नई दिल्ली में आयोजित 18वीं G20 लीडर्स समिट समाप्त हो गई. समिट के आख़िरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अध्यक्षता का हथौड़ा ब्राज़ील को पास कर दिया. ब्राज़ील अगले बरस होने वाली समिट की मेज़बानी करेगा. उम्मीद है कि तब तक ‘G20 या G21’ की बहस का नतीजा भी निकल चुका होगा. ये बहस क्या है? 1999 में बने G20 में कुल 20 स्थायी सदस्य थे. 19 देश और यूरोपियन यूनियन. इस बार अफ़्रीकन यूनियन (AU) को भी मेंबरशिप मिली है. अब मेंबर्स की संख्या 21 हो गई है. इसलिए G20 की बजाय G21 बोलने-लिखने की चर्चा चल रही है. खैर, नाम-परिवर्तन तो रोज़मर्रा की बात हो गई है. अब असली मुद्दे पर लौटते हैं. आज हमारा फ़ोकस दो विषयों पर रहेगा? पहला, लीडर्स समिट. और दूसरा G20 खत्म होने के बाद ये सवाल उठ र हें है कि तामझाम का हासिल क्या रहा? साझा घोषणापत्र में कितना दम है? और, क्या इस पर अमल हो सकेगा?
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G20 खत्म होने के बाद ये सवाल उठ रहें है कि तामझाम का हासिल क्या रहा? साझा घोषणापत्र में कितना दम है? और, क्या इस पर अमल हो सकेगा?
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