आप रोज़ सुबह कैसे उठते हैं? फ़ोन या घड़ी के अलार्म की आवाज़ से. अब जब ये अलार्म आपको गहरी नींद से जगाता है, तो अव्वल तो आपको इसपर भयानक गुस्सा आता है. ये गुस्सा एकदम जायज़ है. सिर्फ़ इसलिए नहीं कि अलार्म आपकी नींद में खलल डालता है. बल्कि इसलिए भी कि अलार्म आपकी नींद के साथ-साथ आपके दिल का भी दुश्मन है. अलार्म की आवाज़ सुनकर आपके शरीर के अंदर क्या होता है, ये आप में से बहुत लोग नहीं जानते.
अलार्म से सोकर उठते हैं? कैसे बड़ा खतरा नजदीक आ रहा? सब जान लीजिए
अलार्म की तेज़ आवाज़ ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन की स्पीड बढ़ा देती है. और फिर आगे क्या-क्या हो सकता है?

तो क्या अलार्म लगाना ही छोड़ दिया जाए? या फिर अलार्म लगाने/बजाने का कोई सही तरीका भी होता है? आइए जानें ‘सेहत’ की नई किस्त में.
अलार्म आपके दिल के लिए नुकसानदेह कैसे?ये हमें बताया डॉ भरत कुकरेती ने. डॉ कुकरेती गुरुग्राम स्थित पारस हेल्थ में कार्डियोलॉजी के निदेशक हैं.

अपना शेड्यूल सही रखने के लिए जैसे आप कलाई पर घड़ी पहनते हैं.
हमारा शरीर दिन और रात में एक 'सर्कैडियन रिदम' से होकर गुजरता है. सर्कैडियन रिदम यानी शरीर का अंदरूनी चक्र. इसकी वजह से दिन के समय हमारे शरीर में कुछ हॉर्मोन्स का लेवल अपने आप बढ़ता है. वहीं रात में इन हॉर्मोन्स का स्तर सबसे कम होता है. इस तरह से हमारे शरीर में एक अंदरूनी चक्र चलता है, जिससे दिन और रात का पता लगता है. लेकिन सुबह के वक्त अलार्म लगाकर हम इस रिदम को डिस्टर्ब कर देते हैं.
दरअसल अलार्म की तेज़ आवाज़ से हम अचानक नींद से जागते हैं. तब शरीर के स्ट्रेस हॉर्मोन ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कनों की स्पीड बढ़ा देते हैं. इन स्ट्रेस हॉर्मोन्स का नाम है एड्रेनलिन और कोर्टिसोल. इन दोनों का काम ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कनों को बढ़ाना है. इस वजह से कई बार अलार्म की आवाज सुनकर उठने पर हार्टबीट बढ़ी हुई होती है. हार्टबीट को नॉर्मल होने में कुछ मिनट या घंटों का समय भी लग सकता है.
अगर कई दिनों या हफ्तों तक ऐसा होता है तो, एड्रेनलिन और कोर्टिसोल की वजह से धमनियों की अंदरूनी सतह (एंडोथेलियम) को नुकसान पहुंचता है. एंडोथेलियम का काम होता है धमनियों को अंदर से सुरक्षित रखना और लचीला बनाए रखना. साथ ही कोलेस्ट्रॉल को इकट्ठा होने से रोकना. जैसे-जैसे एंडोथेलियम अपनी जगह से हटती है, वहां पर कॉलेट्रॉल जमा होने लगता है. इससे आगे चलकर हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ सकता है.
यानी एक सामान्य सा दिखने वाला अलार्म क्लॉक जो सिर्फ कुछ देर के लिए हार्ट बीट और ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है. लंबे समय तक इस्तेमाल करने से हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा सकता है. हालांकि अभी तक ये साबित नहीं हो पाया है कि सामान्य रूप से इस्तेमाल होने वाले अलार्म से इस तरह का खतरा होता है या नहीं, लेकिन जो बहुत शोर वाले अलार्म हैं जैसे कि फायर अलार्म, उनकी वजह से ये समस्या देखी गई है.
बिना अलार्म बॉडी को कैसे ट्रेन करें?- समय पर सोने और जागने के लिए शरीर की नॉर्मल साइकिल का सहारा लें.
- इसके लिए अपने सोने और जागने के समय को फिक्स कर लें. जैसे कि अंधेरा होने के बाद किसी भी समय आप सो सकते हैं. वहीं सुबह जब सूरज निकलता है उस वक्त जाग जाना चाहिए.
- अच्छी नींद के लिए कुछ आदतों को बदलना जरूरी है. जैसे कि सोने से कुछ घंटों पहले चाय और कॉफी न पिएं, लैपटॉप और मोबाइल पर कम समय बिताएं.
- सही समय पर सोने और जागने से कुछ समय बाद ही शरीर का आंतरिक चक्र इसके मुताबिक चलने लगेगा. इस तरह से कुछ समय बाद आप एक तय समय पर उठ पाएंगे.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)