तमिलनाडु पुलिस ने राजनीतिक विश्लेषक और लेखक बद्री शेषाद्रि को शनिवार, 29 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया. उन पर तमिल यूट्यूब चैनल 'आधान(Aadhan)' को दिए इंटरव्यू के दौरान मणिपुर हिंसा और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ पर कथित 'भड़काऊ' टिप्पणी करने का आरोप है.
'CJI को बंदूक थमाकर मणिपुर भेजो', सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने पर लेखक को पुलिस उठा ले गई
लेखक ने ये भी कहा कि हम मणिपुर में हिंसा होने से नहीं रोक सकते.

इंडिया टुडे के प्रमोद माधव की रिपोर्ट के मुताबिक बताया जा रहा है कि बद्री शेषाद्रि ने इंटरव्यू में कहा,
"सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर आप (सरकार) कुछ नहीं कर सकते तो हम (कोर्ट) करेंगे. आइए उन्हें (CJI) को बंदूक दे दें और उन्हें वहां भेज दें. देखते हैं कि क्या वह शांति बहाल कर पाते हैं?"
इंटरव्यू में आगे शेषाद्रि ने कहा,
वकील की शिकायत पर शेषाद्रि के खिलाफ कार्रवाई"यह (मणिपुर) एक पहाड़ी क्षेत्र है और वहां हत्याएं होंगी. हम हिंसा होने से नहीं रोक सकते."
इंडिया टुडे को मिली FIR के मुताबिक बद्री शेषाद्रि के खिलाफ कवियारासु नाम के एक वकील ने शिकयत की थी. वकील ने 22 जुलाई को अपलोड किए गए यूट्यूब इंटरव्यू में न्यायपालिका पर शेषाद्रि की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई है.
न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु की पेरम्बलुर जिला पुलिस ने 29 जुलाई की सुबह बद्री शेषाद्रि को अरेस्ट कर लिया. पुलिस ने बद्री शेषाद्रि के खिलाफ "दंगा भड़काने के इरादे से उकसाने", "समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने वाले बयान" और "सार्वजनिक तौर पर डर पैदा करने" का मामला दर्ज किया है.
BJP ने राज्य की DMK सरकार पर साधा निशानाइस बीच, तमिलनाडु में BJP के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शेषाद्रि पर पुलिस की कार्रवाई की निंदा की है. उन्होंने कहा कि द्रमुक (DMK- द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम) सरकार आम लोगों के विचारों पर ध्यान देने की बजाए सिर्फ गिरफ्तारी पर भरोसा कर रही है. अन्नामलाई ने इस मामले में तमिलनाडु सरकार और पुलिस को घेरा है. उन्होंने ट्विटर पर सवाल किया कि क्या सत्तारूढ़ DMK के एजेंडे को आगे बढ़ाना पुलिस की जिम्मेदारी है.
CJI ने क्या कहा था?मणिपुर में महिलाओं के साथ उत्पीड़न का वीडियो सामने आने के बाद 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर खुद संज्ञान लिया था. इस दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि घटना के बारे में जानकर वो स्तब्ध हैं और ये पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं. हिंसा में महिलाओं को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करना मानवाधिकारों और संवैधानिक उल्लंघनों में से सबसे बड़ा उल्लंघन है. जो वीडियो सामने आए हैं वो बेहद परेशान करने वाले हैं.
CJI ने कहा था कि मामले पर कार्रवाई करने के लिए सरकार को कुछ समय दिया जाएगा, जिसके बाद वे खुद इस पर एक्शन लेंगे. समय आ गया है कि सरकार कदम उठाए और कार्रवाई करे.
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