आजकल की तपती भयंकर दोपहरी में जब सब घर में बंद हैं. भूपी की आवाज़ और उनके गाए गीत, बरगद के नीचे सुस्ता रहे बुजुर्गों की याद दिलाते हैं. उन्हें किसी बात की चिंता नहीं, कोई फिक्र नहीं, वो अपने में मगन प्रकृति की आगोश में सुस्ता रहे हैं. ऐसा ही सुकून भूपी की आवाज़ में है. भारी बेस के साथ अवचेतन मन में सेंध लगाती भीड़ से अलग आवाज़. जो पहले सुर के साथ आपको खींच लेती है. खला से उठकर हमारे जेहन में गूंजते भूपी संगीत संसार का महोत्सव है. देखिए वीडियो.
सिंगर भूपिंदर सिंह की जीवन गाथा, जो ऐक्टिंग करने से घबराकर दिल्ली भाग गए थे
उन्हें किसी बात की चिंता नहीं, कोई फिक्र नहीं, वो अपने में मगन प्रकृति की आगोश में सुस्ता रहे हैं.
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