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कौन हैं आफ़रीन फातिमा, जिनके वायरल वीडियो को संबित पात्रा ने 'ज़हर की खेती' कहा है?

जेएनयू की इस नेता ने अफ़ज़ल गुरु के बारे में भी बयान दिया था.

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तस्वीर में दायीं तरफ वायरल वीडियो का स्क्रीनशॉट, बायीं तरफ आफ़रीन फातिमा की तस्वीर.(तस्वीर: ट्विटर)
26 जनवरी की देर रात बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक वीडियो अपलोड किया. वीडियो में एक लड़की माइक पर कुछ बोल रही थी. इस वीडियो के साथ पात्रा ने लिखा कि ये ज़हर की खेती है. वीडियो वायरल हो गया. पहले आप वो वीडियो देख लीजिए: इस वीडियो में दिख रही लड़की है आफ़रीन फातिमा. सितंबर 2019 में JNU के स्टूडेंट यूनियन के चुनाव हुए. इसी में JNU के दूसरे स्कूलों में भी चुनाव हुए. इन्हीं में से एक है स्कूल ऑफ लैंग्वेज एंड कल्चरल स्टडीज़. इसी से काउंसलर पद पर चुनी गईं आफ़रीन फातिमा. काउंसलर्स का काम होता है अपने अपने स्कूल्स की मेंटेनेंस का ध्यान रखना. लाइब्रेरी खुली है या नहीं ये देखना. काम-काज ढंग से चलता रहे, ये सुनिश्चित करना. BAPSA-फ्रैटर्निटी (BAPSA-बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन) का सपोर्ट मिला है आफ़रीन को.
Afreen Twitter आफ़रीन ग्रेजुएशन में भी पॉलिटिक्स में एक्टिव थीं, और अभी भी हैं. (तस्वीर: ट्विटर)

इलाहाबाद से हैं. 2018 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) विमेंस कॉलेज की प्रेसिडेंट चुनी गई थीं. वहां वो बीए लैंग्वेज की स्टूडेंट रहीं. 2019 में मास्टर्स के लिए JNU में एडमिशन लिया. इनके पिता जावेद बिजनेसमैन हैं.
इस वीडियो में आफ़रीन कह रही हैं,
आज जब हम उतरे हैं, CAA-NRC की वजह से उतरे हैं, लेकिन सिर्फ उसके खिलाफ नहीं उतरे हैं. CAA NRC के बाद हम रियलाइज करते हैं कि हमारा कोई भरोसा ही नहीं है किसी चीज़ पर. न हम सरकार पर भरोसा कर सकते हैं, न हम सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा कर सकते हैं. ये वही सुप्रीम कोर्ट है जिसने ‘कलेक्टिव कौन्शियंस के लिए अफ़जल गुरु को फांसी पर चढ़ाया था. ये वही सुप्रीम कोर्ट है जिसको आज पता चलता है कि पार्लियामेंट अटैक में अफ़जल गुरु का कोई हाथ नहीं था. ये वही सुप्रीम कोर्ट है जो बोलती है कि बाबरी मस्जिद के नीचे कोई मंदिर नहीं था. ताला तोड़ना गलत था. मंदिर/मस्जिद गिराना गलत था. और फिर बोलती है कि यहां पर मंदिर बनेगा. हमको सुप्रीम कोर्ट से कोई उम्मीद नहीं है.
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इस वीडियो के वायरल होने के बाद आफ़रीन फ़ातिमा पर फोकस हुआ, उनके पुराने ट्वीट निकाले गए. देखा गया तो उन्होंने शरजील इमाम के समर्थन में भी ट्वीट कर रखे थे. शरजील इमाम इस वक़्त ख़बरों में बना हुआ है. उसने एक भड़काऊ बयान दिया था. इस बयान के बाद से ही पुलिस उसकी तलाश में जुट गई थी. बयान में उसने कहा था, 'पांच लाख लोग हमारे पास ऑर्गनाइज हों, तो हम हिन्दुस्तान और नॉर्थ-ईस्ट को परमानेंटली कट कर सकते हैं. परमानेंटली नहीं कर सकते, तो कम से कम एकाध महीने के लिए तो कर ही सकते हैं.'
शरजील गिरफ्तार हो चुका है. मामले की पूरी जानकारी के लिए आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं.

JNU की पॉलिटिक्स में कहां मौजूद हैं आफ़रीन?
प्रेसिडेंट नहीं हैं. सेक्रेटरी नहीं हैं. काउंसलर हैं. ABVP, AISA, SFI, AISF से भी नहीं हैं. BAPSA-फ्रैटर्निटी मूवमेंट की कैंडिडेट हैं. ये लेफ्ट और राइट दोनों पार्टियों से अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रही है. एक इंटरव्यू में आफ़रीन ने बताया कि लेफ्ट और राइट दोनों ही दबे-कुचलों को अपने हिसाब से इस्तेमाल करते हैं. राइट विंग वाले  ये खुलेआम करते हैं, लेफ्ट वाले सोशल जस्टिस के नाम पर करते हैं तो उतना पता नहीं चलता. लेफ्ट से उन्हें ये भी दिक्कत है कि उसने कभी कैम्पस में विकल्पों को पनपने नहीं दिया. मुस्लिमों की सेल्फ-आइडेंटिटी को लेकर उनके विचार बहुत तल्ख़ हैं. 'मनोरमा ऑनलाइन' को पिछले साल दिए एक इंटरव्यू में कहती हैं,
बहुत गहरे धंसा इस्लामोफोबिया (इस्लाम को लेकर बैठा हुआ डर/नफरत) है इस कैम्पस पर. जैसे ही कोई मुस्लिम लेफ्ट या राइट की बाइनरी से आगे बढ़कर अपने मुस्लिम होने या अपनी अलग पहचान की बात करता है, उसे कम्यूनल कह दिया जाता है.
संबित के इस ट्वीट के बाद ख़बरों में आईं आफ़रीन ने शरजील की गिरफ्तारी के बाद भी ट्वीट किया है और कहा है कि ऐसा उन्होंने ‘गुड फेथ’ यानी भरोसे में आकर किया है.
  संबित पात्रा के ट्वीट के बाद आफरीन पर जमकर चर्चा हो रही है. इस मामले में अगर कोई अपडेट आता है, तो हम आप तक लेकर आएंगे.


वीडियो: CAA प्रोटेस्ट: शरजील इमाम असम को देश से काटकर क्या हासिल करना चाहते हैं?