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'बच्चों को दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना', सिलेबस में बदलावों पर NCERT के डायरेक्टर का बयान

NCERT की 12वीं की किताब में बाबरी मस्जिद का नाम हटा दिया गया है. उसे "तीन गुंबद वाली संरचना" कहा गया है. साथ ही नई किताब में अयोध्या विवाद के मुद्दे को संक्षेप में समेट दिया गया है.

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NCERT डायरेक्टर ने किताबों के भगवाकरण के आरोपों को खारिज किया (प्रतीकात्मक तस्वीर - NCERT/India Today Archive)

NCERT की कक्षा 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की नई रिवाइज्ड किताबें बाजार में आ चुकी हैं. इसमें कई तरह के बदलाव किए गए हैं. बदलावों में बाबरी मस्जिद का नाम हटाए जाने को लेकर चर्चा है. अब इस पर NCERT के डायरेक्टर दिनेश प्रसाद सकलानी ने अपना पक्ष रखा है. किताबों में हुए बदलाव पर सकलानी ने न्यूज एजेंसी PTI से बात की है. उन्होंने स्कूली सिलेबस के ‘भगवाकरण’ के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, 

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‘पाठ्यक्रम का भगवाकरण करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है, सब कुछ तथ्यों और सबूतों पर आधारित है. अगर कोई चीज अप्रासंगिक हो गई है तो उसे बदलना होगा, क्यों नहीं बदला जाना चाहिए. मुझे यहां कोई भगवाकरण नहीं दिखता. हम इतिहास इसलिए पढ़ाते हैं ताकि छात्रों को तथ्यों के बारे में पता चले, न कि इसे युद्ध का मैदान बनाने के लिए.’

सकलानी ने कहा कि किताबों में बदलाव सालाना संशोधन का हिस्सा हैं और इसे शोर-शराबे का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बदलावों का निर्णय विषय के विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है और वो इस प्रक्रिया में निर्देश या हस्तक्षेप नहीं करते हैं. उनके मुताबिक NCERT राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप स्कूली किताबों के पाठ्यक्रम को संशोधित कर रहा है.

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गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भों को स्कूल की किताबों में संशोधित किये जाने पर उन्होंने आगे कहा, 

'हमें स्कूली किताबों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और अवसादग्रस्त व्यक्ति. क्या हमें अपने छात्रों को इस तरह से पढ़ाना चाहिए कि वे आक्रामक हो जाएं, समाज में नफरत पैदा करें या नफरत का शिकार बनें? क्या यह शिक्षा का उद्देश्य है? हिंसा के बारे में क्यों पढ़ाया जाना चाहिए, जब बच्चे बड़े होंगे, तो वे इसके बारे में जानेंगे. लेकिन स्कूल की किताबों में ऐसा नहीं करना चाहिए. उन्हें बड़े होने पर यह समझने दें कि क्या हुआ और क्यों हुआ, बदलावों के बारे में हंगामा अप्रासंगिक है.'

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उन्होंने इंडिया टुडे के मिलन शर्मा से बातचीत में 12वीं कक्षा की किताबों से गोधरा दंगों का संदर्भ हटाने पर भी प्रतिक्रिया दी और कहा, 

‘यदि छात्र हिंसा और दंगों पर पढ़ना चाहते हैं, तो कई अन्य पाठन सामग्री अन्यत्र उपलब्ध हैं. हमें न केवल दोहराव कम करना है बल्कि यह भी देखना है कि आज क्या प्रासंगिक है.’

बात अगर NCERT की किताबों में किए गए बदलावों की करें तो, इसमें बाबरी मस्जिद का नाम हटा दिया गया है. उसे "तीन गुंबद वाली संरचना" कहा गया है. साथ ही नई किताब में अयोध्या विवाद के मुद्दे को कम पन्नों में समेट दिया गया है. इसके अलावा पहले के सिलेबस से कई बिंदु हटाए गए हैं. हटाए गए विवरणों में गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक BJP की रथयात्रा, कारसेवकों की भूमिका, 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सांप्रदायिक हिंसा, 1992 में BJP शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन और BJP के 'अयोध्या की घटनाओं पर खेद जताना' जैसे मुद्दे हैं.  किताब के नए संस्करण में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को जोड़ा गया है. इसके बाद इसमें अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के 5-0 के फैसले का ज़िक्र भी किया गया है. बताया गया है कि 9 नवंबर, 2019 के फैसले ने मंदिर के लिए मंच तैयार किया, जिसका उद्घाटन इस साल जनवरी में हुआ.

इसपर NCERT डायरेक्टर सकलानी ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा, 

‘अगर सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर, बाबरी मस्जिद या राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला दिया है, तो क्या इसे हमारी पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया जाना चाहिए, इसमें क्या समस्या है?’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 2014 के बाद से ये चौथा मौक़ा है, जब NCERT की किताबों में बदलाव किया गया है. अयोध्या मुद्दों पर किए गए बदलावों का ज़िक्र करते हुए NCERT ने अप्रैल में कहा था कि राजनीति में लेटेस्ट घटनाक्रम के अनुसार कंटेंट में अपडेट किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फ़ैसले और उसके व्यापक स्वागत की वजह से अयोध्या मुद्दे पर बदलाव किए गए हैं.

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