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सुरेश राणा मंत्री भी बन गए, क्या दंगों के आरोपी अब जेल जाएंगे?

द लल्लनटॉप से सुरेश राणा ने कहा था, दंगे के आरोपी कितनी भी प्रभावी हो, बीजेपी की सरकार आई तो जेल जाएंगे.

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बीजेपी कैंडिडेट सुरेश राणा
साल 2013 का मुज़फ्फरनगर दंगा. जहां लोग धर्म के आधार पर एक दूसरे को मार काटने लगे थे. वो दंगा जिसके ज़ख्म अभी तक नहीं भर पाए हैं. मुजफ्फरनगर के इस दंगे में करीब 60 लोगों की मौत हो गई थी. साथ ही हजारों लोगों को अपना घर छोड़ कर भागना पड़ा था. इन दंगों को भड़काने का आरोप संगीत सोम के अलावा सुरेश राणा पर भी लगा था. दोनों गिरफ्तार भी किए गए. ये दोनों बीजेपी के विधायक हैं. बीजेपी ने यूपी में नई सरकार बनाई है. उस सरकार में भले ही संगीत सोम को मंत्री नहीं बनाया गया हो. लेकिन सुरेश राणा को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. उन्हें राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद दिया गया है. सुरेश राणा ने द लल्लनटॉप से बात करते हुए कहा था कि बीजेपी की सरकार आई तो दंगे की दोबारा जांच होगी और सरकारी विमान में घूमने वाला असली आरोपी जेल में होगा. मार्च, साल 2015 में बीजेपी ने आगरा में विजय शंखनाद रैली की और दंगे के आरोपियों  को सम्मानित किया गया. तब खूब सवाल उठे कि दंगे के आरोपियों को सम्मान क्यों? वो सम्मान छोड़िए अब सुरेश राणा योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में शामिल हो गए हैं. इस रिपोर्ट में पढ़िए सुरेश राणा के वो बयान जो विवादित रहे. 1. इसी साल सुरेश राणा ने चुनाव से पहले मंच से बोलते हुए कहा,
'मैं हार गया तो देवबंद में जश्न मनाया जाएगा कि सुरेश का इलाज कर दिया और अगर मैंने मैदान मार लिया तो देवबंद में, मुरादाबाद में कर्फ्यू लग जाएगा मित्रों. इसलिए कह रहा हूं कि मार्च 11 का दिन होगा, भारत माता की जय और हर हर महादेव का नारा लगाते हुए शामली से थाना भवन तक जुलूस निकलेगा.'
जब वो ये बोलकर लोगों को उकसा रहे थे तब मोदी सरकार में जल संसाधन मंत्री संजीव बालियान भी मौजूद थे. भले ही उन्होंने तब अपनी हार पर देवबंद में जश्न की बात की हो, लेकिन देवबंद में अब भी जश्न मनेगा. क्योंकि देवबंद सीट से भी बीजेपी ही जीती है. और बीजेपी के लोग तो जश्न मनाएंगे ही. 2. साल 2015 की बात है, जब सुरेश राणा ने अखिलेश यादव को धमकाया था. उत्‍तराखंड प्रशासन ने कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ऐसे निर्देश जारी किए थे कि जिसमें डीजे बजाने पर रोक लगाई गई थी. यूपी प्रशासन ने भी मामले को लेकर सख्‍त निर्देश दिए थे. उसी दौरान सुरेश राणा ने मुज़फ्फरनगर में एक कांवड़ शिविर का उद्घाटन किया था और तब वो मंच से बोले थे,
'अखिलेश यादव ने यदि अपनी मां का दूध पिया है तो कांवड़ यात्रा के दौरान डीजे पर रोक लगाकर दिखाएं. मैं धैर्य के साथ ये बात कहना चाहता हूं. अगर कांवड़ यात्रा में डीजे नहीं बजेगा तो क्या पाकिस्तान में जाकर डीजे बजाएंगे.
मुज़फ्फरनगर दंगों पर बीजेपी के संसद हुकुम सिंह ने यह दावा किया था कि उत्तर प्रदेश के कैराना से एक धर्म विशेष की वजह से हिंदुओं को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा रहा है. लेकिन जब चुनाव से पहले 'द लल्लनटॉप' ने सुरेश राणा से बातचीत की थी तो उन्होंने पलायन में सांप्रदायिकता या कानून-व्यवस्था की गड़बड़ी के सवाल पर राज्य सरकार और गुंडों को कोसा था. तब उन्होंने सांप्रदायिकता का जिक्र नहीं किया था. तब उन्होंने कहा था, 'सपा सरकार ने दंगों के झूठे केस में फंसाया. जो दंगे का आरोपी था उसने सरकार में पूरा आनंद लिया है. दंगे को भड़काने वाला तो सरकारी विमान में बैठकर लखनऊ से दिल्ली गया है. मुख्यमंत्री ने मेरे खिलाफ रासुका लगाई. क्या मैं लुटेरा हूं. क्या मैं आतंकी हूं. क्या मैं डकैत हूं. कोर्ट ने रासुका हटा दी. यानी के केस झूठा था.'
तब उन्होंने ये भी कहा था कि 'अगर बीजेपी की सरकार बनी तो दंगों की फिर से जांच कराई जाएगी. और जो दोषी हैं. पूरे देश को पता है कौन दोषी हैं. मैं कह रहा हूं वो कितने भी प्रभावी हों बचेंगे नहीं. जेल जाएंगे.'

खुद सुनिए क्या कहा था सुरेश राणा ने

सुरेश राणा एफिडेविट के मुताबिक सिर्फ 12वीं पास हैं और राजनीति में आने से पहले खेती करते थे. इन पर रासुका भी लग चुका है और चार आपराधिक मामले हैं. वैसे इन्हें बीजेपी के स्टार प्रचारकों में जगह नहीं मिली थी.
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