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साधारण दिखते थे, कत्ल खेल समझते थे,भारत के सबसे डरावने सीरियल किलर्स

Serial Killers: कैब ड्राइवर्स की हत्या करने वाले सीरियल किलर अजय लांबा को पुलिस ने पकड़ लिया है. इस घटना ने देश के कई खूंखार सीरियल किलर्स की याद दिला दी है.

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सीरियल किलर्स वो होते हैं, जिनकी सोच भी अलग और डरावनी होती है (Photo- India Today)

किसी हत्यारे की पहचान आप कैसे करते हैं? फिल्मों में तो एक खूंखार चेहरा दिखता है, जो हथियार थामे अपनी आंखों से टपकती शैतानियत से हमारे मन में डर पैदा कर देता है. उसे देखकर लगता है कि उसके लिए किसी का भी खून बहाना आसान होगा. अगर वो 'खूंखार' ऐसा करता है तो कोई हैरत भी नहीं होती लेकिन क्या हो कि आपके पड़ोस में रहने वाला एक साधारण और निर्दोष दिखने वाला शख्स हत्यारा निकल जाए. और एक नहीं, कई सारे निर्मम हत्याओं को ऐसे अंजाम देता हो, जैसे वह कोई खेल हो. 

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दिल्ली में कैब ड्राइवर्स की सीरियल किलिंग के खुलासे में अजय लांबा की कहानी सामने आई है. अपने साथियों के साथ वह दिल्ली से कैब बुक करता था. गाड़ी लेकर उत्तराखंड की ओर जाता. रास्ते में ड्राइवर की हत्या कर दी जाती और शव खाई में फेंक दिया जाता था. गाड़ी नेपाल में बेच दी जाती थी. 

इस सीरियल किलिंग ने भारत के उन कई सीरियल किलर्स की याद ताजा कर दी है, जिनके अपराध के बारे में याद कर आज भी लोग सिहर जाते हैं. मासूम और सामान्य दिखने वाले इन किलर्स की कहानियों में हत्या की ऐसी सनक है कि पल भर को उनके इंसान होने पर से विश्वास उठ जाए. 

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हम आज ऐसे ही कुछ सीरियल हत्यारों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.

बेरहम बेहराम

करीब 260 साल पहले की बात है. तब के भारत में ठग बेहराम का आतंक फैला था. सीरियल किलर्स की दुनिया में बेहराम जितनी हत्याएं शायद ही किसी ने की हों. रूमाल से गला घोंटकर उसने 931 लोगों को मौत के घाट उतारा था. 1790 से 1840 के बीच उसने लूट और हत्या का ऐसा तांडव मचाया कि पूरी दुनिया में कुख्यात हो गया. वह समूह में यात्रा कर रहे लोगों में शामिल हो जाता और जताता था कि वह उन्हीं में से एक है. फिर मौका पाकर लोगों की हत्या कर देता था और सामान लूटकर फरार हो जाता था. एक अंग्रेज अफसर के सामने उसने खुद सैकड़ों लोगों की हत्या का जुर्म कबूल किया था. 

मासूम बच्चों की हत्या

रेणुका शिंदे और सीमा गावित दो बहनें थीं. वह भिक्षावृत्ति गिरोह चलाती थीं. इसके लिए दोनों ने 5 साल से कम उम्र के 13 बच्चों को किडनैप किया था. उनका इस्तेमाल भीख मांगने और चोरी कराने में किया जाता था. कोई बच्चा अगर उन्हें परेशान करता था तो उन्हें मार डालने में दोनों 'किलर सिस्टर्स' को जरा भी संकोच नहीं होता था. बताते हैं कि दो साल के एक बच्चे को उसने बिजली के खंभे से उल्टा लटका दिया था. एक बच्चे का सिर दीवार पर ऐसा दे मारा था कि उसकी मौत हो गई. दोनों बहनों को उसकी मां अंजना बाई ने ट्रेनिंग दी थी. तीनों को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया. अंजना बाई की तो जेल में मौत हो गई. दोनों बहनों को कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया. 

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सायनाइड मल्लिका

साल 2007 में बेंगलुरु के बाहरी इलाके में मंदिरों के आसपास महिलाओं की रहस्यमय मौत ने लोगों को हिलाकर रख दिया था. शव पर न तो कोई घाव थे, न हत्या के कोई निशान. बाद में पता चला कि इन हत्याओं के पीछे केडी केम्पम्मा नाम की एक महिला थी. एक सोनार के यहां काम करने के दौरान उसे सायनाइड के जहरीले प्रभाव के बारे में पता चला था. उसे बहुत जल्दी अमीर बनना था. इसलिए वह मंदिर आने वाली अमीर महिलाओं को उनके सारे दुख दूर करने के लिए खास पूजा के लिए कन्विन्स करती थी. बाद में प्रसाद के नाम पर उन्हें सायनाइड दे देती थी. मरने के बाद उनके शरीर पर मौजूद गहने लेकर फरार हो जाती थी. ऐसी 10 से ज्यादा महिलाओं की हत्या का दावा किया जाता है. 

ऑटोशंकर उर्फ गौरीशंकर

ऑटो शंकर के खूंखार अपराध पर तो सीरीज भी बनी है. उसका असली नाम गौरी शंकर था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, गौरीशंकर सेक्स एडिक्ट था. उसने कई लड़कियों का अपहरण किया और उनके साथ रेप किया था. इतना ही नहीं, रेप के बाद वह सर्वाइवर लड़कियों को अपने साथियों को बेच देता था. बाद में उनकी हत्या कर दी जाती थी. बताते हैं कि रेपिस्ट बनने से पहले वह सेक्स रैकेट चलाता था और अवैध शराब के धंधे में भी था. अपने ऑटो के जरिए वह अवैध शराब की सप्लाई करता था. 9 से ज्यादा लड़कियों की हत्या का आरोप गौरीशंकर पर था. इनमें से 6 लड़कियों के मर्डर के सबूत मिले थे. गौरीशंकर ने भी 6 लड़कियों की हत्या की बात कबूली थी. 1995 में उसे फांसी पर लटका दिया गया.

डॉक्टर डेथ

डॉक्टर डेथ यानी देवेंद्र शर्मा 6 साल में 50 लोगों की हत्या का अपराधी है. वह ट्रक और टैक्सी ड्राइवरों की हत्या कर उनकी लाश को हजारा नदी में फेंक देता था. इस नदी में ढेर सारे मगरमच्छ रहते थे. डॉक्टर डेथ को लगता था कि मगरमच्छों का निवाला बन चुके शव पुलिस को मिलेंगे ही नहीं और वह कभी पकड़ा नहीं जाएगा लेकिन 2004 में एक टैक्सी ड्राइवर की हत्या की कोशिश के दौरान वह पकड़ा गया. पुलिस के सामने शर्मा ने कबूल किया कि उसने कुल मिलाकर 50 ट्रक और टैक्सी ड्राइवरों की हत्या की है.

निठारी कांड

नोएडा के निठारी कांड के बारे में तो सबको पता है. मोनिंदर सिंह पंढेर नाम के व्यक्ति के घर के सामने एक सीवर में मानव शरीर के अंग और बच्चों के कपड़े मिले थे. इस मामले में पंढेर और उसके नौकर सुरिंदर कोली को आरोपी बनाया गया था. बताया गया कि दोनों मासूम बच्चों के साथ दुष्कर्म करते थे और बाद में शव के छोटे-छोटे टुकड़े कर कोठी के पीछे के नाले में बहा देते थे. कोली के शव के टुकड़े को पकाकर खाने की बात भी कही जाती है.

‘बिकिनी किलर’ शोभराज

‘बिकिनी किलर’ के नाम से कुख्यात चार्ल्स शोभराज का जिक्र हाल ही में आई वेब सीरीज 'ब्लैक वारंट' में आपने देखा होगा. तिहाड़ जेल में बंद शोभराज को ‘सुपर आईजी’ भी कहा जाता था. वह विदेशी लड़कियों से दोस्ती करता था. उन्हें डिनर पर बुलाता था. नशीला पदार्थ खिलाकर बेहोश करने के बाद उनके साथ रेप करता था. फिर उनका कीमती सामान लेकर फरार हो जाता था. कहा जाता है कि 1970 के दशक में शोभराज ने 15 से 20 लड़कियों की हत्या की थी. एक बार दो महिलाओं की लाश मिली. उन्होंने सिर्फ बिकिनी पहनी थी. इसके बाद से ही उसे बिकिनी किलर कहा जाने लगा था. 

कैसे बनते हैं सीरियल किलर?

इन सारे जघन्य वारदात के बारे में जानने के बाद एक सवाल जो मन में उठता है वो ये है कि सीरियल किलर्स में ऐसे भयानक अपराध की हिम्मत कैसे आती है?  कोई इंसान बार-बार हत्या क्यों करता है? क्योंकि हममें से ज्यादातर लोग कभी ऐसा करने की कल्पना भी नहीं कर सकते.

सवाल उठता है कि क्या सारे सीरियल किलर पागल होते हैं?

साइकॉलजी टुडे की रिपोर्ट में एक्सपर्ट बताते हैं कि कुछ सीरियल किलर मानसिक बीमारियों जैसे- सिजोफ्रेनिया या बायपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित होते हैं लेकिन ज्यादातर मामलों में वह पागल नहीं होते. यानी वो जानते हैं कि क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं? रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर सीरियल किलर एक जैसी मानसिकता दिखाते हैं. 
जैसे, वह दूसरों के लिए कोई हमदर्दी या पछतावा नहीं रखते. कानून और समाज के नियमों की परवाह नहीं करते. ऐसा लगता है जैसे उन्हें किसी से बदला लेना है. चाहे वो एक इंसान हो या पूरा समाज. इन्हें मनोविज्ञान की भाषा में एंटीसोशल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर कहा जाता है.

कुल मिलाकर सीरियल किलर आमतौर पर पागल नहीं होते लेकिन उनमें इंसानियत की भावनाएं लगभग खत्म हो चुकी होती हैं. न वे किसी से जुड़ पाते हैं और न किसी के दर्द को समझ पाते हैं. यही चीज है जो उन्हें इतना खतरनाक बनाती है.

सीरियल किलर कौन होते हैं?

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि सीरियल किलर उसे कहा जा सकता है जिसने एक अंतराल में कम से कम तीन या ज्यादा लोगों की हत्या की हो. कुछ मनोवैज्ञानिक ये भी मानते हैं कि सिर्फ हत्या करना ही काफी नहीं, सीरियल किलर बनने के लिए हत्यारे में मानसिक रूप से बिगड़ी हुई वजह भी होनी चाहिए. जैसे हत्या से यौन संतुष्टि पाना या किसी तरह का बदला पूरा करने का जुनून होना. मतलब सीरियल किलर्स वो होते हैं, जिनकी सोच भी अलग और डरावनी होती है.

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