The Lallantop
Logo

त्रिपुरा में सपरिवार धरने पर बैठे 10 हज़ार शिक्षकों की क्या मांग है, जिससे सरकार के 'हाथ-पैर' फूल गए?

एक फैसले ने त्रिपुरा के इन शिक्षकों को सड़क पर ला दिया!

Advertisement

राज्य के अलग-अलग हिस्सों से आए शिक्षक और उनके परिवार के लोग अगरतला के सिटी सेंटर पर इकट्ठा हुए और यहीं धरने पर बैठ गए. ये शिक्षक चाहते हैं कि सरकार अपना वादा पूरा करे और इस मसले का स्थायी हल निकाले. मसला क्या है? मसला ये है कि 2014 में त्रिपुरा हाई कोर्ट ने 10,323 शिक्षकों की नियुक्ति ये कहते हुए रद्द कर दी थी कि इनकी भर्ती गलत तरीके से हुई है. इन टीचर्स की नियुक्ति अलग-अलग भर्तियों के जरिए हुई थी. इनमें ग्रेजुएट, अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट लेवल के टीचर शामिल हैं. हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ नौकरी से निकाले गए टीचर्स सुप्रीम कोर्ट गए. 2017 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया. यहां से भी इन टीचर्स को झटका मिला और सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखा. राज्य सरकार ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की और करीब 8000 टीचर्स को 31 मार्च 2020 तक ऐड हॉक पर बेसिस पर रखा. 31 मार्च के बाद फिर से ये टीचर बेरोजगार हो गए. देखिए वीडियो.

Advertisement

Advertisement
Advertisement