पाकिस्तान की संसद ने शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) को देश का 23वां प्रधानमंत्री चुन लिया है. नेशनल असेंबली में उनको 174 सदस्यों ने वोट दिया. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के नेता के रूप में शहबाज शरीफ ही एकमात्र प्रधानमंत्री उम्मीदवार रह गए थे. पीटीआई के उम्मीदवार शाह महमूद कुरैशी ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था.
पाकिस्तान के नए पीएम शहबाज शरीफ के बारे में कितना जानते हैं?
शहबाज शरीफ पाकिस्तान के 23वें पीएम हैं.

बीते महीने पाकिस्तान में विपक्ष तत्कालीन पीएम इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था. लेकिन उससे पहले ही इमरान के कुछ सहयोगियों ने सरकार से हाथ खींच लिए. इससे पीटीआई नेशनल असेंबली में अल्पमत में आ गई. इस बीच डेप्युटी स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव को असंवैधानिक करार दिया और इमरान की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने संसद भंग कर दी.
इसके बाद पाकिस्तान में आम चुनाव की बात होने लगी. उधर इमरान खान ने पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के जज रहे गुलजार अहमद को कार्यवाहक पीएम बनाने की बात कह दी. लेकिन अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव को असंवैधानिक बताने वाले डेप्युटी स्पीकर के फैसले को अमान्य करार दे दिया और असेंबली में वोटिंग कराने को कहा.
इमरान खान इस फैसले से खुश नहीं थे, लेकिन उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के प्रति सम्मान दिखाते हुए उसके फैसले को स्वीकार किया. हालांकि 9 और 10 अप्रैल की दरमियानी रात अविश्वास प्रस्ताव पर हुई वोटिंग के दौरान इमरान खान की पार्टी के सांसद सदन में नहीं आए. वहीं विपक्ष की तरफ से उनके खिलाफ 174 वोट पड़े जो सरकार गिराने के लिए काफी थे. इसके बाद शहबाज शरीफ के पाकिस्तान का 23वां पीएम बनने का रास्ता साफ हो गया.
विपक्ष के नेताओं के साथ शहबाज शरीफ. (तस्वीर- पीटीआई)
बिजनेस से राजनीति का सफर
शहबाज शरीफ का पूरा नाम मियां मुहम्मद शहबाज शरीफ है. वो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ के भाई हैं. तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं.
23 सितंबर 1951 को लाहौर में जन्मे शहबाज शरीफ के पिता मुहम्मद शरीफ व्यापारी थे. पहले उनका परिवार अमृतसर में रहता था. लेकिन 1947 में भारत का बंटवारा हुआ तो मुहम्मद शरीफ अपने परिवार के साथ लाहौर में आकर बस गए. उनकी तरह शहबाज ने भी अपने करियर की शुरुआत बिजनेस से की थी. लाहौर की एक सरकारी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद शहबाज ने अपना फैमिली बिजनेस 'इत्तेफाक ग्रुप' संभाल लिया. बताया जाता है कि शहबाज अपने भाई नवाज से ज्यादा अमीर हैं.
वहीं राजनीतिक सफर की शुरुआत 80 के दशक में हुई. 1988 में शहबाज शरीफ ने पहली बार पंजाब प्रांत की लाहौर विधानसभा से चुनाव जीता. हालांकि, 1990 में विधानसभा भंग हो गई. 1990 में ही उन्होंने नेशनल असेंबली का चुनाव जीत लिया. लेकिन 1993 में नेशनल असेंबली भी भंग हो गई और शहबाज की सदस्यता चली गई. हालांकि, उसी साल उन्होंने फिर लाहौर विधानसभा और नेशनल असेंबली का चुनाव जीत लिया. बाद में शरीफ ने नेशनल असेंबली की सीट छोड़ दी.
1997 में शहबाज शरीफ ने पीएमएल (एन) की टिकट पर पंजाब प्रांत का चुनाव लड़ा और वहां के मुख्यमंत्री बने. दो साल बाद 1999 में पाकिस्तान में सेना ने तख्तापलट कर दिया. शहबाज शरीफ की मुख्यमंत्री की कुर्सी भी चली गई. उन्हें परिवार के साथ देश छोड़कर दुबई जाना पड़ा.
लौटे तो फिर बने सीएम
2007 में शहबाज शरीफ पाकिस्तान लौटे और जून 2008 में फिर से पंजाब के मुख्यमंत्री बन गए. जीत का सिलसिला 2013 में भी जारी रहा. शहबाज तीसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे. वो सबसे ज्यादा लंबे समय तक पाकिस्तान वाले पंजाब के मुख्यमंत्री रहने वाले नेता हैं. इसीलिए उन्हें सरकार चलाने के मामले में अनुभवी माना जाता है.
साल 2018 में पाकिस्तान में आम चुनाव हुए थे. पीएमएल (एन) ने शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था. लेकिन जीत मिली इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को. चुनाव परिणामों में बड़ी धांधली के आरोप लगे थे. काफी हंगामा हुआ था. दूसरी पार्टी के नेताओं ने कभी भी उस चुनाव परिणाम को स्वीकार नहीं किया. लेकिन इमरान खान प्रधानमंत्री बन गए और शहबाज शरीफ विपक्ष के नेता. तब से नेशनल असेंबली में ये जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. वो अपनी पार्टी के अध्यक्ष भी हैं.
कवि प्रेमी
शहबाज शरीफ के बारे में बताया जाता है कि वे मशहूर शायर मुहम्मद इकबाल को अपनी प्रेरणा मानते हैं. उन्हें नई भाषाएं सीखना भी पसंद है. बताते हैं कई भाषाएं बोल भी लेते हैं. उर्दू, पंजाबी, सिंधी, पश्तो, अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच और अरबी.
साल 2020 के सितंबर महीने में शहबाज शरीफ को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले गिरफ्तार कर लिया गया था. उनके ऊपर करोड़ों रुपये की हेराफेरी करने का आरोप था. तब उनकी पार्टी ने इमरान सरकार पर विपक्षियों को दबाने के लिए इस तरह की कार्रवाई करने का आरोप लगाया था. हालांकि अप्रैल 2021 में उन्हें लाहौर हाई कोर्ट से जमानत मिल गई थी. शहबाज शरीफ पर अभी भी ये केस चल रहा है.
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