सन् 1994 से 2011 तक उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर रहे किम जोंग-इल बड़े शौक़ीन आदमी थे. उनके बारे में चर्चित है कि उन्हें बिना शराब के खाना गले से नीचे नहीं उतरता था. उनके शराबख़ाने में दस हज़ार से अधिक बोतलें रखी रहतीं थी. उनके लिए रोज़ाना अलग-अलग देशों के पकवान पकाए जाते थे. दुनियाभर से सबसे बेहतरीन ख़ानसामे खाना बनाने के लिए बुलाए जाते थे. उनका आदेश रहता था कि चावल के दाने एक रंग और एक आकार के हों. इसमें थोड़ी सी भी गुस्ताख़ी मंज़ूर नहीं थी. उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयॉन्ग में एक रिसर्च इंस्टिट्यूट सुप्रीम लीडर के खान-पान का ख़्याल रखने के लिए बनाया गया था. ये सारा तामझाम उस दौर में हो रहा था, जब उत्तर कोरिया में भयावह अकाल चल रहा था. जनता अनाज के एक-एक दाने के लिए तरस रही थी. सुप्रीम लीडर ने प्रचार कराया था कि वो आधा कटोरी चावल खाकर अपना गुज़ारा कर रहे हैं. लोगों को लगा, अगर माननीय आधा कटोरी चावल खा रहे हैं तो सच में हालात बुरे हैं. हमें भी उनका साथ देना चाहिए. लेकिन पर्दे के पीछे कुछ और ही खेल चल रहा था. इस अकाल को इतिहास में द मार्च ऑफ़ सफ़रिंग या द आर्डुअस मार्च का नाम दिया गया. जब तक मार्च खत्म हुआ, तब तक लगभग 35 लाख लोग मारे जा चुके थे. मगर इससे सुप्रीम लीडर की सेहत पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा.
दुनियादारी: परमाणु हमले की धमकी देने वाले Kim Jong Un का बड़ा राज़ खुला, उत्तर कोरिया नहीं बचेगा?
उत्तर कोरिया की जनता भूख से मर रही है.
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