निर्भया के चार दोषियों को 20 मार्च, सुबह 5:30 बजे फांसी हो गई. दिसंबर, 2012 में निर्भया गैंगरेप-मर्डर के बाद देश में रेप के ख़िलाफ़ कड़े कानून की मांग उठी थी. हाल ही में आंध्र प्रदेश विधानसभा में 13 दिसंबर को एक बिल पास हुआ. दिशा बिल. हैदराबाद गैंगरेप-मर्डर केस की विक्टिम के नाम पर. असल नाम कुछ और था, पर मीडिया और जनता ने विक्टिम को दिशा नाम दिया है. वैसे ही जैसे 2012 में दिल्ली गैंगरेप विक्टिम को निर्भया नाम दिया गया था. ये बिल अब राज्य में कानून की शक्ल ले चुका है.
क्या है रेप के खिलाफ बना दिशा कानून जिसमें POCSO से भी कड़े नियम हैं?
सबूत पक्का तो 21 दिन में मिलेगी फांसी की सज़ा.

सीएम जगन मोहन रेड्डी का कहना है कि भले ही रेप की घटना तेलंगाना में हुई थी, पर उनकी सरकार इस मामले पर बहुत गंभीर है. महिलाओं और बच्चों की सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए ये कानून लाया जा रहा है. इस कानून में 21 दिन के अंदर सज़ा और रेपिस्ट को फांसी की सज़ा का प्रावधान है.
क्या है दिशा में?
दिशा कानून के तहत आंध्र प्रदेश सरकार हर ज़िले में स्पेशल कोर्ट बनवाएगी. ये कोर्ट महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले रेप, एसिड अटैक, यौन शोषण, सोशल मीडिया पर हैरेसमेंट के मामलों के साथ-साथ POCSO के तहत आने वाले मामलों से डील करेंगे.
रेप मामलों पर सुनवाई की टाइमलाइन होगी फिक्स
- रेप हुआ और आरोपी के खिलाफ़ पक्के सबूत मिले तो अदालत 21 दिन में दोषी को मौत की सजा सुना सकती है.
- पुलिस को 7 दिन के अंदर अपनी जांच पूरी करनी होगी.
- स्पेशल कोर्ट को भी 14 दिन के अंदर ट्रायल पूरा करना होगा.
नए कानून में IPC की धारा 354(e) और 354(f), 354 (G) को शामिल किया गया है.
354(E) के तहत अगर कोई सोशल मीडिया के जरिए आपत्तिजनक यानी ऑफेंसिव मैसेज या पोस्ट महिला को भेजता है, तो वो अपराध की कैटगरी में आएगा. ऐसा अपराध अगर किसी ने पहली बार किया है तो उसे दो साल की सजा और दूसरी बार करने पर चार साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
354(F) में बाल यौन शोषण करने वाले आरोपियों के लिए 14 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. और अगर मामला गंभीर होगा, तो उसमें आरोपी को उम्र कैद की सजा भी दी जा सकती है.
354 (G) के तहत अगर कोई सरकारी कर्मचारी, जैसे कोई पुलिस अधिकारी, अस्पताल का कोई व्यक्ति या फिर स्कूल का कोई कर्मचारी बच्चों का यौन शोषण करता है, तो उसमें भी सजा का प्रावधान किया गया है.
पॉक्सो से भी सख्त हैं नियम
पॉक्सो एक्ट के तहत बच्चों से यौन शोषण पर तीन से सात साल की सज़ा का प्रावधान है. आंध्र प्रदेश के दिशा कानून में रेप के अलावा बच्चों के किसी भी प्रकार के यौन शोषण के लिए उम्रकैद की सज़ा का प्रावधान है.
नई रजिस्ट्री बनाई जाएगी
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भारत सरकार ने नेशनल रजिस्ट्री ऑफ सेक्शुअल ऑफेंडर्स का एक डाटाबेस लॉन्च किया था, जो कि डिजिटल नहीं हुआ. आंध्र प्रदेश दिशा एक्ट,2019 के तहत राज्य सरकार एक रजिस्टर बनाएगी, जो इलेक्ट्रॉनिक प्लैटफॉर्म पर उपलब्ध होगा और पब्लिक होगा. उसे विमेन एंड चिल्ड्रेन ऑफेंडर्स रजिस्ट्री नाम दिया जाएगा.रेपिस्ट पाए जाने पर सीधे फांसी की सज़ा
मौजूदा समय में IPC की धारा 376 के तहत किसी बालिग युवती या महिला से रेप के मामलों में आरोपी को कम से कम सात साल की सज़ा होती है, जो बढ़कर 10 साल या उम्रकैद हो सकती है. वहीं 376D के तहत गैंगरेप के मामलों में ये सज़ा 20 साल से उम्रकैद तक हो सकती है. वहीं पॉक्सो की धाराओं में 10 साल, उम्रकैद और गैंगरेप के मामलों में फांसी का प्रावधान है. दिशा एक्ट,2019 में विक्टिम की उम्र चाहे जितनी हो, अगर पक्के सबूत हैं, और आरोपी पर दोष सिद्ध हो जाता है तो फांसी की सज़ा दी जाएगी. ऐसा IPC,1860 की धारा 376 में संशोधन करके किया गया है.वीडियो देखें : हैदराबाद रेप-मर्डर केस: बहन ने कहा 'ऐसा होता तो शायद दीदी बच सकती थीं'