के बेहद करीब हैं. ठीक उसी वक्त, चार लड़के दरवाज़ा खोलकर कमरे में घुस आते हैं. उसमे से एक पूछता है, 

शॉट मारा क्या?
जवाब आता है, 'हां मारा'
कमरे में घुस आए चार लड़कों में से एक जवाब देता है, 'अब हमारी बारी'
ये सुनते ही लड़की के चेहरे की हवाइयां उड़ जाती है.

लेकिन कमरे में बिन पूछे घुस आए लड़के तो कथित वर्ड प्ले कर रहे थे.वो आगे बढ़ते हैं और वहां रखा स्प्रे खुद पर छिड़कर, 'शॉट' तो बनता है वाला डायलॉग मारते हैं.

आप कह सकते हैं कि ऐड में कुछ गलत होता हुआ नहीं दिखाया गया. पर शॉट मारने से लेकर हमारी बारी तक के डायलॉग के पीछे का इंटेंशन क्या था ये किसी भी समझदार व्यक्ति को समझाने-बताने की ज़रूरत तो है नहीं. साफ़ तौर पर, ये ऐड एक महिला के डर को, गैंगरेप के आईडिया को डियो बेचने के लिए इस्तेमाल कर रहा है. यहां ये बात भी नोट की जाए कि लड़की का उसकी मर्ज़ी से एक लड़के के साथ संबंध बनाने को किस तरह बाकी लड़कों के लिए भी कंसेंट मान लिया गया. वो ये मान बैठे कि अब शॉट लगाने की बारी बाकी लड़कों की है!

अब आते हैं हैदराबाद रेप केस पर. 17 साल की नाबालिग लड़की का 5 लड़कों ने गैंगरेप किया. 28 मई को लड़की अपनी दोस्त का बर्थडे सेलिब्रेट करने पब गई थी. पब में 150 लोग मौजूद थे और पार्टी दोपहर 1 से शाम 6 तक की थी. पब मालिक ने बताया कि वो एक नॉन एल्कोहॉलिक पार्टी थी. पुलिस ने बताया कि लड़की अपने दोस्त के साथ उस पार्टी में गई थी. वहां उसकी मुलाकात बाकी लोगों से हुई जिन्होंने उसे घर तक ड्राप करने का ऑफर दिया. शाम 5:45 को वो सभी पब से निकले और पास की एक बेकरी पहुंचे. वहां से स्नैक्स खरीदने के बाद वो लड़की को सूनसान जगह ले गए, जहां सभी ने उसका गैंगरेप किया. और फिर करीब 7:30 बजे उसे पब के बाहर छोड़ा. वहां से लड़की ने अपने घर फोन किया और उसके पिता उसे घर लेकर गए.

लड़की के पिता का कहना है कि वो एक नॉन एल्कोहॉलिक पार्टी थी इसलिए उन्होंने बेटी को वहां जाने की इजाज़त दी. लड़की के हाथ में चोट लगी थी. पूछने पर उसने कहा कि वो गिर गई थी इसलिए चोट आई. बाद में गर्दन पर भी चोट के निशान दिखे. महिला पुलिसकर्मियों ने उसे कॉउंसिल किया उसके बाद जाकर उसने बताया कि उसका रेप हुआ है.

पुलिस का कहना है कि पब में नॉन एल्कोहॉलिक पार्टी हुई थी और जांच में पता चला है कि पार्टी में शराब नहीं परोसी गई थी. इस केस में अबतक पुलिस ने 5 लोगों को संदिग्ध आरोपी माना है. इनमें से तीन नाबालिग हैं और बताया जा रहा है कि उनके पॉलिटिकल कनेक्शंस भी है.

अब इस मामले के सामने आते ही सोशल मीडिया पर रिएक्शंस की बाढ़ आ गई. किसी ने कहा,

 "कौन लड़की बिना नशे के 5 अनजान लड़कों के साथ कार में बैठती है"

तो किसी ने कहा कि लड़की ने आ बैल मुझे मार वाला काम किया है. उन्होंने कहा, 

"आजकल की मॉडर्न लड़कियां एक लड़के का मुकाबला करने में सक्षम नहीं है और चल देती हैं अनजानों के झुंड के साथ"

एक यूजर ने लिखा, 

"मैं विक्टिम ब्लेमिंग नहीं कर रहा. पर मेरा हिंदु लड़कियों से निवेदन है कि 5 लड़कों के साथ अकेले कार में न जाएं. ये एक रिस्की बिहेविअर है."

इस बात से सहमति जताते, मां-बाप को नसीहत देते, लड़कियों को सीख सलाह देते कई पोस्ट सोशल मीडिया पर दिखे. हर कोई लड़कियों को चेता रहा था कि सीखो इससे, किसी पर भरोसा मत करो, अपनी सुरक्षा खुद करो, लड़के तो ऐसे अवसरों के इंतज़ार में बैठे हैं, तुम सजग रहो. पर कोई भी लड़कों को कुछ सिखाता- बताता नहीं दिखा. किसी ने नहीं कहा कि लड़कों को क्या सीखने, समझने के ज़रूरत है. किसी ने लड़कों के माता- पिता को नसीहत देते नहीं दिखे कि भई अपने बेटों को ये सिखाओ.

इन सभी ट्वीट्स में दो बेहद प्रोब्लेमैटिक चीज़ है. पहला ये कि लड़कियों की भलाई का चोंगा ओढ़कर, नॉट विक्टिम शेमिंग कहकर ये विक्टिम शेमिंग ही कर रहे हैं. दूसरा ये कि ये लोग ये कहने की कोशिश कर रहे हैं कि हर लड़का पोटेंशिअल रेपिस्ट हो सकता है इसलिए सभी से सावधान रहो.

सोशल मीडिया पर आए ये रिएक्शन बताते हैं कि लोग मानते हैं कि रेप इतना बड़ा क्राइम नहीं है. उससे बड़ा क्राइम है लड़की का पार्टी करने के लिए पब जाना, लड़कों के साथ कार में बैठना, रात को घर से बाहर निकलना. रेप हमारे लिए कितना नॉर्मल है. इसलिए उसपर कोई बात नहीं करता, बल्कि लड़की को ही उससे बचने के तरीके बताने लगते हैं.

मैंने शुरू में कहा था इस घटना और शॉट के ऐड में कॉमन चीज़ें हैं. नाबालिग लड़की, पांच लड़के, और लड़की की थोड़ी से सहमति को हर चीज़ के लिए सहमति मान लेना. 
शॉट के ऐड में पहले सीन में लड़की एक लड़के के करीब दिखाई गई, लेकिन बाकि लड़कों ने उसे देख ये मान लिया कि लड़की की सहमति उनके लिए भी है. वहां लड़की बस एक वस्तु है. जिसका इस्तेमाल एक ने किया, अब बाकियों की बारी है. और यही गैंगरेप की घटना में हुआ. लड़की का सहमति से कार में बैठना, सेक्स के लिए राज़ी होने की तरह मान लिया गया.

लड़की अगर पांच लड़कों के साथ कार में न बैठकर कैब में बैठती तब क्या उसके रेप होने की संभावना कम हो जाती? क्या कैब ड्राइवर रेप नहीं कर सकता था? फिर आप खोजते कि लड़की कितने बजे कैब में बैठी, किस हालत में कैब में बैठी. आप हर केस में लड़की की गलती ढूंढते. उससे कहां गलती हो गई. क्यूंकि आप ये मान बैठे हैं कि रेप होना तो स्वाभिक है.

शॉट का ऐड बनाने वाले भी ये मान बैठे थे कि लड़की के अंदर रेप का डर होना तो स्वाभाविक है. लड़की के चेहरे पर वो डर दिखाकर, वो इसे क्रिएटिविटी बोलकर आसानी से प्रोडक्ट बेच सकते हैं. और ऐड कोई चार टुच्चे व्यक्तियों ने मिलकर नहीं बनाया. ऐड बनाने के लिए बाकायदा टीम होती है. स्क्रिप्ट लिखी गई होगी, एक्टर्स ने शूटिंग की होगी, एडवरटाइज़र ने अप्रूव किया होगा. किसी को उसमें कुछ गलत नहीं लगा. आप जानते हैं उनमें इतना कॉन्फिडेंस आता कहां से है?

ये उस समाज से आता है जहां वो अपना प्रोडक्ट बेच रहे हैं. वो समाज जिसके लिए रेप एक एक्टिविटी है. जो होगी ही. जिसके लिए वो लड़कियों को तैयार करते हैं, बचने के तरीके बताते हैं. वो समाज जिसके लिए रेपिस्ट के अपराध से ज़्यादा विक्टिम की गलतियां ढूंढना ज़रूरी है. रेप की घटना के बारे में सुनते ही हर बार लड़की की चूक खोजना ज़रूरी है?

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