खाना बनाने के लिए मार्केट में अलग-अलग तरह के तेल मौजूद हैं. जैसे सरसों का तेल, सूरजमुखी का तेल, नारियल का तेल, अलसी का तेल, ऑलिव ऑयल, एवेकाडो ऑयल, पाम ऑयल और यहां तक कि रिफाइंड ऑयल भी. लंबी लिस्ट है. अब इनमें से कौन सा तेल आपकी सेहत के लिए बेस्ट है और कौन सा दुश्मन, यह समझना बहुत मुश्किल है. हर तेल का कोई न कोई नफा-नुकसान होता ही है. मगर, इन सब में जो सबसे ज़्यादा नुकसानदेह है, वो है पाम ऑयल. यह हमारे दिल, लिवर और बीपी के लिए नुकसानदेह है. डराने वाली बात ये है कि पाम ऑयल को खाने की उन बहुत सारी चीज़ों में डाला जाता है, जो आपको बाज़ार से ख़रीदकर खाना पसंद हैं. डॉक्टर से जानिए, पाम ऑयल कहां से आता है? खाने की किन चीज़ों में इसे डाला जाता है? यह इतना नुकसानदेह क्यों है और पाम ऑयल से बेहतर विकल्प क्या हैं?
खाने की चीज खरीदें तो पैकेट को पलट कर जरूर देख लें, पाम ऑयल लिखा हो तो वहीं छोड़ आएं
पाम ऑयल खाने की कई चीज़ों में डाला जाता है. लेकिन, इसका सेवन हमारे शरीर को बड़े नुकसान पहुंचा सकता है. पाम ऑयल से डायबिटीज़ और दिल की बीमारियां हो सकती हैं. मोटापा बढ़ता है और लिवर पर भी बुरा असर होता है.
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पाम ऑयल कहां से आता है, किन चीज़ों में पड़ता है?
ये हमें बताया दीप्ति खटूजा ने.

पाम ऑयल ताड़ के पेड़ के बीजों से निकाला जाता है. इसकी अपनी कोई महक नहीं होती इसलिए इसे खाने की कई चीज़ों में डाला जाता है, जैसे- आइसक्रीम, बिस्कुट, केक, पेस्ट्री, मफिन्स. बेकरी प्रोडक्ट्स और ब्रेड् वगैरह बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. खाने के अलावा भी पाम ऑयल के कई दूसरे इस्तेमाल हैं.
पाम ऑयल सेहत के लिए क्यों नुकसानदेह है?
पाम ऑयल में सैचुरेटेड फैट बहुत ज़्यादा पाया जाता है. सैचुरेटेड फैट सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता. इससे दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि पाम ऑयल एक तरह का फैट ही है. फैट में एनर्जी डेंसिटी बहुत होती है यानी कैलोरीज़. इसका ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल मोटापा बढ़ाता है. फिर मोटापे से बाकी बीमारियां होने लगती हैं. जैसे डायबिटीज़, दिल की बीमारियां और बीपी बढ़ना. पाम ऑयल से लिवर पर भी बुरा असर पड़ता है. जिनमें पाम ऑयल होता है, वो चीज़ें जल्दी पचती नहीं हैं.

पाम ऑयल से बेहतर विकल्प
कोई भी एक तरीके का तेल हमारे शरीर के लिए पूरा नहीं होता. हमें सही मात्रा में सैचुरेटेड और नॉन सैचुरेटेड फैट की ज़रूरत होती है. तेल में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड भी संतुलन में हों. लेकिन, किसी भी एक तेल में ये सारी चीज़ें नहीं होती हैं. ऐसे में ज़रूरी है कि अलग-अलग तरह के तेल इस्तेमाल करें. किसी एक ही तेल को लंबे समय तक इस्तेमाल न करें. सरसों और जैतून का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं. इनके साथ कभी सोयाबीन तेल, तो कभी राइस ब्रॉन तेल इस्तेमाल करें. कैलोरी के हिसाब से कम मात्रा में देसी घी भी खा सकते हैं
पाम ऑयल आपके लिए कितना नुकसानदेह है, ये तो आप समझ ही गए होंगे. अब अगली बार बाजार से कुछ खारीदें, तो डिब्बे या पैकेट को पलटकर ज़रूर पढ़ लें. अगर उसमें पाम ऑयल है तो उसे न खरीदें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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